जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता,
अज्ञानता के अंधेरे को हटा के,
कर दो माँ ज्ञान का उजियारा...
जयति जय गायत्री माता...
तेरी कृपा से इच्छाओं वासनाओं के,
जंगल को जड़ से उखाड़ सकूं,
निर्बीज समाधिस्थ होने के,
पथ पर अनवरत बढ़ सकूं..
जयति जय गायत्री माता...
संसार के कीचड़ से ऊपर उठकर,
कमल की तरह खिल जाऊं,
मोहबन्धन सारे काटकर,
तेरे भक्ति योग्य बन जाऊं...
जयति जय गायत्री माता...
मैं चांद की तरह तेरी रौशनी से रौशन हो जाऊं,
संसार में रहकर भी मैं तुझमें ही समाहित हो जाऊं ,
मेरी चेतना दर्पण की तरह परिष्कृत निर्मल हो जाए,
मुझमें माँ तेरा ही तेरा सिर्फ प्रतिबिंब नज़र आये....
जयति जय गायत्री माता...
कण कण में व्याप्त अग्निवत माता,
मेरी जीवन आहुति स्वीकार करो,
मेरी श्वांस प्रश्वास द्वारा,
हर पल प्राणों की आहुति स्वीकार करो..
जयति जय गायत्री माता...
मेरा मन ही तुलसी माला बन जाये,
मन के मनके से ही गायत्री जप हो जाये,
तेरे अनुशासन में मेरी जीवनचर्या चले,
मेरा रोम रोम भी गायत्रीमंत्र जपे..
जयति जय गायत्री माता...
मेरा मैं मिटकर ही,
बस तू ही तू शेष बचे,
मेरा मुझमें कुछ न दिखे,
बस तेरा ही प्रतिबिंब मुझमें दिखे...
जयति जय गायत्री माता...
💐विचारक्रांति, गुरुग्राम गायत्री परिवार
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