प्रश्न - प्रार्थना की उपयोगिता क्या है?
उत्तर- प्रार्थना एक प्रकार का चुम्बक है जो चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। चुम्बकीय क्षेत्र अदृश्य होता है और चुम्बक का प्रमुख गुण - आस-पास की चुम्बकीय पदार्थों को अपनी ओर खींचने एवं दूसरे चुम्बकों को आकर्षित या प्रतिकर्षित करने का गुण है, ठीक इसी तरह प्रार्थना में पूर्ण श्रद्धा-निष्ठा-भावनायुक्त तल्लीनता से ईश्वर के समक्ष निवेदन की गई अर्जी परमात्मा स्वीकार करता है। प्रार्थना असर दिखाती है और वैसा घटने लग जाता है।
प्रार्थना के चुम्बकीय प्रभाव को बढाने के लिए एक ही अनुरोध सामूहिक प्रार्थना में किया जाता है, जिसे रोगी के उपचार में प्रयोग किया जाता है। इसे (Faith Healing) कहते हैं। इसमें देव और गुरु आह्वान के बाद उस व्यक्ति का एक बार नाम लेकर उसका एक पल के लिए ध्यान किया जाता है जिसके लिए प्रार्थना करनी है। फ़िर प्रार्थना की जाती है।
👉🏼👉🏼 *प्रार्थना* – यह शब्द ‘प्र’ और ‘अर्थ’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है *पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ तल्लीनता के साथ ईश्वर से निवेदन करना* । दूसरे शब्दों में प्रार्थना से तात्पर्य है, *ईश्वर पर पूर्ण विश्वास करते हुए उससे किसी वस्तु या व्यक्ति के लिए आर्त स्वर में तीव्र उत्कंठा से किया गया निवेदन* ।
प्रार्थना में आदर, प्रेम, आवेदन एवं विश्वास समाहित हैं । प्रार्थना के माध्यम से भक्त अपनी असमर्थता को स्वीकार करते हुए ईश्वर को कर्ता मान लेता है । प्रार्थना में ईश्वर को कर्ता मानने से तात्पर्य है कि हमारा अंतर्मन यह स्वीकार कर लेता है कि ईश्वर हमारी सहायता कर रहे हैं और कार्य पूर्ति भी करवा रहे हैं । भक्ति के आध्यात्मिक (भक्तियोग के) पथ पर अग्रसर होने हेतु प्रार्थना, साधना का एक महत्त्वपूर्ण साधन है ।
👉🏼👉🏼👉🏼 *प्रार्थना के नियम*
ईश्वर से अपने मन और ह्रदय की बात कहना प्रार्थना है. प्रार्थना के माध्यम से व्यक्ति अपने या दूसरों की इच्छापूर्ति का प्रयास करता है. तंत्र, मंत्र, ध्यान और जप भी प्रार्थना का ही एक रूप हैं. प्रार्थना सूक्ष्म स्तर पर कार्य करती है और प्रकृति को तथा आपके मन को समस्याओं के अनुरूप ढाल देती है. कभी कभी बहुत सारे लोगों द्वारा की गयी प्रार्थना बहुत जल्दी परिणाम पैदा करती है. ऐसी दशा में प्रकृति में तेजी से परिवर्तन होने शुरू हो जाते हैं।
👉🏼👉🏼👉🏼 *कब किस दशा में और क्यों नहीं स्वीकृत होती प्रार्थना?*
- जब व्यवसाय और लेन देन की तरह की प्रार्थना की जाती है तो असफल होती है
- आहार और व्यवहार पर नियंत्रण न रखने से भी प्रार्थना अस्वीकृत होती है
- अपने माता और पिता का सम्मान न करने से भी प्रार्थना अस्वीकृत होती है
- अगर प्रार्थना से आपका नुक्सान हो सकता है तो भी प्रार्थना अस्वीकृत हो जाती है
- अतार्किक प्रार्थना भी अस्वीकृत होती ही है
- जब प्रार्थना करने वाले का ईश्वर पर पूर्ण विश्वास नहीं होता और संदेह के साथ प्रार्थना करता है। तो भी प्रार्थना अस्वीकृत होती है।
👉🏼👉🏼👉🏼 *क्या है प्रार्थना के नियम?*
- पूर्ण श्रद्धा विश्वास के साथ तल्लीनता से की गई प्रार्थना असर दिखाती है।
- सही तरीके से की गयी प्रार्थना जीवन में चमत्कारी बदलाव ला सकती है
- प्रार्थना सरल और साफ़ तरीके से हृदय से की जानी चाहिए
- यह उसी तरीके से होनी चाहिए जैसे आप आसानी से कह सकते हों और जिसमें आपके उच्च भाव बने
- शांत वातावरण में , विशेषकर ब्रह्ममुहूर्त में की गई प्रार्थना जल्दी स्वीकृत होती है
- प्रार्थना एकांत में करें , और निश्चित समय पर करें तो ज्यादा अच्छा होगा
- दूसरे के नुकसान के उद्देश्य से और अतार्किक प्रार्थना न करें
- अगर दूसरे के लिए प्रार्थना करनी हो तो देव आवाहन और गुरु आह्वाहन के बाद, पहले उस व्यक्ति का नाम लें और चिंतन करें , तब प्रार्थना की शुरुआत करें
- समूह में की गई श्रद्धा विश्वास युक्त प्रार्थना जल्दी फ़लित होती है
👉🏼👉🏼👉🏼 *कैसे करें प्रार्थना?*
- एकांत स्थान में बैठें
- अपनी रीढ़ की हड्डी को बिलकुल सीधा रखें
- पहले अपने ईष्ट, गुरु, या ईश्वर का ध्यान करें
- फिर जो प्रार्थना करनी है, करें
- अपनी प्रार्थना को गोपनीय रखें.
- बार बार, जब भी मौका मिले, अपनी प्रार्थना दोहराते रहें
- भगवान आपकी प्रार्थना सुन रहे हैं और इसे स्वीकार करेंगे इस पर पूर्ण विश्वास रखें
👉🏼👉🏼👉🏼 *प्रार्थना के चमत्कार*
युगऋषि द्वारा लिखित पुस्तक 📖 *प्रार्थना को जीवंत कैसे बनाएं* अवश्य पढ़ें।
युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव लिखते हैं कि जब दुनियाँ के समस्त राश्ते बन्द हो जाते हैं। तब ईश्वर से की गई हृदय से प्रार्थना नई उम्मीद-उमंग और हौसला देते है। नए रास्ते मिलते हैं।
प्रार्थना की शक्ति अनन्त है। आत्मबल बढ़ाने और आशा की किरण जगाने का बेहतरीन उपाय है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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