आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या का जीवन परिचय
युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव के वंशज एवं उनकी आध्यात्मिक धरोहर एवं उनके कार्यो को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पित।
आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या नाम सुनते ही मन में एक आदर्श युवा की छवि उभरती है, एक ऐसा युवा जो ब्रिटेन जैसे शाही देश में डॉक्टर की सर्विस त्यागकर अपनी मातृभूमि की सेवा के भाव से पुनः देश लौटे। 2010 से लगातार देव संस्कृति विश्वविद्यालय में प्रतिकुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे है, साथ-साथ राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर की कई नामी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे है।
वर्त्तमान में डॉ चिन्मय पंड्या अध्यात्म के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नोबेल पुरस्कार के समकक्ष टेम्पल्टन पुरस्कार की ज्यूरी के मेंबर भी है, जो कि समूचे भारतवर्ष के लिए गर्व और गौरव की बात है क्योंकि पहले भारतीय है जो इस पुरस्कार की चयन समिति के सदस्य है। "युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी" एवं "वन्दनीया भगवती देवी शर्मा माता जी" की प्रिय पुत्री "श्रद्धेया शैल जीजी" इनकी माता हैं और वर्तमान में अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख "श्रद्धेय डॉ प्रणव पंड्या जी" इनके पिता हैं। करोड़ों गायत्री परिजनों के आस्था के केंद्र युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी व माता भगवती देवी शर्मा की गोदी में खेलने का सौभाग्य बचपन में इन्हें प्राप्त हुआ।
करिश्माई व्यक्तित्व के धनी आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या भारतीय संस्कृति को वर्तमान की तमाम समस्याओं के समाधान के रूप में देखते है। इनके ओजस्वी भाषण सुनने को हर कोई लालायित रहता है। यह अपने धाराप्रवाह उद्बोधन से श्रोताओं को भीतर से झकझोरकर सकारात्मक दिशा में सोचने को मजबूर कर देते है। भारतीय वेशभूषा धोती-कुर्ते व खड़ाऊ धारण किये डॉ पंड्या बेहद विनम्र स्वभाव के धनी है।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय को परिवार की भांति संचालित करके डॉ पंड्या प्रतिकुलपति के साथ अभिभावक की भूमिका का निर्वहन कर रहे है। इसी का नतीज़ा है कि विद्यार्थी प्यार से इन्हें भैया भी कहते है। यहाँ वर्तमान में अध्ययनरत हो या पुराना कोई भी विद्यार्थी सहजतापूर्वक इनसे मिल सकता है। नित्य नये प्रयोग करने का स्वभाव इनके व्यक्तित्व में चार चांद लगाता है।
प्रत्येक पुरुषार्थी व समाज के विभिन्न क्षेत्रों में जन जन की सेवारत युवा इनसे मार्गदर्शन लेते हैं। परम्पपूजय गुरुदेव के प्यार की प्यार व सेवा का जो व्यक्तित्व लोगों ने सुना होगा उसकी झलक झांकी हमें आदरणीय चिन्मय भैया में देखने को मिलती है। उनसे मिलने वाले आध्यात्मिक हो या साधारण जन एक दिव्यता व ऊर्जा का अनुभव अवश्य करते हैं। युगऋषि के ज्ञान व माता वन्दनियाँ के प्यार की झलक उनमें मिलती है।
बेहद कम समय में डॉ पंड्या ने काफी ऊँचे मुकाम हासिल किये है। इसलिए कुछ लोगो का इनसे ईर्ष्या करना भी स्वभाविक है।
संयुक्त राष्ट्र संगठन यूएनओ द्वारा विश्व शांति के लिए गठित अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक आध्यात्मिक मंच के निदेशक के साथ ही इंडियन काउंसिल ऑफ कल्चरल रिलेशन के परिषद् सदस्य जैसे महत्वपूर्ण दायित्व निभा रहे हैं।
बीते साल ब्रिटेन रॉयल मेथोडिस्ट हॉल में फेथ इन लीडरशिप संस्थान द्वारा विभिन्न धर्मों के आपसी सद्भाव विषय पर डॉ पंड्या ने अपने विचार रखे, जिसमें प्रिंस चार्ल्स, कैंटरबरी के आर्कबिशप, यहूदियों के मुख्य आचार्य, ब्रिटेन के गृहमंत्री एवं प्रधानमंत्री कार्यालय के समस्त पदाधिकारी उपस्थित थे। डॉ पंड्या के विचार से प्रभावित होकर उन्हें दूसरे दिन हाउस ऑफ लॉर्डस में अपने विचार व्यक्त करने को आमंत्रित किया गया।
आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी ने दो साल पूर्व इथोपिया में आयोजित यूनेस्को के सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। नतीज़न योग को वैश्विक धरोहर का दर्जा मिला। इसी साल वियना में हुए संयुक्त राष्ट्र धर्म सम्मेलन में डॉ पंड्या ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनके वक्तव्य से प्रभावित होकर पाकिस्तानी धर्म गुरुओं ने उन्हें पाकिस्तान आने का न्यौता दिया।
ऐसी उपलब्धियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है, जो उनके प्रखर व्यक्तित्व की वैश्विक छाप को दर्शाती है। इनकी अब तक की जीवन यात्रा को देखकर लगता है आने वाले दिनों में ये कामयाबी कई बड़े कीर्तिमान स्थापित करने वाले है।
महान आत्मा चिन्मय जी के श्री चरणों में सादर नमन
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Deletepriyarwar vaad ki koi limit naji hai... bante rahe bewkoof
ReplyDeleteSry fir the typo priyarwar vaad ki koi limit nahi hai... bante raho
Deletebewkoof