Thursday 9 September 2021

यह 'अघमर्षण' क्या है?

 प्रश्न - ब्रह्मसंध्या के आरंभिक पंचकोशों की क्रिया में 'अघमर्षण'....लिखा है...

यह 'अघमर्षण' क्या है?


उत्तर - अघमर्षण अर्थात चित्त का मैल उतारना व पापों से मुक्ति की प्रार्थना करना व पवित्र होने का भाव

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ऋग्वेद के  दशम मण्डल में माधुच्छन्दस ऋषि के 

इस अघमर्षण सूक्त का महत्व यह  है कि सन्ध्या-

काल में प्राणायाम के बाद इसी सूक्त के विनियोग 

का विधान है ।  इस सूक्त के मंत्रोच्चार के बाद ही 

सूर्य को अर्घ्य देने की  पात्रता बताई गई है। अघम-

र्षण का अर्थ  ही है - पाप से निवृत्ति । मार्जन की 

प्रक्रिया  में इस सूक्त की  ऋचाओं के विनियोग के 

पीछे  तथ्य  यह है  कि सृष्टि के आरम्भ को स्मरण 

करना हमारी संस्कृति में अतिपावन माना गया है ।


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ऋतं च सत्यं चाभीद्धात्तपसोऽध्यजायत।

ततो  रात्र्यजायत  तत:  समुद्रो  अर्णव:।।

समुद्रादर्णवादधि   संवत्सरो    अजायत।

अहोरात्राणि विदधद्विश्वस्य मिषतो वशी।।

सूर्याचन्द्रमसौ धाता  यथापूर्वमकल्पयत्।

दिवं   च   पृथिवीं   चान्तरिक्षमथो  स्व:।।

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ऋग्वेद.10.190.1-3.

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