प्रश्न - दीदी, अभी पिछले एक वर्ष से हम और हमारे चार मित्र मिल कर गुरुदेव का कार्य जैसे दीप यज्ञ, यज्ञ, संकीर्तन के माध्यम से जनजागरण का कर रहे है परंतु अब ऐसा लगता है की एक को छोड कर बाकी तीन मित्र रुचि नहीं ले रहे है। हम गुरुदेव का कार्य किस तरह रुचि पूर्ण बना सकते है जिससे आज की generation जुड़े और गुरु कार्य करे।
उत्तर - भाई, आपके प्रश्न का उत्तर देने से पूर्व मैं आपको महर्षि रमण और युगऋषि परम पूज्य गुरुदेव का संवाद सुनाती हूँ।
परम् पूज्य गुरुदेव अपनी युवास्था में प्रसिद्ध महर्षि रमण से मिलने गए, महर्षि ने उनकी ओर देखकर पूंछा तुम क्या करते हो?
गुरुदेव ने उत्तर दिया, मनुष्य में देवत्व जगाने के लिए, युगनिर्माण के लिए जन चेतना को जगाने और भारतीय संस्कृति के संवर्धन का प्रयास कर रहा हूँ।
महर्षि रमण ने कहा बिना आध्यात्मिक प्रयास और तप के बिना तुम यह लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते। फिर गुरुदेव की आंख में देखकर बोले अरे तुम तो आध्यात्मिक पुरुषार्थ और तप में पहले से ही प्रयत्नशील हो। तुम लक्ष्य को प्राप्त कर लोगे।
इस उपरोक्त संवाद से हमें यह सीख मिलती है कि हम गुरु देव के सहयोगियों और गुरु के शिष्यों को भी कुछ अंश तक तपशील होकर आध्यात्मिक पुरुषार्थ करना होगा, तभी हम अपनी चेतना को गुरु चेतना से जोड़कर देवत्व से जुड़ सकेंगे। दूसरों को नई जनरेशन को भी गुरुचेतना से जोड़ सकेंगे।
मोबाईल खरीदना भर पर्याप्त नहीं होता प्रत्येक महीने उस नेटवर्क रिचार्ज करना जरूरी होता है, नित्य उसकी बैटरी भी चार्ज करना जरूरी होता है। तभी उस फोन से नित्य कॉल, व्हाट्सएप, ईमेल इत्यादि कर पाओगे।
इसीतरह गुरु दीक्षा लेकर किसी गुरु कार्य का संकल्प लेना पर्याप्त नहीं है। उस संकल्प को गुरुदेव की चेतना के नेटवर्क से रिचार्ज करना और उस संकल्प हेतु नित्य अपने मन की ऊर्जा को चार्ज करना जरूरी है। तभी बात बनेगी और गुरुकार्य में अनवरतता बनी रहेगी।
पर्सनल लेवल पर नित्य दैनिक गायत्री की साधना में 3 माला गायत्री जप, उगते सूर्य का ध्यान, 20 मिनट क्रांति धर्मी साहित्य का स्वाध्याय जरूरी है।
ग्रुप लेवल पर सप्ताह में एक बार 15 मिनट गायत्री जप गुरुदेव की आवाज के साथ मोबाईल में चलाकर, 15 मिनट का गुरुदेव की आवाज में ध्यान करें। निम्नलिखित में से कोई भी पुस्तक सामूहिक स्वाध्याय में 20 मिनट पढ़े :-
1- ऋषि युग्म की झलक झांकी
2- अद्भुत आश्चर्य किंतु सत्य
3- चेतना की शिखर यात्रा
4- सुनसान के सहचर
5- हमारी वसीयत हमारी विरासत
यदि आपका समूह इन पुस्तकों का स्वाध्याय पर्सनल या ग्रुप में करेगा, उनकी रुचि गुरुकार्य में सदैव बनी रहेगी, क्योंकि उनकी चेतना गुरु चेतना से रिचार्ज होगी और उनकी चेतना के भीतर गुरुदेव का नेटवर्क आता रहेगा।
नित्य गायत्री की उपरोक्त बताई साधना से उनका मन ऊर्जा से चार्ज होगा। वह कलियुगी सांसारिक कीचड़ से ऊपर उठकर कमल की तरह खिलेंगे।
ऐसे लोगों का समूह किसी भी शतसूत्री कार्यक्रम और सप्त आंदोलन को हाथ में लेगा तो सफलता अवश्य मिलेगी। अनवरतता बनी रहेगी।
आदरणीय चिन्मय भैया के वक्तव्य यूट्यूब पर चलाकर अवश्य सुने उससे भी बहुत ऊर्जा मिलती है।
आपकी बहन
श्वेता चक्रवर्ती
गायत्री परिवार, गुरुग्राम
अपने प्रश्न 9810893335 पर व्हाट्सएप करें।
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