मैंने उन पत्थरों से घर बनाया,
जो मेरे विरोधियों ने मुझ पर फेंके,
मैंने उन अवरोधों को सीढ़ियां बनाई,
जो मेरे विरोधियों ने मेरे मार्ग में खड़ी की।
मैंने उन अपशब्दों व गालियों को प्रोत्साहन ध्वनि समझा,
जो मेरे विरोधियों ने मुझे दी,
प्रत्येक विरोधियों ने मुझे निरन्तर,
आगे बढ़ने की वज़ह दी।
मेरे मार्ग को चुनौतियों से भरकर,
मेरे विरोधियों ने जीवन रोमाँचक बना दिया,
प्रत्येक बाधा को पार करने पर,
खेल की तरह इक नई बाधा का पुरस्कार दिया।
मेरे विरोधियों को,
सादर चरण स्पर्श कर नमस्कार करता हूँ,
यदि वो न होते तो जीवन बहुत नीरस होता,
अवरोधों के मसाले व अपशब्दों के तड़के से,
जिन्होंने जीवन को सतत रोमाँचक किया,
उनके चरणों में नमन वंदन सौ बार करता हूँ।
💐श्वेता, DIYA
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