प्रश्न - *धार्मिक कार्य के वक्त विवाहित स्त्रियां अपने पतियों के दाहिनी तरफ क्यों बैठती हैं?*
उत्तर - ईश्वर की सृष्टि में पुरुष को शरीर से बलवान और स्त्री को आत्मा से बलवान बनाया गया है। पुरुष हार्डवेयर है तो स्त्री सॉफ्टवेयर है, दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
सांसारिक कार्य कोई भी हो वहां विवाहित स्त्री को पुरुष के बांयी ओर बैठकर करना चाहिए, क्योंकि संसार में नेतृत्व सुरक्षा की दृष्टि से पुरुष करता है। आध्यात्मिक धार्मिक कार्य यज्ञ, पूजन, दान, जप और तप इत्यादि में नेतृत्व आत्मबल अधिक होने के कारण स्त्री करती है अतः स्त्री को पुरुष के दाहिनी ओर बैठना चाहिए।
सांसारिक विपदा से घर गृहस्थी को बचाना पुरुष का दायित्व है, दैविक प्रारब्ध की विपदा से घर को सुरक्षित रखना स्त्री का दायित्व है। स्त्री का कार्य अधिक कठिन और जटिल है, जो उसे आध्यात्मिक क्षमता अपनी बढ़ाकर करना होता है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
गायत्री परिवार गुरुग्राम
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