कुछ प्रश्न पूँछिये स्वयं से कभी प्यार हुआ है या नहीं पता चल जाएगा :-
1- क्या जन्म देने वाली माता से प्यार हुआ, जिसके रक्त मांस मज्जा से शरीर बना है, जिसने तुम्हारे वात्सल्य में अपने रक्त को दूध में परिवर्तित कर तुम्हारी भूख शान्त की। न जाने कितनी रात तुम्हारे लिए सोई नहीं। नौ महीने तो गर्भ में उसके रहकर आ रहे हो।
2- क्या कभी जन्मदाता पिता से प्यार हुआ, जो तुम्हें व तुम्हारी माता के लिए दिन रात मेहनत करके सम्हाला। जिस के साथ तुम सुरक्षित महसूस किए।
3- तुम युवा हो और उम्र के इस मोड़ पर हार्मोन्स शरीर में बदलते हैं, काम वासना जागृत होती है। भूखा व्यक्ति भोजन से प्रेम नहीं करता, क्योंकि वह भूखा है इसलिए भोजन की ओर आकृष्ट होता है। इसीतरह वासना की भूख है व किसी के प्रति आकर्षित हो रहे हो यह प्रेम नहीं है।
4- प्रेम - प्यार में आपको किसी का साथ अच्छा लगता है, उससे आपकी वासना पूर्ति हो या न हो। मग़र उसकी उपस्थिति मन को सुकून देती है। उसको याद करना करना मन को ऊर्जा से भर देता है। उसका साथ जीवन को पूर्ण बनाता है। जब मन उसकी ख़ुशी के लिए स्वयं कष्ट सहने को तैयार हो जाता है। तभी वस्तुतः असली प्यार होता है।
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