अद्भुत और प्राचीन विद्या पद्धति से, गर्भ में मनचाही सन्तान को गढ़ना सम्भव है। इसे गर्भ संस्कार(पुंसवन संस्कार) कहते हैं।
इतिहास साक्षी है, देवी सीता हो या जीजाबाई गर्भ में ही इन्होंने गर्भ संस्कार और उपासना - स्वाध्याय - ध्यान से बच्चों की मनचाही मनःस्थिति गढ़ने में सफल हुई।
आधुनिक चिकित्सा पद्धति रोग होने के बाद इलाज़ कर सकता है, लेकिन आधुनिक चिकित्सा पद्धति मनःस्थिति का न निर्माण कर सकती है और न ही गड़बड़ मनःस्थिति का इलाज़ कर सकती हैं। कोई भी शल्यचिकित्सा(ऑपरेशन) से ट्यूमर की तरह गड़बड़ मनःस्थिति को ऑपरेट करके निकाल भी नहीं सकता।
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मानक अनुसार स्वस्थ वही है जो शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ हो। आप वेबसाइट WHO की चेक कर सकते हो।
फिर सिर्फ़ शरीर के निर्माण, वज़न, हृदय गति को चेक करके डॉक्टर गर्भस्थ बच्चे का स्वास्थ्य कैसे सुनिश्चित कर सकता है। स्वयं विचार करें... और प्रत्येक हॉस्पिटल में गर्भवती स्त्री गर्भ संस्कार करवा के मानसिक सेशन जरूर ले यह सुनिश्चित करें।
इतिहास साक्षी है, देवी सीता हो या जीजाबाई गर्भ में ही इन्होंने गर्भ संस्कार और उपासना - स्वाध्याय - ध्यान से बच्चों की मनचाही मनःस्थिति गढ़ने में सफल हुई।
आधुनिक चिकित्सा पद्धति रोग होने के बाद इलाज़ कर सकता है, लेकिन आधुनिक चिकित्सा पद्धति मनःस्थिति का न निर्माण कर सकती है और न ही गड़बड़ मनःस्थिति का इलाज़ कर सकती हैं। कोई भी शल्यचिकित्सा(ऑपरेशन) से ट्यूमर की तरह गड़बड़ मनःस्थिति को ऑपरेट करके निकाल भी नहीं सकता।
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मानक अनुसार स्वस्थ वही है जो शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ हो। आप वेबसाइट WHO की चेक कर सकते हो।
फिर सिर्फ़ शरीर के निर्माण, वज़न, हृदय गति को चेक करके डॉक्टर गर्भस्थ बच्चे का स्वास्थ्य कैसे सुनिश्चित कर सकता है। स्वयं विचार करें... और प्रत्येक हॉस्पिटल में गर्भवती स्त्री गर्भ संस्कार करवा के मानसिक सेशन जरूर ले यह सुनिश्चित करें।
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