Sunday, 24 April 2022

माता का गर्भ शिशु की प्रथम पाठशाला - भाग 1 - गर्भ से पूर्व तैयारी

 माता का गर्भ शिशु की प्रथम पाठशाला - भाग 1

लेखक - श्वेता चक्रवर्ती, डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

(नवविवाहित जोड़े रवि और दिव्या ने नया घर खरीदा है, दोनो सॉफ्टवेयर इंजीनियर मल्टीनेशनल कंपनी में है। गृहप्रवेश हेतु ग़ायत्री शक्तिपीठ से परिजन(भाई-बहन) यज्ञ करवाने आये और उन्होंने यज्ञ संपन्न किया। सुबह की धूप उनके नए घर की खिड़कियों से घर के भीतर प्रवेश कर रही है, जो कि खुशियों को बढ़ा रही है। दोनो ने पूजन हेतु पीले वस्त्र पहने हैं जो सूर्य की रौशनी में चमक रहे हैं। पूजन स्थल से गुलाब व गेंदे की फूलों की खुशबू मन मोह रही है, हवन की दिव्य खुशबू मन को सुकून दे रही है। यज्ञ के बाद भोजन प्रसाद के बाद सभी बैठकर बातें कर रहे हैं)

श्वेता ने कहा- रवि और दिव्या अब तो तुम दोनो ने घर भी ले लिया और जॉब में प्रमोशन भी मिल गया है। अब तो घर में नन्हे मेहमान को लाने के बारे में विचार करो।

दिव्या - हाँ दी, अब हम भी फ़ैमिली बढाने के बारे में सोच रहे हैं, मग़र हम दोनों की हार्दिक इच्छा है कि हमारी सन्तान अच्छे स्वभाव, श्रेष्ठ व सफल बने।

रवि - हाँजी दी, हमारी इच्छा है कि हम एक श्रेष्ठ आत्मा को जन्म दें, क्या हमारे ऋषियों ने व परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने इस सम्बंध में कुछ मार्गदर्शन किया है क्या? वह हमें बताएं। आप तो हमारी तरह सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी है और ग़ायत्री परिवार की कार्यकर्ता भी है। आप गुरुदेव के साहित्य का नित्य अध्ययन करती हैं आप हमारा मार्गदर्शन करें।

(सभी रिश्तेदार व पड़ोसी भी उत्सुकता से यह संवाद सुन रहे थे)

श्वेता - हाँजी, युगनिर्माण योजना के सूत्रधार परमपूज्य गुरुदेव ने सप्त आंदोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम शुरू किया। जिसमें एक है "आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी", इसमें बहुत सारे डॉक्टर और आध्यात्मिक रिसर्चर जुड़े हुए है। इस सम्बंध में आगे चर्चा करने से पहले हम कुछ प्रश्न आप सभी से पूंछ रहे हैं, उसका उत्तर दें।

प्रश्न - यह बताइए यदि मुझे इस घर में चींटियों को बुलाना हो तो मैं कैसे उन्हें बुला सकती हूँ?

दिव्या - दीदी यह तो बड़ा आसान है, मीठी चीज जैसे चीनी या गुड़ जमीन पर डाल दीजिए।  देर सवेर में चींटी इन तक पहुंच जाएगी..

श्वेता - अगर मुझे कॉकरोच व मख्खी को बुलाना हो तो क्या करना होगा?

रवि - यहां गंदगी फैला दीजिये और  छोड़ दीजिये, मक्खी कॉकरोच सब यहां आ जाएंगे।

श्वेता - यदि मधु मक्खी और तितलियों को कहीं बुलाना हो तो क्या करना होगा?

सरिता - तब दी फूलों की व्यवस्था करनी पड़ेगी, उनकी खुशबू तितली और मधुमक्खी को आकर्षित करेंगी..

श्वेता - बिल्कुल सही कहा, जिन्हें आमंत्रित करना हो उनके लिए वैसा माहौल तैयार करना पड़ेगा। तो यह बताओ यदि गर्भ में महान आत्मा को बुलाना है तो किस प्रकार के माहौल की आवश्यकता होगी?

रवि - दी, यदि मैं आपकी बात सही समझ रहा हूँ तो हमें कुछ ऐसा अच्छा माहौल घर का बनाना होगा जिसे श्रेष्ठ आत्माएं पसन्द करें...

दिव्या - लेकिन श्वेता दी, ऐसे अच्छे माहौल को तैयार कैसे करें?

श्वेता - हमारे विचार व चिंतन एक प्रकार के चुम्बक की तरह होते हैं, व एक तरह का चुम्बकीय सिग्नल व संदेश ब्रह्मांड में भेजते रहते हैं। सूक्ष्म शरीर धारी आत्माएं जो नए शरीर की तलाश में होती हैं वो उन संदेशों को सुनने में सक्षम होती हैं। अपने योग्य अपने जैसे अच्छे विचार सम्प्रेषण से प्रभावित हो गर्भ में प्रवेश करती हैं।

सरिता - तो क्या भगवान कौन कहां जन्मेगा यह तय नहीं करते?

श्वेता - भगवान एक न्यायाधीश की तरह है, जो मृत व सूक्ष्म शरीर धारी आत्मा को उनके कर्म के फल अनुसार अपने लिए गर्भ चुनने का अधिकार देते हैं। कुछ निकृष्ट आत्माओं को बलपूर्वक उनके ऋणानुबंध अनुसार उनके लेवल के निम्न गर्भ में भेज दिया जाता है, लेकिन सामान्य आत्माओं और विशेषकर श्रेष्ठ आत्माओं को चयन का अधिकार मिलता है।

दिव्या - एक अच्छी आत्मा हमारे घर मे जन्म ले इसके लिए हम लोग क्या करें?

श्वेता - जैसी आत्मा को गर्भ में चाहते हो वैसे विचार को मन मे प्रवेश करवाने के लिए... उससे सम्बंधित पुस्तक पढ़ो, वीडियो देखो, ऑडियो सुनो। वैसी उससे सम्बंधित तस्वीरे घर मे प्रत्येक कमरे में लगाओ। आसपास सफाई रखो, घर मे वैसा वातारण तैयार करो।

रवि - इसके अलावा, और कुछ भी करना होगा दी..

श्वेता - प्रत्येक गृहणी भोजन बनाने से पूर्व क्या बनाना है? उससे सम्बंधित जानकारी व समान इकट्ठी करना होता है, प्लान बनाना होता है तब जाकर  भोजन बनता है। ऐसे ही अच्छी मनचाही सन्तान कैसे प्राप्त करें? इससे सम्बंधित कुछ पुस्तक पढ़ो, उनसे सम्बंधित जानकारी इकट्ठी करो।

सरिता - हमारे बच्चे के जन्म के समय तो हमने कुछ सोचा ही नहीं था।

श्वेता - सरिता जी, बच्चे दो तरह से जन्म लेते है - एक एक्सिडेंटल बिना प्लानिंग के और दूसरे प्लानिंग के साथ सोच विचार के...

रवि औऱ दिव्या पढ़े लिखे हैं व अध्यात्म में रुचि रखते हैं, जब घर इन्होंने इतने सोचविचार के लिया तो सोचो सन्तान को लाने से पूर्व क्या यह सोचेंगे विचारेंगे नहीं करेंगे?...प्लान नहीं करेंगे?

सरिता - सही कहा आपने...

श्वेता - रवि और दिव्या यदि सम्भव हो तो आप दोनो अच्छी सन्तान प्राप्ति के लिए एक लघु अनुष्ठान (24 हज़ार ग़ायत्री मन्त्र का) कर लें...

दिव्या - इसके अलावा और क्या करना होगा?

श्वेता - नित्य सोने से पूर्व और जागने के बाद आत्मबोध व तत्व बोध की संक्षिप्त साधना करो। सुबह उठकर ईश्वर को धन्यवाद दो, सोने से पूर्व कुछ भी अच्छी पुस्तक का थोड़ा सा अध्ययन कर सोने जाओ। 

हां, एक और बात सन्तान के लिए प्रयास शाम को गोधूलि बेला और ब्रह्ममुहूर्त में नहीं करना चाहिए। मध्य रात्रि उत्तम है।

रावण का जन्म गोधूलि बेला में सन्तान जन्म के प्रयास से हुआ था, ऐसे ही कुछ राक्षसों का जन्म ब्रह्ममुहूर्त के प्रयास में हुआ था ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है। 

सरिता - क्या आहार सम्बन्धी भी सावधानी बरतनी पड़ेगी?

श्वेता - शुद्ध सात्विक वह समस्त आहार जो भगवान को भोग में चढ़ाया जा सकता है... हो सके तो एक वर्ष तक वही आहार दिनचर्या में शामिल करें। यदि मजबूरी में ऑफिस पार्टी या टूर में बाहर का खाना खाना पड़े तो तीन बार मन ही मन ग़ायत्री मन्त्र जप करें तब ही कुछ खाये-पिये। यह तो शरीर का आहार हुआ।

मन का आहार विचार है - अतः महापुरुषों की वीररस भरी जीवनियां पढ़े, ऋषियों की अध्यात्म यात्रा पढ़े। बिजनेसमैन की सफलता के किस्से पढ़े। महान लोगो के संघर्ष की कहानियां पढ़े। नए अविष्कार के बारे में पढ़े। वह सब जो आप चाहते है कि आपका बच्चा पढ़े व जाने, वह सब आपको पढ़ना, जानना होगा...और उस सम्बंध में चिंतन करना है। श्रीमद्भागवत गीता पढ़े। युगसाहित्य पढ़े।

आत्मा के आहार के लिए - जिस देवी देवता में आपकी श्रद्धा है, उसका ध्यान करे। सुबह उगते सूर्य का और शाम को चंद्रमा का थोड़ा ध्यान करे। उत्तम बुद्धि और तेज-ओज-वर्चस के लिए ग़ायत्री मन्त्र जप करें। योग-प्रणायाम करना होगा।

हाँजी, नित्य माता ग़ायत्री व सूर्य भगवान से तेजस्वी ओजस्वी सन्तान हमारे गर्भ से जन्मे यह प्रार्थना करनी है, दिव्या आपको सूर्य भगवान को जल अर्पित करने के बाद बचे जल को अपने माथे और गर्भ में लगाना है। फिर थोड़ी देर लगभग 5 मिनट बिस्तर पर लेट कर ध्यान करना है कि आपका गर्भ दिव्य आत्मा के प्रवेश के लिए तैयार है। वह नीली आसमानी चमकती ऊर्जा से भर गया है, सूर्य का तेज-ओज-वर्चस आपके गर्भ में प्रवेश कर गया है। ऐसा आपको मन ही मन सोचना और अनुभव करना है।

रवि आपको सूर्य को जल अर्पित करने के बाद वह बचा हुआ जल आपको स्वयं पीना है। मात्र 5 मिनट का छोटा सा ध्यान नेत्र बन्द कर पूजन स्थल पर करना है, स्वयं के भीतर सूर्य के तेजस-वर्चस-ओज को महसूस करना है। स्वयं को प्रकाशित महसूस करना है।

रवि - दिव्या - जी दीदी आपने जैसा बताया है हम वैसा करने का प्रयास करेंगे।

श्वेता - जब दिव्या तुम्हारा गर्भ धारण हो जाये तब तुम मुझे पुनः बुलाना... तब हम साढ़े तीन महीने में तुम्हारा गर्भ संस्कार करेंगे। व गर्भ में किस प्रकार तुम दोनो को गर्भस्थ शिशु का शिक्षण-प्रशिक्षण प्रारंभ करना है उस पर चर्चा करेंगे।

सरिता - यह आप क्या कह रही है, गर्भ से ही स्कूलिंग शुरू?

श्वेता - हाँजी, अभिमन्यु ने चक्रव्यूह तोड़ना गर्भ में ही सीखा था। वैसे ही सभी माता पिता को गर्भ से शिक्षण-प्रशिक्षण प्रारंभ करना होगा...

रवि-दिव्या - जी दीदी, हम गर्भ धारण के बाद पुनः आपसे सम्पर्क करेंगे।

श्वेता - आप दोनो प्रत्येक रविवार समय निकालकर हो सके तो यज्ञ करने नजदीकी शक्तिपीठ जाइये व यज्ञ में सम्मिलित होइए, वहां मंदिर की ऊर्जा व यज्ञ ऊर्जा आपको मनचाही सन्तान प्राप्त करने में बहुत मदद करेगी।

आप सब भी मंदिर जाकर स्वयं को दिव्य ऊर्जा से चार्ज कीजिए, जो सप्ताह में एक बार मंदिर जाता है। उसे तनाव को हैंडल करना आ जाता है...जीवन जीने की कला, आध्यात्मिक व मनोवैज्ञानिक समाधान के सूत्र उन्हें मिलते रहते है...

ॐ शांति ....

क्रमशः.....

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