प्रश्न - मनुष्य जीवन का मूल लक्ष्य (Ultimate Goal) क्या होना चाहिए?
उत्तर - मानव अस्तित्व बीच में है, दो तल ऊपर - महामानव व देवमानव के हैं और दो तल नीचे क्रमशः मानवपशु और मानवपिशाच हैं।
निम्न को 5 माने और 1 को उच्च माने तो 1- देवमानव, 2-महामानव, 3-मानव, 4-पशु मानव, 5-मानव पिशाच
हम जब जन्मते हैं तब हम बीच में 3- मानव होते हैं।
मनुष्य अच्छे कर्मो से ऊपर की ओर और बुरे कर्मो से नीचे की खाई की ओर गमन करता है।
मनुष्य के जीवन का उद्देश्य स्वयं में देवत्व का उदय कर, अच्छे कर्मों व शुभ विचारों से 1-देवमानव बनना चाहिए। देवमानव ही परमात्म चेतना से एकाकार व उनकी कृपा, अनुदान, वरदान के हकदार बनते हैं।
हम परमात्मा के अंश है, परमात्मा सद्गुणों व सत्कर्मों का समुच्चय है। उसके जैसा बनना ही जीवन लक्ष्य होना चाहिए। यही मुक्ति व आनन्द मार्ग है। जितने अंशो में देवत्व जगेगा उतने अंशो में आनन्दमय मन और तृप्त-संतुष्ट आत्मा होगी।
आत्मसाक्षात्कार देवमानव को स्वतः हो जाता है, क्योंकि दैवीय नेत्र स्वयं के मूल तत्व आत्मा को जानने व परमात्मा से एकत्व स्थापित करने में सक्षम होते हैं।
💐श्वेता,DIYA
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