Sunday, 21 August 2022

कविता -जिंदगी की भागम भाग में, ख़ुद को मत भूल जाना,

 जिंदगी की भागम भाग में,

ख़ुद को मत भूल जाना,

उम्र बाहर चाहे जितनी बढ़ती रहे,

भीतर का बचपन जिंदा रखना।


बाहर की ताप्त परिस्थिति में,

भीतर का एयरकंडीशनर ऑन रखना,

कितनी भी बाधाएं सामने आएं,

मन में साहस जिंदा रखना।


जब तक जीवन हैं तो संघर्ष हमेशा रहेगा,

जिंदा व्यक्ति की राह हर कोई रोकेगा,

मुर्दे को ही लोग राश्ता देंगे,

मुर्दे के लिए ही लोग अच्छा बोलेंगे।


कहती है 'श्वेता ' डर दूर हो तो भले डरना,

मगर पास आए तो केवल मुकाबला करना,

भागते रहोगे तो डर कुत्ते सा तुम्हारा पीछा करेगा,

अगर मुकाबला करोगे तो डर दुम दबाकर भागेगा।


अपने भीतर के बच्चे को जिंदा रखना,

स्वयं पर और परमात्मा पर विश्वास रखना,

दृष्टिकोण जीवन के प्रति ठीक रखना,

योद्धा की तरह संघर्षरत जीवन जीना।


युद्ध के बीच भी मंगल गीत गाना,

युद्ध के मैदान को खेल के मैदान की तरह ही समझना,

सद्गुरु से बुद्धि रथ का सारथी बनने की प्रार्थना करना,

सद्गुरु के साथ जीवन का प्रत्येक युद्ध बहादुरी से लड़ना।


🙏श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन

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