प्रश्न - क्या शिक्षा का उद्देश्य मात्र नौकरी करना है?
उत्तर - "शिक्षा(पढ़ाई)" एक चाकू की तरह है, यह उपयोग करने वाले पर निर्भर करता है कि वह इसका उपयोग फल की सलाद काटकर बेचने के लिए प्रयोग करेगा, या घर में सब्जी काटेगा, या चाकू दिखाकर लूटपाट मर्डर करेगा, या इसकी मदद अस्पताल में मरीज के उपचार हेतु करेगा।
एक बेचारा अशिक्षित छोटी मोटी चोरी व लूटपाट कर सकता है, लेकिन एक शिक्षित तो बड़े बड़े स्कैम व बड़े बड़े घोटाले करता है।
कोई मात्र इसलिए शिक्षा लेता है, कि वह पेट, प्रजनन, आवास व जरूरी आवश्यकता की पूर्ति हेतु इसका उपयोग कर सके। अतः कमाने हेतु शिक्षा का उपयोग कर नौकरी ढूंढता है व पशुवत पूरा जीवन जीता है।
कोई शिक्षा का उपयोग स्वयं के कल्याण के साथ साथ समाज व राष्ट्र के उत्थान हेतु करता है। शिक्षा के उपयोग से भगवान की बनाई सृष्टि को और ज्यादा व्यवस्थित व सुंदर बनाने की कोशिश करता है।
मनुष्य की पांच श्रेणी है, जो उसे चुने हुए जीवन लक्ष्य अनुसार शिक्षा के प्रयोग को दर्शाती है:-
देवमानव (देवता जैसा मनुष्य, लोककल्याण करने वाला)
महामानव (महान इंसान, अच्छे कार्य करने वाला)
मानव (इंसानियत व मानवतावा से युक्त इंसान)
मानव पशु (नर पशु - पेट प्रजनन के लिए जीने वाला)
दानव(नर पिशाच - दुनियाँ का उत्पीड़न व शोषण करने वाला)
निर्णय के अनुसार परिणाम होगा।
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