माता का गर्भ शिशु की प्रथम पाठशाला - भाग 3 - गर्भस्थ शिशु की दादी भी बनी शिक्षक और शुरू की तैयारी..
लेखिका - श्वेता चक्रवर्ती, डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
(शाम का समय है, बड़ा सुहावना मौसम है। श्वेता लैपटॉप में अपने ऑफिस कार्य मे व्यस्त है। तभी मोबाइल में रिंग बजती है, जिससे श्वेता का ध्यान फोन की तरह जाता है... फोन पर दिव्या का नाम देख आश्चर्य विस्मित मुस्कान के साथ श्वेता फोन उठाती है।)
श्वेता - हेलो दिव्या, कैसे हो?
(दिव्या की की आवाज़ में उत्साह व उमंग से श्वेता समझ गयी कि कुछ शुभ समाचार है)
दिव्या - दी हम अच्छे है...हम आपसे मिलने आपके घर आना चाहते हैं...
श्वेता -- आ जाओ आपका स्वागत है... आओ और शुभ समाचार दो..
दिव्या- आपको कैसे पता चला कि कोई शुभ समाचार है?
श्वेता - तुम्हारे आवाज की उत्साह व खनक व चमक बता रही है...आ जाओ मिलकर बात करते हैं...
(शाम को रवि व दिव्या व उनकी माता जी श्वेता के घर आते हैं, बेल बजती है श्वेता दरवाजा खोलती है, दिव्या मिठाई का डिब्बा आगे कर देती है, फिर रवि दिव्या पैर छूते हैं। श्वेता फिर साथ आई दिव्या के सास जी का पैर छूती है।)
श्वेता - बताओ शुभ समाचार बताओ, इतंजार नहीं हो रहा... दिव्या तुम्हारी व रवि के चेहरे की खुशी बता रही है कि नन्हे मेहमान के आने की सूचना डॉक्टर ने कन्फर्म कर दिया है।
सरिता जी - हाँजी श्वेता, हम दादी बनने वाले हैं। आज ही कन्फर्म हुआ है।
रवि - दी, कृपया बताओ गर्भ संस्कार कब करवाना है? उससे पूर्व हम सबको अब क्या दिनचर्या अपनानी है? उसी का मार्गदर्शन लेने आये हैं....
श्वेता - पहले तो बहुत बहुत बधाई स्वीकार करो.. मुंह मीठा करो..
(दिव्या व श्वेता गले मिलते हैं, चाय नाश्ता सब करते हैं)
श्वेता - गर्भ संस्कार साढ़े तीन महीने के बाद करवाना..
देखो, हम सभी सामाजिक प्राणी है। हमारा प्रभाव परिवार व समाज पर और परिवार व समाज का प्रभाव हम पर पड़ता है। इसी तरह सन्तान केवल तुम्हारे घर जन्म ले रही है तो यह मत समझना कि मात्र इससे तुम ही प्रभावित होंगे। पूरे समाज को इससे फ़र्क़ पड़ेगा। राम जन्मने वाले हैं या रावण? इसके अच्छे या बुरे प्रभाव दोनो समाज पर पड़ेगा। इसी तरह जिस समाज मे बच्चे का जन्म हो रहा है वह भी इसे प्रभावित करेगा। बच्चे की प्राण ऊर्जा, आत्मबल व बुद्धिबल ज्यादा हुआ तो यह समाज को दिशा देगा, यदि कम हुआ तो समाज द्वारा दिखाई दिशा में यह आगे बढ़ेगा।
दिव्या -रवि - हमें अब क्या करना है यह बताईये दी..
श्वेता - तुम्हें गर्भस्थ बच्चे के तीनो शरीर को पोषण देना होगा।
स्थूल शरीर के लिए - चिकित्सक के मार्गदर्शन अनुसार संतुलित आहार, व्यायाम, आयरन कैल्शियम व फोलिक एसिड की दवाइयां इत्यादि समय पर लेनी होगी।
सूक्ष्म शरीर के लिए - ध्यान, प्राणायाम, मन्त्र जप इत्यादि माध्यम से उसे ऊर्जावान बनाना होगा।
कारण शरीर के लिए - भावनात्मक विकास हेतु भजन कीर्तन, ॐ ध्वनि का श्रवण व उच्चारण, सकारात्मक सङ्गीत, सेवा इत्यादि माध्यम से भावनात्मक शरीर को पुष्ट करना होगा।
मन का 10% ऊपरी भाग को संसार का ज्ञान देना होगा, जिसमे मैथ की पहेलियां, मेंटल मैथ, नई भाषा का ज्ञान, अपनी भाषा के बारे में जानकारी, जिस क्षेत्र में तुम चाहते हो बच्चा तरक्की करे उस क्षेत्र सम्बन्धी बाते तुम दोनो गर्भस्थ बच्चे के सामने करो और उसे प्रेरित करो।
मन के अन्तः 90% भाग की इनर इंजीनियरिंग करने के लिए उसमें जो गुण, आदत, संस्कार, भावनाएं डालना चाहते हो उसके लिए प्रयास करो।
नित्य अब गर्भ संवाद शुरू करो, जैसे अर्जुन सुभद्रा बाते करते थे, वैसे आप लोग गर्भ संवाद के माध्यम से बच्चे को नई नई चीजें सिखाओ।
चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग - यदि तुमने गर्भ से ही बच्चे में शुभ संस्कार और वीरता युक्त पुरुषार्थ के गुण डाल दिये तो बाहरी विषाक्त वातावरण तुम्हारे बच्चे को प्रभावित न कर सकेगा..
रवि की माँ - आप ने तो गर्भ को ही पाठशाला बना दिया..
श्वेता - जी, गर्भस्थ शिशु के नए गुरु माता, पिता और आप होंगी...
रवि की माँ - मैं भला क्या सिखा पाऊंगी, मैं इन दोनों की तरह पढ़ी लिखी नहीं हूँ, ज्ञानी नहीं हूँ।
श्वेता - आप मोबाईल उपयोग करती हैं? क्या आपके पास स्मार्ट फोन है और आप यूट्यूब चला लेती हैं। अपना नम्बर दीजिये
रवि की माँ - हाँ स्मार्टफोन तो है, यूट्यूब चलाना आता है..
(श्वेता रवि की माँ को कुछ यूट्यूब के लिंक भेजती है)
श्वेता - माता जी आप इस लिंक को ओपन कीजिये। यह तेनालीराम की कहानियां है। आप इसे देखो, याद करो और बहू के पास आकर अपने गर्भस्थ नाती-नतिनी जो भी है उसे रोज एक मोटिवेशनल कहानी सुनाओ। दादी-नानी की कहानियां तो बच्चे गर्भ से ही पसन्द करते हैं।
रवि की माँ - मुझे जल्दी कुछ याद नहीं होता..क्या करूँ
श्वेता - जो ध्यान हमने आपके घर करवाया था वह आप रोज करो और मन्त्रलेखन करो, कहानी के वीडियो दो बार देखो और उस कहानी को अपने शब्दों में गर्भस्थ शिशु को सुनाओ। इससे आपकी यादाश्त बढ़ेगी व धीरे धीरे अभ्यास से आप सक्षम बनेंगी।
आपको मैं, रवि और दिव्या कहानियों के लिंक भेजते रहेंगे आप बस देखो, याद करो और गर्भस्थ को सुनाओ..
रवि आपको बाल निर्माण की कहानियां खरीद के देगा, आप उसे पढ़कर गर्भस्थ शिशु को सुनाना..
रवि की माँ - गर्भस्थ शिशु के साथ साथ मेरी भी पढ़ाई शुरू हो गयी...
श्वेता - जब घर मे बच्चा आता है तो सबका काम बढ़ जाता है... आप सब काम पर लग जाओ, सन्तान का पालन पोषण 21 वर्षीय योजना है जिसकी शुरुआत गर्भ से ही प्रारंभ हो गयी है..
(सभी हंसने लगते हैं, वह खुश होते हैं)
रवि- दी आप हमारे घर कब आओगे?
श्वेता - परसों ऑफिस से लौटते वक्त शाम को तुम्हारे घर चाय पीते हैं, फिर आगे की कार्ययोजना डिसकस करेंगे..
रवि - ठीक है दी...
श्वेता - दिव्या मुझे पता है आपको चाय पीने की आदत है, कोशिस करें चाय न पिएं, लेकिन यदि पीने की इच्छा हो भी तो ख़ाली पेट बिल्कुक चाय न पिएं..
सुबह का पहला आहार कच्चा नारियल, दूध व भीगे हुए कुछ ड्राई फ्रूट्स चिकित्सक के मार्गदर्शन अनुसार लें। पहला भोजन पौष्टिक होना चाहिए..
रात को सोने से पूर्व पेट मे हल्के हाथ से नारियल का तेल अवश्य लगाना। नाभि व तलवों में भी नारियल तेल लगाकर सोना..
यज्ञ के समय जो युगसाहित्य दिया था, उसमें से जो पसन्द आये वो या किसी महापुरुष के जीवनी या सद्विचार रात को सोने से पूर्व अवश्य पढ़कर सोना.. मन्त्रलेखन अवश्य दोनो हाथ से बारी बारी करना...
दिव्या -- ठीक है दी...
(रवि दिव्या व उनकी माता जी विदा लेकर अपने घर चले जाते हैं)
क्रमशः
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