Sunday, 7 March 2021

महिला दिवस

 महिला दिवस


संसार में उन्हीं जीवों को संरक्षण दिया जाता है जो घट रहे हैं, उन्ही का दिवस मनाया जाता है जिनका वजूद याद करवाने की आवश्यकता आन पड़ती है।


जीवन दायी पर्यावरण खतरे में पड़ा व उसके बिना जीवन नहीं इसलिए पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा। योग लोग भूल रहे थे जिसके बिना स्वास्थ्य नहीं, इसलिए योगदिवस शुरू हुआ। महिलाएं जिनके बिना जीवन नहीं है, जिनके अधिकारों का हनन रोकने व उनके सम्मान को पुन:स्थापित करने के लिए महिला दिवस की शुरुआत हुई। कन्या भ्रूण हत्या भारत जैसे देशों के लिए आज भी बहुत बड़ी समस्या है।


अब प्रश्न यह उठता है कि महिला दिवस को क्या प्रतीकात्मक रूप से मनाकर खानापूर्ति पर्याप्त है या कुछ ठोस कदम भी उठाने अवश्यक है?


पर्यावरण मनाने से पर्यावरण संरक्षित होगा या इस दिन नए सङ्कल्प व कार्ययोजना वृक्षारोपण, जलस्त्रोत की सफाई व वृक्षो के कटाव रोककर पर्यावरण सरंक्षित होगा? स्वयं विचार करें...


इसीतरह महिलादिवस मनाने से महिलाशशक्तिकरण होगा या इस दिन नए संकल्पों के साथ महिलाओं की शिक्षा, आत्मविश्वास बढ़ाने की कार्यशाला, स्व-सुरक्षा हेतु कार्यशाला, आत्मनिर्भर बनने हेतु कार्यशाला व यथासम्भव मदद करने से महिलाशशक्तिकरण होगा।


एक जागरूकता की शुरुआत हमारे घरों से ही शुरू करें, बराबरी का अधिकार घर में बच्चों व परिवार में शुरू करें। आसपास मनोबल बढ़ाने हेतु अच्छी पुस्तकों - वीरांगनाओं के जीवन चरित्र पढ़े और पढ़ाएं। सफल महिलाओं के संघर्षों से प्रेरणा लें व दूसरों को प्रेरित करें।


स्त्री एक दूसरी स्त्री की मददगार बने, भाई लोग भी मदद को आगे आएं। मिलकर एक बेहतर समाज बनाने हेतु कुछ कार्य करें। 


मात्र आर्थिक रूप से सक्षम बनने से महिला शशक्तिकरण नहीं होगा, महिला की स्थिति में सुधार समाज की महिलाओं के प्रति सोच बदलने से होगा। जिस दिन विवाह के खर्च के लिए दहेज़ की जरूरत न पड़े, परिवारों में बुर्के व घूंघट हट जायें, जब सब साथ एक साथ भोजन करे, दोनो  मिलकर घर व बाहर सम्हाले, लड़कियां समाज मे सुरक्षित हों और कोई कन्या जन्म लेने से पहले ही गर्भ में न मारी जाए। तब ही महिला दिवस की सार्थकता सिद्ध होगी।


सम्मान भीख में नहीं मिलता, इसलिये अपने आसपास की कन्याओं को इतना योग्य बनाओ कि वह सम्मान को अर्जित कर सकें। स्वाभिमान से सर उठा के जियें।


गायत्री परिवार में परमपूज्य गुरुदेव ने महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिया, गायत्री मंत्र जप अनुष्ठान के साथ साथ यज्ञ पुरोहित बनने का अधिकार दिया। 65% महिलाएं यज्ञ करवाने की कुशलता रखती हैं। यह है जीवंत नारी शशक्तिकरण का उदाहरण।



🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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