Tuesday, 8 October 2024

प्रश्न - जप करते वक्त बहुत नींद आती है, जम्हाई आती है क्या करूँ?

 प्रश्न - जप करते वक्त बहुत नींद आती है, जम्हाई आती है क्या करूँ?


उत्तर - जिनका मष्तिष्क ओवर थिंकिंग के कारण अति अस्त व्यस्त रहता है, वह जब जप करते हैं तो दिमाग को आराम मिलता है और वह नींद में जाता है।


जिनका पेट जप के वक्त भरा होता है, ऑक्सीजन सारी भोजन पचाने में व्यस्त होती है, अतःजप के लिए आवश्यक स्पेस (आकाश तत्व) नहीं मिलता। जप को इग्नोर करने हेतु नींद आती है।


जो जप करना तो चाहते हैं, मगर जप की महत्ता का मर्म नहीं हृदय से महसूस करते। यंत्रवत जप करते हैं, दिमाग़ जप को महत्त्वपूर्ण नोटिस नहीं करता अतः नींद आती है।


कभी इंटरेस्टिंग फ़िल्म देखते हुए या अतिमहत्त्वपूर्ण व्यक्ति जिनको आप हृदय से चाहते हैं उनका लेक्चर वक्त आपको नींद आती है। उत्तर है नहीं..


वहीं पढ़ते वक़्त, ट्रेनिंग के वक्त, किसी ऐसे व्यक्ति का जो एवरेज है लेक्चर सुनते वक्त आपको नींद आलस्य आता है।


अतः कुछ प्रश्न स्वयं से कीजिये:-


1- सुबह उठकर गायत्री मंत्र तीन बारजपकर ईश्वर को जीवन में जो कुछ मिला है उसके लिए धन्यवाद दिया?

2- पूरी चैतन्यता के साथ नहाते वक्त मां गंगा का स्मरण करते हुए नहाया? एक एक जल की बूंद को महसूस किया? नहाकर शरीर को ऊर्जावान महसूस किया?

3- क्या जप करने के 15 मिनट पूर्व से जप करने के लिए मष्तिष्क को आवश्यक मन से तैयार किया?

4- जप से पूर्व एक ग्लास पानी को गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित करके स्वयं की तन मन आत्मा को जितनी माला करनी है उतने का संकल्प लेते हुए, जप कर सकेंगे चैतन्यता के साथ इस भाव के साथ जल पिया?

5- जप से पूर्व षट कर्म को भावपुर्वक किया?

6- जप से पूर्व कम से कम  21 बार प्राणायाम किया?

7- भगवान के आह्वाहन के बाद हृदय से यह विश्वास किया कि भगवान आ गए हैं, जो अतिमहत्वपूर्ण हैं उनकी उपस्थिति में जप हो रहा है। जब भगवान सामने है तो आप सो कैसे सकते हैं?

8- कम्बल या कुश के आसन की व्यवस्था की जप से पूर्व?

9- पूजन का कमरा साफ स्वच्छ और व्यवस्थित है? 

10- क्या नित्य 20 मिनट युग्साहित्य का स्वाध्याय होता है?


यदि उपरोक्त प्रश्न के उत्तर नहीं हैं, तो आप धार्मिक हैं आध्यात्मिक नहीं। गुरु से दीक्षित है पर  गुरु चेतना से जुड़े नहीं है। भगवान की पूजा यंत्रवत करते हैं। पूजन के वक्त आह्वाहन के बाद भगवान की उपस्थिति को मानते नहीं, विश्वास ही नहीं करते कि भगवान समक्ष हैं। अतः नींद और आलस्य पूजन के वक्त आना स्वाभाविक है क्योंकि इसी समय मन को आप आराम देते हैं।


उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर को हाँ में बदल दीजिए, उपरोक्त सारे नियम अपनाइए। स्वयं के भीतर सच्चा अध्यात्म जगाइए। कभी पूजन के वक्त नींद की शिकायत नहीं होगी।


प्रिय थोड़ा कठोर ज्ञान बोला है, किंतु मन को कसने के लिए थोड़ी कठोरता जरूरी है। क्षमा करना बुरा लगा हो तो...


आपकी बहन

श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार

गुरुग्राम हरियाणा

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Monday, 7 October 2024

प्रश्न - दीदी, अभी पिछले एक वर्ष से हम और हमारे चार मित्र मिल कर गुरुदेव का कार्य जैसे दीप यज्ञ, यज्ञ, संकीर्तन के माध्यम से जनजागरण का कर रहे है परंतु अब ऐसा लगता है की एक को छोड कर बाकी तीन मित्र रुचि नहीं ले रहे है। हम गुरुदेव का कार्य किस तरह रुचि पूर्ण बना सकते है जिससे आज की generation जुड़े और गुरु कार्य करे।

 प्रश्न - दीदी, अभी पिछले एक वर्ष से हम और हमारे चार मित्र मिल कर गुरुदेव का कार्य जैसे दीप यज्ञ, यज्ञ, संकीर्तन  के माध्यम से जनजागरण का कर रहे है परंतु अब ऐसा लगता है की एक को छोड कर बाकी तीन मित्र रुचि नहीं ले रहे है। हम गुरुदेव का कार्य किस तरह रुचि पूर्ण बना सकते है जिससे आज की generation जुड़े और गुरु कार्य करे।


उत्तर - भाई, आपके प्रश्न का उत्तर देने से पूर्व मैं आपको महर्षि रमण और युगऋषि परम पूज्य गुरुदेव का संवाद सुनाती हूँ।


परम् पूज्य गुरुदेव अपनी युवास्था में प्रसिद्ध महर्षि रमण से मिलने गए,  महर्षि ने उनकी ओर देखकर पूंछा तुम क्या करते हो?


गुरुदेव ने उत्तर दिया, मनुष्य में देवत्व जगाने के लिए, युगनिर्माण के लिए जन चेतना को जगाने और भारतीय संस्कृति के संवर्धन का प्रयास कर रहा हूँ।


महर्षि रमण ने कहा बिना आध्यात्मिक प्रयास और तप के बिना तुम यह लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते। फिर गुरुदेव की आंख में देखकर बोले अरे तुम तो आध्यात्मिक पुरुषार्थ और तप में पहले से ही प्रयत्नशील हो। तुम लक्ष्य को प्राप्त कर लोगे। 


इस उपरोक्त संवाद से हमें यह सीख मिलती है कि हम गुरु देव के सहयोगियों और गुरु के शिष्यों को भी कुछ अंश तक तपशील होकर आध्यात्मिक पुरुषार्थ करना होगा, तभी हम अपनी चेतना को गुरु चेतना से जोड़कर देवत्व से जुड़ सकेंगे। दूसरों को नई जनरेशन को भी गुरुचेतना से जोड़ सकेंगे।


मोबाईल खरीदना भर पर्याप्त नहीं होता प्रत्येक महीने उस नेटवर्क रिचार्ज करना  जरूरी होता है, नित्य उसकी बैटरी भी चार्ज करना जरूरी होता है। तभी उस फोन से नित्य कॉल, व्हाट्सएप, ईमेल इत्यादि कर पाओगे।


इसीतरह गुरु दीक्षा लेकर किसी गुरु कार्य का संकल्प लेना पर्याप्त नहीं है।  उस संकल्प को गुरुदेव की चेतना के नेटवर्क से रिचार्ज करना और उस संकल्प हेतु नित्य अपने मन की ऊर्जा को चार्ज करना जरूरी है। तभी बात बनेगी और गुरुकार्य में अनवरतता बनी रहेगी।


पर्सनल लेवल पर नित्य दैनिक गायत्री की साधना में 3 माला गायत्री जप, उगते सूर्य का ध्यान, 20 मिनट क्रांति धर्मी साहित्य का स्वाध्याय जरूरी है।


ग्रुप लेवल पर सप्ताह में एक बार 15 मिनट गायत्री जप गुरुदेव की आवाज के साथ मोबाईल में चलाकर, 15 मिनट का गुरुदेव की आवाज में ध्यान करें। निम्नलिखित में से कोई भी पुस्तक सामूहिक स्वाध्याय में 20 मिनट पढ़े :-


1- ऋषि युग्म की झलक झांकी

2- अद्भुत आश्चर्य किंतु सत्य

3- चेतना की शिखर यात्रा

4- सुनसान के सहचर

5- हमारी वसीयत हमारी विरासत


यदि आपका समूह इन पुस्तकों का स्वाध्याय पर्सनल या ग्रुप में करेगा, उनकी रुचि गुरुकार्य में सदैव बनी रहेगी, क्योंकि उनकी चेतना गुरु चेतना से रिचार्ज होगी और उनकी चेतना के भीतर गुरुदेव का नेटवर्क आता रहेगा।


नित्य गायत्री की उपरोक्त बताई साधना से उनका मन ऊर्जा से चार्ज होगा। वह कलियुगी सांसारिक कीचड़ से ऊपर उठकर कमल की तरह खिलेंगे।


ऐसे लोगों का समूह किसी भी शतसूत्री कार्यक्रम और सप्त आंदोलन को हाथ में लेगा तो सफलता अवश्य मिलेगी। अनवरतता बनी रहेगी।


आदरणीय चिन्मय भैया के वक्तव्य यूट्यूब पर चलाकर अवश्य सुने उससे भी बहुत ऊर्जा मिलती है।


आपकी बहन

श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार, गुरुग्राम

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Sunday, 6 October 2024

पब्लिक ओपिनियन, बन गया है जीवन

 ज़रा विचार करो...


पब्लिक ओपिनियन,

बन गया है जीवन,

दूसरों के हाथ में,

हम सबने दे दिया है रिमोट...


स्व स्थिति का नहीं है भान,

पर स्थिति में भटक रहा है मन,

दूसरों के दिखाए मार्गपर,

अंधों की तरह चल रहा है यौवन...


नाम दूसरों ने दिया,

पहचान दूसरों ने बताई,

क्या करना है दुसरो ने सिखाया,

क्यों करना है दूसरों ने बताया...


बेतहाशा अंधी दौड़ में दौड़ रहे हैं,

दूसरों की नक़ल करने को,

अक्ल समझ रहे हैं,

दूसरे हमारे रहन सहन व्यहार को,

मनचाहा कंट्रोल कर रहे हैं..


टीवी, विज्ञापन एजेंसी,

और शोशल मीडिया के गुलाम हैं,

फिर भी हम सब मूर्ख,

स्वयं को आज़ाद समझ रहे हैं....


अरे मोह निंद्रा से जागो,

होश में आओ,

कौन हो तुम? क्या हो तुम?

इस खोज में जुट जाओ...


धन संपत्ति से,

सुविधा और आराम मिलता है,

आंनद नहीं मिल सकता...

स्कूली शिक्षा से,

धन कमाने का हुनर,

और रात के अंधकार को दूर करने का ज्ञान,

मिल सकता है,

मन के अंधकार को मिटाने का ज्ञान,

नहीं मिल सकता...


खुद को होश में लाओ,

ख़ुद को प्रकाशित करो,

आत्मज्ञान की लौ से,

मन के अंधकार को दूर करो...


अध्यात्म दृष्टि है,

विज्ञान शरीर है,

विज्ञान को अध्यात्म की दृष्टि से,

सही दिशा में चलाओ,

स्वयं के जीवन में पूर्णता लाओ...


नित्य दैनिक गायत्री उपासना-साधना-आराधना से,

स्वयं को आध्यात्मिक बनाओ,

अपने को जानो पहचानो,

स्वयं में देवत्व जगाओ...


💐श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार

Monday, 2 September 2024

प्रश्न - *यदि हमारी कोई गलती न होने पर हमारे कुछ मित्र अपनी और से बाते बना कर हमसे बात न करना चाहे, और वो मिलना भी न चाहे क्योंकि मन पूरे दिन यही सोचता है कि वो बात क्यों नही करना चाहता,क्या पता बात करके matter को solve किया जा सकता है या कुछ नहीं करना चाहिए

 प्रश्न - *यदि हमारी कोई गलती न होने पर हमारे कुछ मित्र अपनी और से बाते बना कर हमसे बात न करना चाहे, और वो मिलना भी न चाहे क्योंकि मन पूरे दिन यही सोचता है कि वो बात क्यों नही करना चाहता,क्या पता बात करके matter को solve किया जा सकता है या कुछ नहीं करना चाहिए।*


उत्तर - प्रत्येक व्यक्ति आज सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक और मनोमानसिक समस्याओं से जूझ रहा है। मनचाहा करियर बनाना और आत्मनिर्भर बनना आज चुनौती है।


मित्रता आज एक व्यापारिक लेनदेन बन गया है, यदि किसी मित्रता में लाभ नहीं दिखता तो अक्सर लोग उसे छोड़ना पसंद करते हैं।


आपका व्यक्तित्व और आपकी सोच यदि ऊर्जा दायी है, आपसे बात करके किसी का तनाव कम होता है। आपसे बातकरके अच्छा लगता है और सुकून किसी को मिलता है। तो वह मित्र ज़्यादा देर तक आपसे नाराज नहीं रह सकता क्योंकि आप उसकी मानसिक राहत की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं। 


यदि कोई बेवजह आपसे नहीं बात कर रहा और मिलना नहीं चाह रहा तो इसके तीन कारण हो सकते हैं - प्रथम वह स्वयं किसी उलझन में है, द्वितीय गलतफहमी,  तृतीय आप से बातकरके वो राहत नहीं पा रहा आप उसके लिए उपयोगी नहीं हो।


आप स्वयं पहल करके बात करें, यदि कोई गलतफहमी होगी तो दूर हो जाएगी। यदि वह स्वयं परेशान है तो आपकी पहल से उसे सुकून मिलेगा औऱ आपसे बातचीत पुनः शुरू हो जाएगी।


यदि तृतीय कारण है तो स्वयं पर काम कीजिए। अपनी भाषा व्यवहार और अपनी उपयोगिता पर काम कीजिए। अपने आपको बेहतर बनाने में जुट जाइये और उसके बारे में सोचना छोड़ दीजिए।


जैसे ही आप कुछ योग्य और सफल बनेंगे वह स्वतः आपके पास मित्रता की रिकवेस्ट लेकर आ जायेगा।


किसी भी परिस्थिति को आप कैसे हैंडल करते हैं और आप कितने उपयोगी व सफल है, इस पर आपकी मित्रता की नींव टिकी हुई है।


दूसरों को स्पेस भी दें, ज्यादा मित्रता में चिपकना भी कभी कभी मित्रता को तोड़ देता है। पहल एक दो बार करना अच्छा है, किंतु बार बार करना उचित नहीं है।


मित्रता की कसौटी में विश्वास और एक दूसरे का सम्मान आवश्यक है। एक दूसरे का साथ तभी दे पाओगे।


💐श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार


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प्रश्न - गुरुदीक्षा में मिले गुरुमंत्र जप में भाव अच्छा बनता है, जप करता हूँ। क्या गुरु मंत्र लेने के बाद सरस्वती मंत्र की जगह गुरु मंत्र ही जपना चाहिए? क्योंकि मन के भाव ऐसे ही कहते हैं।

 प्रश्न - गुरुदीक्षा में मिले गुरुमंत्र जप में  भाव अच्छा बनता है, जप करता हूँ। क्या गुरु मंत्र लेने के बाद सरस्वती मंत्र की जगह गुरु मंत्र ही जपना चाहिए? क्योंकि मन के भाव ऐसे ही कहते हैं।


उत्तर - आध्यात्मिक यात्रा हमारी वस्तुतः आत्म उन्नति और आध्यात्मिक लाभ के लिए होती है। गुरुमंत्र वस्तुतः गुरु हमारी चेतना के स्तर को उठाने और आत्म उन्नति के लिए देता है। गुरुमंत्र सर्वसमर्थ है, वह आध्यात्मिक उन्नति के साथ साथ सांसारिक जगत में सफलता दिलाने में सक्षम है।


हम सब सांसारिक गृहस्थ लोग हैं, यदि कोई किसी भी शिक्षा के क्षेत्र में अध्ययनरत विद्यार्थी है या अध्यापन कार्य में संलग्न है, तो विशेष विद्या के क्षेत्र में लाभ हेतु गुरुमंत्र जप के बाद सरस्वती जी के कुछ मंत्रों का जप 24 या 108 बार(एक माला) पर्याप्त है।


सरस्वती बुद्धि और विद्या की देवी हैं, यदि आपकी श्रद्धा जपने की है तो आप अवश्य जपें। किंतु यदि आप केवल गुरुमंत्र जपते हैं तो भी आपको विद्या और बुद्धि की वृद्धि हेतु भी अवश्य लाभ होगा।


ऐसे ही गुरु मंत्र जप के साथ शक्ति के लिए दुर्गा के मंत्र, आरोग्य के लिए शिव मंत्र, धन के लिए लक्ष्मी मंत्र इत्यादि जपें जा सकते हैं।


हमारी सनातन धर्म संस्कृति में युगों युगों से मात्र गायत्री मंत्र ही गुरु दीक्षा में दिया जाता है। भगवान राम को ऋषि वशिष्ठ ने गुरु मंत्र में गायत्री मंत्र ही मिला था। किंतु यदि आप रामायण पढ़े तो आप पाएंगे कि तीनों संध्या में भगवान राम जी गायत्री मंत्र ही जपते थे। किंतु विशेष अवसर पर सेतुबंध के समय शिव पूजा और युद्ध प्रारम्भ के समय उन्होंने दुर्गा पूजा भी की, इससे पता चलता है कि विशेष अवसर पर विशेष लाभ हेतु गुरुमंत्र के साथ साथ अन्य मंत्र और अन्य देवी देवताओं का पूजन किया जा सकता है।


उम्मीद है कि आपकी समस्या का समाधान हो गया होगा।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

गायत्री परिवार


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Cultivate inner calm and composure..

 Cultivate inner calm and composure..


As you navigate the demands of your professional life, remember to cultivate inner calm and composure. Strive to maintain a state of equanimity, even in the face of challenges and deadlines.


Avoid getting caught up in mental turmoil and refrain from making hasty decisions based on surface-level information. Instead, take a step back, focus your mind, and weigh your options carefully.


Embrace a mindful approach to your work, and prioritize quiet contemplation before making key decisions. This will help you stay centered, think more critically, and make choices that align with your goals and values.


By doing so, you'll become a more effective, productive, and resilient professional, capable of handling even the most pressing tasks with clarity and poise.


💐Sweta Chakraborty

#awgp #ThoughtRevolution

गणेश चतुर्थी 2024 की तिथि कब है, इसकी पूजन विधि एवं प्रतिमाओं की स्थापना का शुभ मुहूर्त - 2024 बताएं

 प्रश्न - *गणेश चतुर्थी 2024 की तिथि कब है, इसकी पूजन विधि एवं प्रतिमाओं की स्थापना का शुभ मुहूर्त - 2024 बताएं*


उत्तर -  उदयातिथि के अनुसार 

मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रहा है। इस मुहूर्त का समापन उसी दिन दोपहर के 1 बजकर 33 मिनट पर होगा।


प्रतिमा पर्यावरण फ्रेंडली इस तरह बनाकर स्थापित करें:- 


गाय के गोबर से गणेश जी की शिव लिंग की तरह गणेश की गोलाकार प्रतिमा बनांकर धूप में सुखा लें व उनकी ही स्थापना करें।


या


सुपारी की गणेश प्रतीक प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं।


या


मिट्टी व प्राकृतिक रँग व सामान से बनी प्रतिमा उपयोग में लें।


या


धातु की बनी गणेश प्रतिमा स्थापित करें, विसर्जन के दिन जल छिड़कर विदा कर दें और बॉक्स में बन्द कर सुरक्षित रख लें, पुनः अगले साल उस प्रतिमा को धोकर व पॉलिश करके पुनः स्थापित नहला धुलाकर कर लें, विसर्जन के बाद पुनः बॉक्स में सुरक्षित रख लें।


अप्राकृतिक सामान से प्लास्टिक ऑफ पेरिस से बनी गणेश प्रतिमा न खरीदें, जो विसर्जन के बाद जल में घुलती नहीं। प्रदूषण करती है।


आज के दिन के साथ ही दस दिवसीय गणेशोत्सव शुरू हो जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इसी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है


गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा दोपहर के समय करना शुभ माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। *गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त के संयोग पर गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करना शुभ रहेगा। ।* इसके अलावा पूरे दिन शुभ संयोग होने से सुविधा अनुसार किसी भी शुभ लग्न या चौघड़िया मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना कर सकते हैं।


सभी पर्व सामूहिक रूप से मनाये जाते हैं, परन्तु पूजन के लिए किसी प्रतिनिधि को पूजा चौकी के पास बिठाना पड़ता है, इसी परिप्रेक्ष्य में पास बिठाये हुए प्रतिनिधि को षट्कर्म कराया जाए, अन्य उपस्थित परिजनों का सामूहिक सिंचन से भी काम चलाया जा सकता है। फिर सर्वदेव नमस्कार, स्वस्तिवाचन आदि क्रम सामान्य प्रकरण से पूरे कर लिये जाएँ। तत्पश्चात् श्रीगणेश एवं लक्ष्मी के आवाहन- पूजन प्रतिनिधि से कराए जाएँ।


👉🏻॥ *गणेश आवाहन*॥


गणेश जी को विघ्ननाशक और बुद्धि- विवेक का देवता माना गया है।


*ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि।*


*तन्नो दन्ती प्रचोदयात्॥* - गु०गा०


*ॐ विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय,*


*लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय।*


*नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय,*


*गौरीसुताय गणनाथ! नमो नमस्ते॥*


*ॐ श्री गणेशाय नमः॥ आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।*


👉🏻॥ *दीपयज्ञ से गणेशोत्सव*॥


दीप, ज्ञान के- प्रकाश के प्रतीक हैं। ज्ञान और प्रकाश के वातावरण में ही लक्ष्मी बढ़ती है, फलती- फूलती है। अज्ञान और अन्धकार में वह नष्ट हो जाती है, इसलिए प्रकाश और ज्ञान के प्रतीक साधन दीप जलाये जाते हैं।


एक थाल में कम से कम ५ या ११ घृत- दीप जलाकर उसका निम्न मन्त्र से विधिवत् पूजन करें। तत्पश्चात् गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में जितने चाहें, उतने दीप तेल से जलाकर विभिन्न स्थानों पर रखें।


*ॐ अग्निर्ज्योतिर्ज्योतिरग्निः स्वाहा। सूर्यो ज्योतिर्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा। अग्निर्वर्च्चो ज्योतिर्वर्च्चः स्वाहा। सूर्यो वर्च्चो ज्योतिर्वर्च्चः स्वाहा। ज्योतिः सूर्यः सूर्यो ज्योतिः स्वाहा*॥ ३.९


सभी के हाथ मे अक्षत पुष्प देकर नेत्र बन्द कर भावनात्मक आहुति देने को बोलिये।


*गायत्री मन्त्र*- ॐ भूर्भूवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।


*गणेश गायत्री मन्त्र*- ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।


*दुर्गा गायत्री मन्त्र*- गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।


*रुद्र गायत्री मन्त्र*- ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, महाकालाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्


*चन्द्र गायत्री मन्त्र*- ॐ क्षीरपुत्राय    विद्महे, अमृतत्वाय धीमहि, तन्न: चन्द्र:  प्रचोदयात्।


*महामृत्युंजय मन्त्र*- ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।


👇🏻


*||गणेश जी की आरती||*


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥


एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी॥


पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥


अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥


‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥


*||शान्तिपाठ||*


ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः


पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः ।


वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः


सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ॥


ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती, गायत्री परिवार

प्रश्न - जप करते वक्त बहुत नींद आती है, जम्हाई आती है क्या करूँ?

 प्रश्न - जप करते वक्त बहुत नींद आती है, जम्हाई आती है क्या करूँ? उत्तर - जिनका मष्तिष्क ओवर थिंकिंग के कारण अति अस्त व्यस्त रहता है, वह जब ...