Saturday, 18 September 2021

चेतना की शिखर यात्रा

 

*चेतना की शिखर यात्रा*


*बिन पात्रता के कैसे करोगे,*

*चेतना की शिखर यात्रा।*

*बिन साधना के कैसे पूरी करोगे,*

*जीवन की सुखमय यात्रा।*


*ख़ुद से कुछ प्रश्न पूँछ लो,*

*ख़ुद से सच्ची बातें कर लो।*

*ख़ुद से मिलने के लिए,*

*रोज़ थोड़ा वक्त निकाल लो।*


*ख़ुद के होने की वज़ह ढूढ़ लो,*

*कौन हो! कहाँ से आये! ये जान लो।*

*जब जन्में थे तब कोई नाम नहीं था,*

*उस समय का वज़ूद पहचान लो।*


*अहंकार को गला लो,*

*सुविचार को अपना लो।*

*दुर्भाव को उखाड़कर,*

*सद्भाव को अपना लो।*


*खाली हाथ आये थे,*

*लाखों दुआएं लेके जाआगे।*

*रोते हुए आये थे,*

*हँसते मुस्कुराते हुए जाओगे।*


*मरकर भी लाखों दिलों की,*

 *धड़कन बन जाओगे।*

*जब सद्विचारों औ सत्कर्मों के सहारे,*

*चेतना की शिखर यात्रा कर पाओगे।*


श्वेता चक्रवर्ती - *विचारक्रांति*

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