डॉक्टर मित्र
(पर्दा उठता है, एक ड्राइंग हॉल में कुछ मित्र व परिवार जन बैठे हैं। चाय बिस्किट रखी हुई है और गपशप चल रही है। गर्मी का समय है और एयरकंडीशनर के रिमोट से कूलिंग एडजस्ट करते हुए गृहस्वामी रवि कहते हैं)
देब - आज़कल जिसे देखो लूटने में लगा है, इंसानियत की तो सर्वत्र चिता जल रही है।
मित्र किशन - सही कह रहे हो, अभी कुछ दिनों पहले मेरी भाई की पत्नी की सिजेरियन डिलीवरी हुई है कुछ कॉम्प्लिकेशन हो गया था, बस उसका फ़ायदा डॉक्टरों ने हमें लूटने के लिए उपयोग में लिया। लंबा चौड़ा बिल थमा दिया।
मित्र नीलिमा - हाँजी, डॉक्टर आजकल व्यापारी बन गए हैं। आजकल जिसे देखो उसका सिजेरियन हो रहा है। नॉर्मल डिलीवरी तो डॉक्टर करते ही नहीं, क्योंकि उसमें उन्हें पैसा जो नहीं मिलेगा।
(सभी बारी बारी डॉक्टरों को भला बुरा कह रहे थे, गृह स्वामिनी श्वेता जो कि एक समाजसेवी व पेशे से इंजीनियर है, सबके लिए पोहा किचन में बना रही थी व सबकी बाते सुन रही थीं। पोहे का नाश्ता लेकर ड्राइंग रूम में आती है। सबको देते हुए अपनी बात इस विषय पर रखती हैं।)
श्वेता - आप लोगों ने डॉक्टर की इतनी बुराई की व भला बुरा उन्हें कहा, मेरा मानना है कि यदि वो इतने खराब है तो आप लोगो को उन लुटेरों के पास इलाज के लिए नहीं जाना चाहिए।
मित्र महक - ये क्या कह रही हो श्वेता, यदि इलाज नहीं मिला तो लोग बेमौत मारे जाएंगे।
श्वेता - मृत्यु व जीवन तो ईश्वर के हाथ है, फिर डॉक्टर के पास जाने की क्या जरूरत?
मित्र वृंदा - अरे, मृत्यु से पहले जीना भी तो है, बीमारी व तकलीफ को तो चिकित्सा से ही ठीक किया जा सकता है तो डॉक्टर के पास तो जाना ही पड़ेगा। भगवान के बाद यदि कोई जीवन बचाता है तो वह डॉक्टर ही तो है।
मित्र संदीप - श्वेता जी, मुझे पेसमेकर लगा है, यदि मैं हॉस्पिटल न गया होता तो आज मैं जिंदा न होता।
श्वेता - जब आप सभी एकमत से यह स्वीकारते है कि डॉक्टर की अहमियत हमारे जीवन मे बहुत है, फिर उनकी बुराई करने की जगह पेशेंट, उनके परिवारजन व डॉक्टर और उनके स्टाफ के बीच मित्रता व सौहार्द कैसे हो इसका प्रयास क्यों नहीं करते?
देब - श्वेता की बात में वजन है, डॉक्टर जरूरी तो हैं।
श्वेता - आयुर्वेद, एलोपैथी, होमियोपैथी , प्राकृतिक चिकित्सा, वैकल्पिक चिकित्सा इत्यादि अनेक माध्यम उपलब्ध है। यदि मनुष्य जागरूक व होशपूर्वक स्वस्थ दिनचर्या अपनाए, योग-ध्यान-व्यायाम करें व स्वास्थ्यकर ऑर्गेनिक खाये तो डॉक्टर के पास जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। परन्तु स्वयं की लापरवाही को कोई क्यों दोष देगा, स्वयं की गलती से बीमार पड़े और गाली डॉक्टर को दे रहे है।
रही बात सिजेरियन व नॉर्मल डिलीवरी की तो पहले स्त्रियां स्वास्थ्यकर मोटा अनाज फल सब्जी खाकर खूब मेहनत करती थी, शरीर लचीला था तो नॉर्मल डिलीवरी हो जाती थी।
आजकल शारीरिक श्रम है बहुत है नहीं, योग व्यायाम होता नही। फ़ास्ट फूड व तलाभुना अधिक खाने के कारण स्त्रियों के शरीर अकड़े रहते हैं, फिर इनकी नॉर्मल डिलीवरी कैसे सम्भव है? स्वयं सोचो...
मित्र किशन(मज़ाक उड़ाते हुए) - श्वेता जी आप तो इंजीनियर हैं फ़िर डॉक्टर की वकालत वकील बनकर क्यों कर रही है? लगता है आप कभी डॉक्टरों की लूट का शिकार नहीं हुई है..
श्वेता - भाई साहब आप प्रोफेशर है, क्या आपके प्रोफेशन में सब ईमानदार है इसकी गारंटी दे सकते है? आप सब भी जिस जॉब व्यवसाय में है उसमें सबके ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे सकते हैं?
मित्र वृंदा - श्वेता आखिर तुम कहना क्या चाहती हो?
श्वेता - यहीं कि चिकित्सा एक श्रेष्ठ जनसेवा का माध्यम है। चिकित्सक बनने के लिए बहुत पढ़ाई व मेहनत लगती है। हमे उनका सम्मान करना चाहिये। कोविड में कितने डॉक्टर ने दुसरो का इलाज करते हुए अपनी जान गंवाई।
आधी ग्लास भरी व आधी खाली है, कुछ डॉक्टरों के गलत नियत और कुछ बड़े हॉस्पिटल व्यवसायी रुख के कारण सभी डॉक्टर का अपमान करना उचित नहीं है। सबको लुटेरा कहना उचित नहीं है।
जब कोई अपना जीवन मृत्यु के संकट में होता है, वही डॉक्टर अपने प्रयासों से हमारे अपनों की जान बचाता है। अतः हमें अहसान फरामोश नही होना चाहिए।
संदीप - जब मेरा पेसमेकर लगा था तब वह डॉक्टर सचमुच हमें देवदूत ही लगा था।
किशन - सॉरी श्वेता, मैंने तुम्हारा मज़ाक उड़ाया लेकिन तुम ठीक कह रही हो।
श्वेता - मेरा मानना है कि हमें डॉक्टर व पेशेंट के बीच मित्रता का भाव बढाना चाहिए। अच्छे डॉक्टरों को ढूढ़कर अवेयरनेस कैम्प लगवाना चाहिए। जिससे लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो और बीमारी अधिक बढ़े उससे पूर्व उसे पहचान कर समय पर इलाज करवा सकें।
जैसे जवान व किसान का सम्मान करते हो, वैसे ही जीवन रक्षक डॉक्टर का भी सम्मान करो। कोई अच्छा व इंसानियत युक्त डॉक्टर नहीं चाहता कि उसका पेशेंट मरे, वो बेचारा तो हर सम्भव प्रयास करता है उसे जीवन देने का... डॉक्टर भी हमारे व आपकी तरह इंसान है उसमें भी जान है। वह भी थकता है और वह भी सम्मान चाहता है।
आइये हम सभी चिकित्सक समूह से मित्रता करे और अच्छे सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण करें। लूटपाट न हो उसके लिए अवेयरनेस कैम्पेन चलाये दोषारोपण करने की जगह मिलकर समाधान ढूढे। याद रखिये डॉक्टर भगवान के बाद वह देवदूत है जो हम सबकी जान बचाते हैं।
(सभी सहमति में सर हिलाते है, व तय करते हैं अच्छे कार्य की शुरूआत आज से ही करेंगे। इस बिल्डिंग में अमुक फ्लैट में पति पत्नी डॉक्टर हमारे पड़ोस में रहते हैं, आज चलो उन्हें धन्यवाद दें व उनकी मेहनत को सराहे। नीचे की शॉप से सभी कुछ मीठा खरीदते हैं व उनके फ्लैट में साथ जाते हैं और बेल बजाते है।)
डॉक्टर साहब का नौकर दरवाजा खोलता है व डॉक्टर साहब को इसकी सूचना देता है। डॉक्टर साहब व डॉक्टर साहिबा बाहर इतने लोगो के इकट्ठे आने पर कुछ चिंतित हो जाते हैं व बाहर आते हैं।)
तब देब कहते हैं, डॉक्टर साहब घबराइए नहीं, कुछ चिंता की बात नहीं। हम सब आपको बस आज आप सभी डॉक्टर की जन सेवा के लिए धन्यवाद देने आए हैं। सभी एक साथ बोल उठे आज श्वेता ने हम सबकी दृष्टिकोण में हृदय में जमी मैल साफ कर दिया व आपके प्रोफेशन व आपके योगदान का महत्त्व समझाया। हम सब आप डॉक्टर मित्र अवेयरनेस अभियान चलाएंगे। आप सबके योगदान के लिए जय जवान, जय किसान की तरह जय चिकित्सक का भी सम्मान देंगे।
सभी मीठा डॉक्टर जोड़े को देते हुए उनका अभिवादन करते हैं।
डॉक्टर साहब व डॉक्टर साहिबा बहुत खुश होते हैं व श्वेता को धन्यवाद देते हैं। कहते हैं आप ग़ायत्री परिवार से हैं न इसलिए आप सबके लिए संवेदना रखती हैं।
सबको अंदर बुलाकर चाय नाश्ते के लिए पूंछते है।
किशन कहते है - श्वेता जी ने चाय नाश्ते के साथ ज्ञान भी बहुत खिलाया है, अब और कुछ खाने की जगह नहीं।
सभी मुस्कुरा देते हैं।
श्वेता - जी हमारे पूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने यही सिखाया है कि दूसरों के श्रेष्ठ कार्य का सम्मान करना चाहिए। सबके श्रेष्ठ कर्म यज्ञ है जिससे सबको लाभ मिलता है।
डॉक्टर साहिबा - खुश होकर हम और डॉक्टर साहब निःशुल्क सोसायटी में एक घण्टे की हेल्थ अवेयरनेस वर्कशाप रखेंगे। जिससे सबका भला हो।
इस तरह सभी के मन प्रशन्न थे, सब अच्छा महसूस कर रहे थे। एक नई मित्रता जो शुरू हुई है, वह सबको आनन्द दे रही थी।
नाटिका लेखक - श्वेता चक्रवर्ती,
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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