प्रश्न - गुरुदीक्षा में मिले गुरुमंत्र जप में भाव अच्छा बनता है, जप करता हूँ। क्या गुरु मंत्र लेने के बाद सरस्वती मंत्र की जगह गुरु मंत्र ही जपना चाहिए? क्योंकि मन के भाव ऐसे ही कहते हैं।
उत्तर - आध्यात्मिक यात्रा हमारी वस्तुतः आत्म उन्नति और आध्यात्मिक लाभ के लिए होती है। गुरुमंत्र वस्तुतः गुरु हमारी चेतना के स्तर को उठाने और आत्म उन्नति के लिए देता है। गुरुमंत्र सर्वसमर्थ है, वह आध्यात्मिक उन्नति के साथ साथ सांसारिक जगत में सफलता दिलाने में सक्षम है।
हम सब सांसारिक गृहस्थ लोग हैं, यदि कोई किसी भी शिक्षा के क्षेत्र में अध्ययनरत विद्यार्थी है या अध्यापन कार्य में संलग्न है, तो विशेष विद्या के क्षेत्र में लाभ हेतु गुरुमंत्र जप के बाद सरस्वती जी के कुछ मंत्रों का जप 24 या 108 बार(एक माला) पर्याप्त है।
सरस्वती बुद्धि और विद्या की देवी हैं, यदि आपकी श्रद्धा जपने की है तो आप अवश्य जपें। किंतु यदि आप केवल गुरुमंत्र जपते हैं तो भी आपको विद्या और बुद्धि की वृद्धि हेतु भी अवश्य लाभ होगा।
ऐसे ही गुरु मंत्र जप के साथ शक्ति के लिए दुर्गा के मंत्र, आरोग्य के लिए शिव मंत्र, धन के लिए लक्ष्मी मंत्र इत्यादि जपें जा सकते हैं।
हमारी सनातन धर्म संस्कृति में युगों युगों से मात्र गायत्री मंत्र ही गुरु दीक्षा में दिया जाता है। भगवान राम को ऋषि वशिष्ठ ने गुरु मंत्र में गायत्री मंत्र ही मिला था। किंतु यदि आप रामायण पढ़े तो आप पाएंगे कि तीनों संध्या में भगवान राम जी गायत्री मंत्र ही जपते थे। किंतु विशेष अवसर पर सेतुबंध के समय शिव पूजा और युद्ध प्रारम्भ के समय उन्होंने दुर्गा पूजा भी की, इससे पता चलता है कि विशेष अवसर पर विशेष लाभ हेतु गुरुमंत्र के साथ साथ अन्य मंत्र और अन्य देवी देवताओं का पूजन किया जा सकता है।
उम्मीद है कि आपकी समस्या का समाधान हो गया होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
गायत्री परिवार
अपने कोई भी प्रश्न 9810893335 पर व्हाट्सएप करें।
No comments:
Post a Comment