तुम्हारा दिमाग़ खराब है, घर मे अशांति है इत्यादि के लिए भगवान को दोष क्यों देते हो भाइयों व बहनों?
एक युवा लड़का या लड़की घर से निकलकर मन्दिर जाएगा या पब(शराब की दुकान) जाएगा यह निर्णय उसका है, तद्नुसार उसका कर्म का फल मिलेगा।
एक गृहस्थ स्त्री या पुरुष सुबह उठकर घर के मन्दिर में दीपक जलाकर पूजन करेगा या रिमोट दबाकर टीवी खोलेगा यह निर्णय उसका है, तद्नुसार उस कर्म का फल मिलेगा।
भगवान की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता यदि यह कहावत सच्ची होती, तुम परतंत्र जीव हो यह बात सच्ची होती, तुम यदि भगवान के कंट्रोल में होते तो भगवान जबरन हर युवा लड़के लड़की को मन्दिर जाने पर विवश करता और शराब की दुकान पर ताला लगा होता। गृहस्थ के घर कभी सुबह टीवी नहीं चलती, घर के पूजन स्थल में दिया जलता व घण्टी बजती, पूजन होता।
शर्म नहीं आती, वर्तमान परिस्थितियों के लिए भगवान को दोष देते हुए...
ध्यान करोगे तो लाभ मिलेगा व शराब पियोगे तो हानि होगी यह कर्म का फल है। जो बो रहे हो वही न काट रहे हो भाइयों व बहनों... फ़िर भगवान को दोष क्यों देते हो भला बुरा क्यों कहते हो?
गुलाम बनना नहीं चाहते, स्वतंत्र रहना चाहते हो मगर जिम्मेदारी स्वयं की उठाना नहीं चाहते..यह नाकारापन तुम्हे क्या शोभा देता है? स्वयं विचार करें...
💐श्वेता, DIYA
No comments:
Post a Comment