प्रश्न - आपको क्या लगता है कि आपने जीवनरूपी पहेली को सुलझा लिया है?
उत्तर - वाद्य यंत्र व सङ्गीत कोई पहेली नहीं जिसे सुलझाकर संगीतज्ञ या वादक बना जा सकता है। यह एक साधना है जिसे करते हुए पूरी उम्र भी गुजार दो तो भी लगेगा कि अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
जीवन भी सङ्गीत की तरह एक साधना है, जीवन जीना भी एक कला है। यह कोई पहेली नहीं है कि जिसे सुलझाकर होशियारी दिखाई जा सके। कर्म में कुशलता बढ़ाकर, ईश्वरीय निमित्त बनकर आत्मकल्याण व लोककल्याण के कार्य करते हुए। आसक्ति का त्याग करना व कर्म के बन्धन में न बन्धना ही जीवन जीने की कला है। जिसे हैंडल कर सकते हो कर लो, जिस पर जोर नहीं उसे सह लो।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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