Saturday 10 April 2021

प्रश्न - एकाग्रता (concentration) कैसे प्राप्त करें?

 प्रश्न - एकाग्रता (concentration) कैसे प्राप्त करें?


उत्तर - किसी भी चीज़ को किसी एक बिंदु पर चिपकाने के लिए या तो गोंद की जरूरत होती है, वैसे ही चित्तवृत्तियों व विचारों को एक उद्देश्य एक लक्ष्य हेतु चिपकाने(एकाग्र करने) हेतु लक्ष्य के प्रति प्रेम रूपी गोंद की आवश्यकता है।


यदि आपका मन किसी कार्य पर एकाग्र नहीं हो रहा इसका अर्थ आप उससे प्रेम नहीं करते। 


जिससे प्रेम हो मन उसके प्रति स्वतः एकाग्र हो जाता है। माता को नवजात शिशु से इतना प्रेम होता है कि बिना प्रयास ही वह उसके प्रति ध्यानस्थ एकाग्र होती है। प्रेमिका प्रेमी के लिए एकाग्र होती है। वैज्ञानिक अपने खोज, अपने अविष्कार के प्रति स्वतः एकाग्र होते हैं, चित्रकार-मूर्तिकार घण्टो अपनी कला में एकाग्र होते हैं क्योंकि वह उसे प्रेम करते है। यह प्रेम ही जुनून जगाता है, एकाग्रता लाता है।


जब तक पढ़ाई से प्रेम न करेंगे तब तक उसके प्रति एकाग्र न होंगे। जबतक अपने जॉब से प्रेम न करेंगे तब तक एकाग्र न होंगे।


उदाहरण के तौर पर वैवाहिक सफलता के लिए या तो प्रेमविवाह करें, नहीं तो अरेंज विवाह के बाद प्रेम करें। पहले बाद से फर्क नहीं पड़ता, फ़र्क़ तब तक पड़ेगा जबतक प्रेम अस्तित्व में रहेगा।

इसीतरह या तो वह कार्य करें जिससे प्रेम करते हैं, अन्यथा जो कर रहे हैं बस उससे प्रेम करना शुरू कर दें। 


अपने कार्य में जितनी रुचि लेंगे, जितना प्रेम करेंगे तब ही समस्त कठिनाइयों को पार करने की शक्ति व साहस भीतर से आएगा व चित्तवृत्तियाँ स्वतः एकाग्र होंगी। असम्भव भी सम्भव करने की क्षमता विकसित होगी।


सफल व्यक्ति कुछ नया नहीं करते, अपितु उसी साधारण कार्य को असाधारण तरीके से करने की कोशिश करते हैं। तब वह साधारण ही असाधारण व शानदार बन जाता है।


कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता, अपितु उसे करने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व के व उसके कार्य के प्रति प्रेम व जुनून से वह कार्य बड़ा हो जाता है व शानदार प्रभाव देता है।


अपने कार्य से प्रेम कीजिये, यदि विद्यार्थी है तो ज्ञान से प्रेम करना शुरू कीजिए, ज्ञानार्जन के महत्त्व पर चिंतन कीजिये उसके महत्त्व को समझिए। तब प्रेम व श्रद्धा से पढ़ने बैठिए मन अवश्य लगेगा।


यदि जॉब कर रहे हैं या व्यवसाय कर रहे हैं, उस कार्य के प्रति प्रेम जगाइए क्योंकि वह आपकी रोजी रोटी है, उससे ही घर चल रहा है। अपने कार्य के प्रेम में उसे बेहतरीन करने की ताकत व योग्यता बढ़ाइए।


भक्त है साधक है, तो स्वयं कौन है जानिए, जिस परमात्मा का अंश है उनका निरंतर चिंतन कीजिये। जिसने सृष्टि बनाई जो कण कण में व्याप्त है बस उनके प्रेम में पड़ जाइये। अटूट प्रेम कीजिये, यह प्रेम बन्धन आपका चित्त ईश्वर से बांध देगा, तब ध्यान स्वतः लगेगा। 


प्रेम की ताकत समझिए, प्रेम जो भी कार्य कर रहे हैं उससे कीजिये। प्रेम वह ईंधन है,  जो कार्य को करने की शक्ति, साहस, योग्यता,ऊर्जा व एकाग्रता देगा। 


प्रेम ही वह फेवीक्विक गोंद है, जो आपको स्वयं द्वारा बनाये  लक्ष्य की ओर एकाग्र करेगा, आगे बढ़ने की गति देगा।


करत करत अभ्यास से, जड़मति होत सुजान।

रसरी आवत जात ही, सल पर पड़त निशान।।


जब लक्ष्य से प्रेम होगा, निरंतर अनवरत उसे पाने का प्रयास होगा तो एकाग्रता स्वतः उस ओर होगी। तन्मय तल्लीन होकर इच्छित कार्य कीजिये सफलता निश्चयत: मिलेगी।


🙏🏻श्वेता, DIYA

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