Monday 23 May 2022

प्रायश्चित निष्काशन तप* जाने व अनजाने में अनियंत्रित मन की वजह से हुई गलती के लिए निष्कासन तप किया जाता है।

 *प्रायश्चित निष्काशन तप*


 जाने व अनजाने में अनियंत्रित मन की वजह से हुई गलती के लिए निष्कासन तप किया जाता है।


1- इस तप में 60 दिन शुद्ध सात्विक व्रत किया जाता है। सिंपल सेंधा नमक उपयोग कर बनी दाल(इसमें सब्जी भी डाल सकते हैं) और गेहूँ की रोटी। पेट भरना है जिह्वा को स्वाद नहीं देना है।


2- सवा लाख ग़ायत्री मन्त्र का जप और उगते सूर्य का ध्यान। जॉब करने वाले सूर्यास्त के बाद भी जप कर सकते हैं।


3- नाड़ी शोधन प्राणायाम


4- रविवार को यज्ञ और रविवार को व्रत, रविवार सफेद या पीला वस्त्र पहने


5- रात को सोते वक़्त चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र जप और पूर्णिमा के चन्द्रमा का ध्यान


6- प्रत्येक रविवार को अपने समस्त गुनाह, पाप और कड़वी यादें लिख दें, उसे भगवान के चरण में फोटो में स्पर्श करा दें, और उसे बाद में उसी समय जलाकर नष्ट कर दें। भगवान से माफ़ी मांगे।


7- प्रतिदिन 40 दिन स्वयं को पत्र लिखें, जो अच्छी आदत व विचार अपने अंदर चाहते है उसे लिखें। स्वयं का मार्गदर्शन स्वयं गुरु के प्रतिनिधि बनकर करें।


8- सोने से पूर्व निम्नलिखित प्रार्थना भगवान से करें


मां से शुभ रात्रि प्रार्थना

मां ! आप मेरी आत्मा में सदा सर्वदा से निवास करती हैं।


मेरा हाथ पकड़कर सदैव मुझको सुरक्षित रखती हैं।


*माँ मुझे अपने जैसा बना दीजिये, मुझमें भी करुणा और भाव संवेदना भर दीजिये। आप प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप है, माँ मुझे भी आप प्राणवान, दुःखनाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप बना दीजिये। मुझे बल पूर्वक सन्मार्ग पर चला दीजिये। मुझे भी अपने जैसा दैवीय गुण कर्म से ओतप्रोत कर दीजिए। मुझसे भी अपना कार्य करवा लीजिए।*


आप मुझे कृपा करके विवेक और भक्ति के मार्ग पर ले चलिए।


आप मुझे  काल्पनिक से  वास्तविक मार्ग पर,क्षणभंगुरता से स्थायित्व के मार्ग पर, तथा नश्वरता से अमरता के मार्ग पर ले चलिए। 


मां, मुझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं अपने आपको सांसारिक आसक्तियों से अलग करके अपने परम लक्ष्य तक पहुंच सकूं, तथा आपके परम प्रेममय राज्य में हमेशा- हमेशा के लिए आपके साथ रह सकूं, और निरंतर आपकी भक्ति और आशीर्वाद को प्राप्त करते हुए अपना जीवन धन्य कर सकूं।


9- प्रत्येक रात मृत्यु और प्रत्येक नया दिन एक नया जन्म माने।


सुबह उठकर निम्नलिखित सङ्कल्प लें


मैं भगवान की प्रतिनिधि बनकर यह जीवन जियूंगी


वही कार्य करूंगी जो ईश्वर को पसन्द हो


मैं आत्म कल्याण के साथ लोककल्याण भी करूंगी


अपनी योग्यता पात्रता बढ़ाकर स्वयं के जीवन और इस संसार को सुंदर व्यवस्थित बनाने का प्रयत्न करूंगी।


हे परमात्मा मुझे शक्ति सामर्थ्य दो, कि स्वयं को सुधार सकूं और आपके योग्य बना सकूं।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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