Friday, 19 March 2021

प्रश्न - मन्त्र का आकर्षक होना जरुरी है या तकनीकी रूप सही व प्रभावी होना ज्यादा जरूरी है? गायत्री मंत्र की ध्वनि रचना किस तरह का प्रभाव मानव जीवन में डालती है?

 प्रश्न - मन्त्र का आकर्षक होना जरुरी है या तकनीकी रूप सही व प्रभावी होना ज्यादा जरूरी है? गायत्री मंत्र की ध्वनि रचना किस तरह का प्रभाव मानव जीवन में डालती है?


उत्तर-  अगर आप ध्वनियों को एक ख़ास पैटर्न या ढांचे में रखें,तो उनका एक ख़ास प्रभाव पड़ता है। हमारी संस्कृति में, हमने ऐसे अलग अलग ढांचों को खोजा और मन्त्र बनाये। मन्त्र, ध्वनि की एक तकनीकी रूप से सही व्यवस्था है, लेकिन इसका सुंदरता की दृष्टि से आकर्षक होना जरुरी नहीं है। एक मन्त्र का सुंदरता की दृष्टि से आकर्षक होने की बजाय, आध्यात्मिक तौर पर तकनीकी रूप से सही होना ज्यादा महत्वपूर्ण है। मन्त्र किसी धर्म या संप्रदाय का नहीं होता, वह पूजा की कोई पद्धति भी नहीं होता। वे बस महत्वपूर्ण ध्वनियां हैं जो आप के लिये ब्रह्माण्ड का हर आयाम खोल सकती हैं। यौगिक विज्ञान में कुछ पद्धतियां हैं, जिनसे आप अपने अंदर ही किसी मन्त्र को थामते हैं और उसे विकसित करते हैं। बहुत से योगी अपना सारा जीवन, बस अपने अंदर एक ही मन्त्र को विकसित या सिद्ध करने में लगा देते हैं। तो, मन्त्र कोई ऐसी वस्तु नहीं है जो आप कहते हैं, मन्त्र वो है जो आप बनना चाहते हैं। अगर आप स्वयं एक चाबी की तरह हो जायें, तो इससे आप के अंदर जीवन का एक नया आयाम तथा अनुभव खुल जाएगा।


ॐ भूर्भुवः स्वः, तत् सवितुर्वरेण्यं,

भर्गो देवस्य धीमहि,

धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

-- ( विश्वामित्र )

हिन्दी में भावार्थ

उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।


मंत्र जप के लाभ


गायत्री मंत्र का नियमित रुप से तीन माला जप करने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियाँ बिलकुल नहीं आती। 


गायत्री मंत्र जप करते करते साधक मन्त्र के अनुसार इस तादात्म्य एक रूप होकर तरह रूपांतरित होंने लगता है कि वह स्वयं प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप बनने लगता है और एक दिन बन जाता है। नर से नारायण बनने की ओर अग्रसर होने लगता है, देवमानव बन जाता है।


जप से कई प्रकार के लाभ होते हैं, व्यक्ति का तेज बढ़ता है और मानसिक चिंताओं से मुक्ति मिलती है। बौद्धिक क्षमता और मेधाशक्ति यानी स्मरणशक्ति बढ़ती है।


गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर होते हैं, यह 24 अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं।


इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मंत्र को सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है।

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