स्वप्न जगत को अनुभव करने के लिए सोना पड़ेगा। ध्यान जगत को अनुभव करने के लिए जागना पड़ेगा।
स्वप्न हो या ध्यान दोनो में चेतना के दूसरे आयाम में पहुंचा जा सकता है। स्वप्न हो या ध्यान दोनों में बाहर विचरण करने के लिए दरवाजा कुंडी खोलने की जरूरत नहीं। दोनो ही स्थूल से परे स्व का अनुभव है।
वर्तमान में तुम अर्द्ध जगे हो या यूं कहो अर्द्ध सोए हुए हों। दोनो जगह आराम मिलेगा - चाहे नींद में पूर्ण सो जाओ या ध्यान द्वारा पूर्ण जाग जाओ।
बाज भीगने से बचने के लिए बादलों से ऊपर उठ कर उड़ता है। साधारण पशु-पक्षी परेशान होकर छुपने की तलाश करते हैं। लेकिन मछली जो जल में ही है उसे भला भीगने का क्या डर?
हम और तुम बीच मे खड़े हैं - अर्द्ध चेतन अवस्था मे है। निर्णय तो करना पड़ेगा। प्रत्येक निंर्णय पर भविष्य टिका हुआ है।
💐श्वेता, DIYA
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