प्रश्न - वास्तव में सुख व दुःख क्या होता है?
उत्तर - इच्छाओं व वासनाओं की पूर्ति में बाधा को दुःख कहते हैं। इच्छाओं व वासनाओं की पूर्ति को सुख कहते हैं।
लेकिन जो इच्छाओं व वासनाओं के जाल से मुक्त हो जाये, सुख व दुःख से परे हो जाये उसे मुक्ति व आनन्द कहते हैं।
उदाहरण - यदि समोसे खाने की इच्छा मन में जगी, मिल गया तो सुख और न मिला तो दुःख।
सन्तान की इच्छा है - सन्तान मिली तो सुख और बांझ हुए व सन्तान न हुई तो दुःख
अमुक लड़की/लड़के को को अमुक लड़के/लड़की से प्रेम हुआ व विवाह की इच्छा जगी - विवाह हो गया तो सुख न हुआ तो दुःख
इसी तरह धन , पद, प्रतिष्ठा इत्यादि की इच्छाओं के अनन्त जाल हैं, यह रक्तबीज राक्षस की तरह है, एक के पूरी होने पर दूसरी व तीसरी इच्छाएं उतपन्न होती रहेंगी। सुख-दुःख का अनुभव चलता रहेगा। यही भव सागर है। इससे मुक्त होना ही मोक्ष व आनन्द है।
💐श्वेता, DIYA
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