मन विचारों, अनुभवों और यादों से निर्मित होता है। यदि मन को दूषित करना है तो भी विचारों का ही सहारा लेना पड़ेगा, यदि मन को शुद्ध करना है तो भी विचार ही मदद करेंगे। मन के बल मनोबल को तोड़ना है तो भी विचार ही सहायक हैं, मन के बल मनोबल को बढ़ाना है मजबूत बनाना है तो भी विचार ही सहायक होंगे। विचारों की सृजनात्मक शक्ति को समझिए, स्वयं के जीवन को मनचाही दिशा विचारों के प्रयोग से दीजिये। आर्ट ऑफ थिंकिंग - सोचने की कला में माहिर बनिये।
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प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?
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तुम्हें जन्मदिन की बधाई बधाई, यही बात इन दीपकों ने बताई।। किया जो इन पंचतत्वों का पूजन, इन्ही पंच तत्वों से बना तन, अरे! देव दु...
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