*चेतना की शिखर यात्रा*
*बिन पात्रता के कैसे करोगे,*
*चेतना की शिखर यात्रा।*
*बिन साधना के कैसे पूरी करोगे,*
*जीवन की सुखमय यात्रा।*
*ख़ुद से कुछ प्रश्न पूँछ लो,*
*ख़ुद से सच्ची बातें कर लो।*
*ख़ुद से मिलने के लिए,*
*रोज़ थोड़ा वक्त निकाल लो।*
*ख़ुद के होने की वज़ह ढूढ़ लो,*
*कौन हो! कहाँ से आये! ये जान लो।*
*जब जन्में थे तब कोई नाम नहीं था,*
*उस समय का वज़ूद पहचान लो।*
*अहंकार को गला लो,*
*सुविचार को अपना लो।*
*दुर्भाव को उखाड़कर,*
*सद्भाव को अपना लो।*
*खाली हाथ आये थे,*
*लाखों दुआएं लेके जाआगे।*
*रोते हुए आये थे,*
*हँसते मुस्कुराते हुए जाओगे।*
*मरकर भी लाखों दिलों की,*
*धड़कन बन जाओगे।*
*जब सद्विचारों औ सत्कर्मों के सहारे,*
*चेतना की शिखर यात्रा कर पाओगे।*
श्वेता चक्रवर्ती - *विचारक्रांति*
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