तीन गुब्बारे लो, तीनों में अलग रँग का जल भर दो। एक जल में सुगंधित द्रव्य और दूसरे में बदबू वाला कुछ डाल दो। तीसरे को सामान्य रख दो।
अब एक आलपिन से सबमें छेद करो। तो जिसमे जो भरा होगा वही बाहर आयेगा। सुगन्धित द्रव्य वाला सुगंध बिखेरेगा, बदबू वाला बदबू और सामान्य वाला सामान्य रहेगा।
इसीतरह छोटी छोटी बातें पिन हैं जो तुम्हारे मन में चुभोई जाती हैं। पहले तुम अभी की अपेक्षा खुश रहते थे, तो यह छोटी बाते हैंडल हो जाती थीं। अब वर्तमान में तुम असंतुष्ट व फ्रस्ट्रेशन से क्रोध से किसी न किसी कारण से भरे हो। जब यह छोटी बातों के पिन मन केन चुभते हैं तुम्हारे भीतर भरा क्रोध फ्रस्ट्रेशन व असंतुष्टि निकलने लगती है।
वस्तुतः तुम यह नियंत्रित नहीं कर सकते कि पिन न चुभे या कोई मुझे गुस्सा न दिलाये। तुम्हें तो स्वयं के अंदर नित्य ध्यान,स्वाध्याय और अच्छे चिंतन की इतनी सकारात्मक ऊर्जा मन में भरनी है कि कोई तुम्हारे मन मे छोटी छोटी बातों से पिन चुभोये तो उससे सकारात्मक ऊर्जा इतनी निकले कि तुम्हारे साथ साथ उसका भी कल्याण हो जाये।
रोज रात को सोने से पूर्व मन से नकारात्मक चिंतन हटाने हेतु कुछ सकारात्मक विचार पढ़कर व मन्त्र जप कर सोना। सुबह ईश्वर को जीवन के लिए धन्यवाद देना। आधी ग्लास खुशियों से भरी व आधी खाली है। अपनी दृष्टि आधी भरी की ओर देखो व मन में उत्साह का संचार करो।
आनन्दमय मन एक जल स्त्रोत की तरह है, उसमें क्रोधाग्नि की चिंगारी कोई बाहर से फेंकेगा तो वह स्वतः बुझ जाएगी।
असंतुष्ट व फ्रस्ट्रेशन से भरा मन पेट्रोलियम से भरा कुंआ है, उसमें जब क्रोधाग्नि की चिंगारी कोई बाहर से फेंकेगा तो क्रोध का ब्लास्ट होगा।
अतः स्वयं के मन पर कार्य करो और उसे आनन्दमय जलस्रोत में परिवर्तित करो।
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