*मां के नवगुण धारण करने की प्रार्थना*
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।
नवरात्रि में माता मुझमें,
अपने जैसे गुणों का भंडार दो,
मां जैसी सन्तान वैसी,
यह कथन चरितार्थ करो...
मां तुम शैलपुत्री हो,
मुझमें भी पर्वत सी दृढ़ता दो,
मां तुम ब्रह्मचारिणी हो,
मेरा मन भी तपलीन ब्रह्मलीन करो...
मां तुम चन्द्रघण्टा हो,
मेरे मन में भी चन्द्र सी शीतलता दो,
माँ तुम कुष्मांडा हो,
मुझमें भी सृजन की क्षमता भरो...
माँ तुम स्कंदमाता हो,
मुझमें भी भगवान कार्तिकेय से गुण भरो,
माँ तुम कात्यायनी हो,
मुझमें भी शोधकर्ता बनने की क्षमता दो...
माँ तुम कालरात्रि हो,
मुझमें भी दुष्टदमन की क्षमता दो,
माँ तुम महागौरी हो,
मुझमें भी सेवाभाव भरो...
मां तुम सिद्धिदात्री हो,
मुझमें भी कार्यसिद्धि की क्षमता दो,
माँ तुम नवगुण नवरुपा हो,
मुझे भी नवगुण सम्पन्न करो...
नवरात्रि में माता मुझमें,
अपने जैसे गुणों का भंडार दो,
मां जैसी सन्तान वैसी,
यह कथन चरितार्थ करो...
मुझे अपनी सन्तान होने का गौरव दो,
मुझे अपने चरणों की सेवा का सौभाग्य दो,
तुम्हारे दिखाए मार्गपर चलकर तुम तक पहुंच सकूं,
ऐसी शक्ति सामर्थ्य मनोबल दो...
लेखिका - श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया असोसिएशन
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