प्रश्न - *यदि हमारी कोई गलती न होने पर हमारे कुछ मित्र अपनी और से बाते बना कर हमसे बात न करना चाहे, और वो मिलना भी न चाहे क्योंकि मन पूरे दिन यही सोचता है कि वो बात क्यों नही करना चाहता,क्या पता बात करके matter को solve किया जा सकता है या कुछ नहीं करना चाहिए।*
उत्तर - प्रत्येक व्यक्ति आज सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक और मनोमानसिक समस्याओं से जूझ रहा है। मनचाहा करियर बनाना और आत्मनिर्भर बनना आज चुनौती है।
मित्रता आज एक व्यापारिक लेनदेन बन गया है, यदि किसी मित्रता में लाभ नहीं दिखता तो अक्सर लोग उसे छोड़ना पसंद करते हैं।
आपका व्यक्तित्व और आपकी सोच यदि ऊर्जा दायी है, आपसे बात करके किसी का तनाव कम होता है। आपसे बातकरके अच्छा लगता है और सुकून किसी को मिलता है। तो वह मित्र ज़्यादा देर तक आपसे नाराज नहीं रह सकता क्योंकि आप उसकी मानसिक राहत की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं।
यदि कोई बेवजह आपसे नहीं बात कर रहा और मिलना नहीं चाह रहा तो इसके तीन कारण हो सकते हैं - प्रथम वह स्वयं किसी उलझन में है, द्वितीय गलतफहमी, तृतीय आप से बातकरके वो राहत नहीं पा रहा आप उसके लिए उपयोगी नहीं हो।
आप स्वयं पहल करके बात करें, यदि कोई गलतफहमी होगी तो दूर हो जाएगी। यदि वह स्वयं परेशान है तो आपकी पहल से उसे सुकून मिलेगा औऱ आपसे बातचीत पुनः शुरू हो जाएगी।
यदि तृतीय कारण है तो स्वयं पर काम कीजिए। अपनी भाषा व्यवहार और अपनी उपयोगिता पर काम कीजिए। अपने आपको बेहतर बनाने में जुट जाइये और उसके बारे में सोचना छोड़ दीजिए।
जैसे ही आप कुछ योग्य और सफल बनेंगे वह स्वतः आपके पास मित्रता की रिकवेस्ट लेकर आ जायेगा।
किसी भी परिस्थिति को आप कैसे हैंडल करते हैं और आप कितने उपयोगी व सफल है, इस पर आपकी मित्रता की नींव टिकी हुई है।
दूसरों को स्पेस भी दें, ज्यादा मित्रता में चिपकना भी कभी कभी मित्रता को तोड़ देता है। पहल एक दो बार करना अच्छा है, किंतु बार बार करना उचित नहीं है।
मित्रता की कसौटी में विश्वास और एक दूसरे का सम्मान आवश्यक है। एक दूसरे का साथ तभी दे पाओगे।
💐श्वेता चक्रवर्ती
गायत्री परिवार
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