युगनिर्माण में जो आहूत कर सकें प्राण,
उसे सद्गुरु श्रीराम बुलाते हैं।
जो भाव संवेदना का कर सके जन जन में संचार,
उसे मां भगवती बुलाती है।
जो योग की अग्नि में कर सके स्नान,
उसे सद्गुरु श्रीराम बुलाते हैं,
जो जन जन से कर सके प्यार,
उसे माँ भगवती बुलाती है।
जो भटके हुओ को दिखा सके राह,
उसे सद्गुरु श्रीराम बुलाते हैं,
जो धो सके दूसरों के घाव,
उसे माँ भगवती बुलाती है।
हे शिष्य प्राणवान,
तुम्हे हम याद दिलाते हैं,
सद्गुरु श्रीराम काज के लिए हो तुम जन्मे,
यह हम तुम्हें भान कराते हैं।
पहले था रावण एक ही धरा पे,
जिसको प्रभु श्रीराम ने संघारा।
तब नर वानर रूप में,
सबने प्रभु का साथ था निर्वाहा।
जग में हे वीर सुजान सभी,
श्रीराम संग उनके भी गुण गाते हैं॥
है धरम संकट छाया,
कलियुग में फिर से,
हैं लाखों रावण अब तो यहाँ पे,
कब तक लड़े प्रज्ञावतार सद्गुरु अकेले।
जरा देख लगा के ध्यान,
तुम्हे तुम्हारे सद्गुरु श्री राम बुलाते हैं।
जरा अंतर्मन की सुन गुहार,
तुम्हे माँ भगवती बुलाती है।
है भगवान जी भक्त तेरे बिन अधूरे,
है सद्गुरु भी प्रिय शिष्य तेरे बिन अधूरे।
सद्गुरु के सपने करने को पूरे,
आजा माँ भगवती गुरुदेव के दुलारे।
करने जग का कल्याण,
तुम्हे सद्गुरु श्री राम बुलाते है,
करने भक्ति का संचार,
तुम्हे मां भगवती बुलाती हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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