Thursday 22 October 2020

प्रश्न - विद्यार्थी को कब किस समय पढ़ना चाहिए कि उसका मन पढ़ाई में लगे?

 प्रश्न - विद्यार्थी को कब किस समय पढ़ना चाहिए कि उसका मन पढ़ाई में लगे?

उत्तर - उत्तम ब्रह्ममुहूर्त पढ़ाई के लिए होता है, इस वक्त दिमाग बड़ी तेजी से सीखता है। मध्यम गहन रात्रि का समय होता है जब सब सो रहे होते हैं। भीड़ व शोरगुल दिन में जहां होता है वहाँ पढ़ना मुश्किल होता है।

लक्ष्यविहीन विद्यार्थी किसी भी समय पढ़े लाभ न होगा, जिस विद्यार्थी के पास एक लक्ष्य है, उसे पता हो कि उसे क्यों पढ़ना है, तब वह किसी भी समय पढ़ेगा उसे लाभ मिलेगा।

समय में तन नहीं अपितु मन गति करता है। पढ़ाई तन को नहीं मन को करनी है। मन तभी पढ़ाई के लिए उपलब्ध होगा जब उसे पढ़ाई की आवश्यकता क्लियर होगी।

जब विद्यार्थी एक लक्ष्य का चुनाव करने में सफल होता है, कि मुझे कुछ बनना है। कुछ अलग करना है। मुझे इन करोड़ों इंसानों के बीच एक अपनी अलग पहचान बनानी है। लोग मुझे मेरे नाम से जाने। मेरे मरने के बाद भी मेरा नाम लोग याद करें। जब कुछ इस तरह का भाव और कल्पना विद्यार्थी करता है, उस कल्पना को करके आनन्द की अनुभूति करता है। जैसे कॉमर्स चुना तो, चाणक्य की तरह देश की अर्थव्यवस्था को बेस्ट बनाने के लिए कुछ करूँगा। भ्रष्टाचार मिटा दूंगा। कुछ ऐसा मेथड डेवलप करूंगा कि मेरे देश की अर्थव्यवस्था दुनियां में सर्वश्रेष्ठ हो जाये।

या मैं वकील बनूँगा, कानून की उन बारीक़ विधाओं में एक्सपर्ट बनूँगा, कि जो केस मेरे पास आये उसमें विजय सुनिश्चित हो। विश्व मे जाना माना वकील बनूँगा।

या मैं डॉक्टर बनूँगा, ऐसा सिस्टम बनाऊंगा कि चिकित्सा सस्ती और बेहतर बने, देश का सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक बनूँगा। या देश का सर्वश्रेष्ठ साइंटिस्ट बनूँगा या सफ़ल व्यवसायी बनूँगा।

जो भी बनूँगा, बेस्ट बनूँगा। ये पुस्तकें मेरे जीवन लक्ष्य का मार्ग है इनसे गुज़र कर मंजिल तक पहुंचूंगा।

यदि खिलाड़ी बनूँगा, तो देश को गोल्ड मेडल से भर दूंगा, ये कठिन परिश्रम मेरे लक्ष्य का मार्ग है, बिना कठिन दर्द सहे मेरी माँ मुझे जन्म नहीं दे सकी तो, सफ़लता को जन्म देने हेतु सदबुद्धि से प्लान करके कठिन परिश्रम से लक्ष्य तक पहुंचूंगा।

बिना लक्ष्य मोटिवेशन नहीं मिलेगा और फोकस भी नहीं आएगा।अतः लक्ष्य निर्धारण सबसे जरूरी है।

लक्ष्य क्लियर है तो बड़े लक्ष्य के छोटे छोटे मॉड्यूल बनाने पड़ेंगे। उन छोटे छोटे मॉड्यूल के भी स्टेप्स बनाने पड़ेंगे।

जैसे किसी को खिलाड़ी बनना है तो पहले उस खेल की बारीकी समझ के, उसके लिए स्वयं को तैयार करना। पहले अपने स्कूल में चैंपियन बनें, फिर शहर , फिर राज्य, फिर देश, फिर दुनियां में बेस्ट बनने की प्लानिंग कर क्रमशः सरल से कठिन और कठिनतम मेहनत बुद्धि लेवल पर और शरीर लेवल पर करें।

यदि पढ़कर कुछ बनना है। तो उस सब्जेक्ट की बारीकी समझें कि यह सब्जेक्ट पढ़कर क्या हासिल करने जा रहे हैं। यह विषय बनाया क्यों गया। इसका फ़ायदा एनालिसिस करें। फ़िर क्रमशः वर्तमान क्लास के एग्जाम के दिन को नोट कर लें। जितने सब्जेक्ट हैं उन्हें यदि एग्जाम में 100 दिन शेष हैं, तो स्वयं के लिए मात्र 50 दिन माने। पहले पुस्तक के इंडेक्स को पढ़े कि इसमें क्या क्या है। फिर पिछले 7 वर्षों के प्रश्न पत्र बैंक उठा लें। औऱ उस प्रश्न बैंक को कम से कम 10 बार पढ़ें केवल प्रश्न। अब कॉमन प्रश्न जो पिछले 7 वर्षों के छाँट ले। प्रश्न पत्र के पैटर्न समझें कि किस तरह के प्रश्न आते हैं। फ़िर उन सभी पांच वर्षों के प्रश्नों को याद करके उनके उत्तर नोट कर लें। पढ़ लें। ये सोच के पढ़ाई करें कि स्वयं के कोचिंग टीचर आप स्वयँ ही हैं। क्यूंकि प्रश्न बैंक पिछले 7 वर्ष के आपको आइडिया दे देगा कि वास्तव में एग्जाम में होगा क्या आपका दिमाग चुम्बक/मैगनेट बनके उन प्रश्नों के उत्तर आपके दिमाग में फीड कर देगा।

समय को पहले पकड़ा जा सकता है बाद में नहीं। सुबह 3 से 6 बजे के बीच पौधा बढ़ता है और इंसान का दिमाग़ भी बढ़ता है। जो बच्चा 5 बार गायत्री मंत्र पढ़कर इस समय पढ़ने में उपयोग करता है वो कम समय मे ज्यादा पढ़ सकता हैं। रात को जल्दी सोए।

बच्चे लक्ष्य दो तरह से निर्धारित होता है, या तो स्वयं के लिए लक्ष्य चुन लो या स्वयं पर विश्वास न हो तो माता पिता के सुझाये लक्ष्य को अपना 100% प्रयास दे दो।

यदि ख़ुद का जीवन लक्ष्य चुनना है, स्वयं की लाइफ़ किक चाहिए तो स्वयं के भीतर उतरना होगा। कम से कम 3 महीने रोज आधे घण्टे ध्यान करना होगा। पूजा स्थल पर करो या सोफासेट पर बैठ के, कहीं भी कर सकते हो। जो भगवान पसन्द हों उनसे जीवन लक्ष्य ढूंढने में मदद मांगो, 15 मिनट गायत्री मंत्र उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए मन ही मन जपो। अब बिना मन्त्र जपे शांत चित्त से फोन और टीवी बन्द करके, आती जाती श्वांस को बिल्डिंग के चौकीदार जैसे गाड़ियों पर नज़र रखता है वैसे ही आपको अपनी श्वांस पर नज़र रखना है।

इसके बाद एक पेन पेपर पर रोज़ 10 चीज़े लिखो जिसे करने पर आप ख़ुश होते हो, और 10 चीज़े वो लिखो जिसे करने पर आप दुःखी होते हो।

आधे घण्टे का यह नियमित क्रम तीन महीने में आपके भीतर जमे सभी कचरे को साफ करके अंतर्दृष्टि दृष्टि देगा। आप जान जाएंगे कि वास्तव में आप क्या बनना चाहते हैं?, और क्यूँ चाहते हैं?, और लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु प्लान कैसे बनाओगे?

एक बात याद रखो, सफ़लता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। बल्कि सफ़लता के लिए स्मार्ट और प्रॉपर प्लानिंग(Smart & Proper Planning), एक्सीक्यूशन(Execution) और हार्ड वर्क(Hard Work) की जरूरत होती है।

एक बात और, कोई माता पिता अपने बच्चे को घर मकान और बना बनाया व्यवसाय वसीयत में दे सकते हैं, लेकिन ज्ञान की विरासत (Skill Set) योग्यता पात्रता वो दान नहीं दे सकते, मार्गदर्शन वो कर सकते हैं कोच की भूमिका निभा सकते है, लेकिन ज्ञानार्जन, योग्यता पात्रता बच्चे को स्वयं अर्जित करनी पड़ती है।

💐श्वेता, DIYA

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...