प्रश्न - क्या दिन रात भगवान की मात्र प्रार्थना करने से धनवान बना जा सकता है?
उत्तर - जिस प्रकार कोई व्यक्ति कहे कि मैं आपको पेट्रोल दूंगा, क्या बिना गाड़ी मात्र पेट्रोल की सहायता से आप दिल्ली से गुरुग्राम जा सकते हैं? तो आपका जवाब होगा नहीं जा सकते। क्योंकि यात्रा के लिए ईंधन व गाड़ी दोनो जरूरी है।
इसीतरह प्रार्थना व पुरुषार्थ दोनो जरूरी है धनवान बनने के लिए..
किस्मत का लॉकर अक्सर दो चाबियों को साथ लगाने से खुलता है, एक चाबी है प्रार्थना व दूसरी चाबी है पुरुषार्थ।
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा । जो जस करहि सो तस फल चाखा ॥
अर्थ - भगवान ने यह सृष्टि कर्म प्रधान बनाई है, जो जैसा करेगा व्व वैसा भरेगा। जो बोवोगे वही काटोगे।
सकल पदारथ हैं जग मांही । करमहीन नर पावत नाहीं।।
अर्थ - इस संसार मे समस्त पदार्थ व वैभव मात्र पुरुषार्थी के लिए उपलब्ध है, लेक़िन जो पुरुषार्थी नहीं वह वंचित रहेगा।
वीर भोग्या वसुंधरा
अर्थ - यह धरती वीरों व पुरुषार्थी के भोगने योग्य है।
उद्यमी पुरुष: बपुत: लक्ष्मी:
उद्यम करने वाले पुरूषार्थ करने वाले पुरुष को लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
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