Saturday 17 February 2018

प्रश्न:- धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं या विरोधी?

*प्रश्न:-  धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं या विरोधी?*

धन्यवाद भैया, आपने मुझे इस प्रश्न के योग्य समझा।

उत्तर - शक्ति के बिना शिव शव है, धर्म के बिना विज्ञान शव है।

🙏🏻🙏🏻 *धर्म*- अर्थात कर्तव्यों की लिस्ट सूची जो आत्मकल्याण के साथ साथ लोकल्याण के लिए विश्व कल्याण के लिए करना चाहिए। a complete do & don't list for human being... सही दिशा, सही दृष्टिकोण देने वाली व्यवस्था, भटकाव से बचाने वाली व्यवस्था। उदाहरण स्व धर्म, राष्ट्र धर्म, परिवार धर्म इत्यादि।

🙏🏻 *अध्यात्म* - अर्थात आत्मा का अध्ययन करने वाली ऋषि परम्परा व्यवस्था। आत्मउत्कर्ष हेतु विभिन्न साधनाएं, आत्म बल - ब्रह्म बल प्राप्ति के उपाय , सूत्र, आध्यात्मिक वैज्ञानिक तात्विक विवेचन। स्वयं को जानने का पूर्ण विज्ञान और साथ ही पूर्ण समाज के उपचार और सम्वर्धन की प्रक्रिया।आध्यात्मिक शशक्त यन्त्र-उपयंत्र तकनीक के उदाहरण - गायत्री मन्त्र जप, महामृत्युंजय जप, यज्ञ, वेदमन्त्रों के विभिन्न प्रयोग, बीज मंत्र,विभिन्न ध्यान, योग, श्वांस के विभिन्न प्राणायाम, चन्द्रायण कल्प साधना,पँचकोशिय साधना,षठ चक्र बेधन, ब्रह्म ग्रन्थि बेधन, यज्ञ एक समग्र उपचार इत्यादि।

धर्म दर्शन है और अध्यात्म एक पूर्ण विज्ञान है। अध्यात्म की कोई भी प्रक्रिया अपनाएंगे त्वरित या कुछ समय बाद परिणाम आकर रहेगा।

🙏🏻 *विज्ञान* - (विज्ञ अर्थात बुद्धिमान) व्यक्ति अपने ज्ञान को परीक्षण तथ्य तर्क प्रमाण के आधार पर अनुसन्धान करके जन सामान्य के लिए प्रस्तुत कर उसे विज्ञान कहते हैं। विज्ञान के दो भाग हैं - एक मूल्य द्वारा खरीदकर विज्ञान का उपभोग करना और दूसरा उन प्रोसेस को follow करके, उसमें समय श्रम लगा के उसका अर्जन करना।

उदाहरण - टीवी आप खरीद सकते हो, लेकिन टीवी के सिस्टम को रिपेयर करने हेतु ज्ञान अर्जन करना  पड़ेगा। यही बात कार खरीदने और उसके निर्माण के ज्ञान और उसके चलाने के ज्ञान के सम्बन्ध में भी है।

विज्ञान का प्रोडक्ट शव है, यानि निर्जीव है। उसे एक जीवित विज्ञ(बुद्धिमान) चेतना अपने ज्ञान से बनाती है, और दूसरी चेतना उसका उपयोग करती है।

😇😇अब निर्माण करने वाली और उपभोग करने वाली चेतना को सद्बुद्धि युक्त आध्यात्मिक हुई और ईश्वरीय सृष्टि के सृजन में सहयोगी हुई तो यह विज्ञान प्राणिमात्र के लिए लाभकारी होगा। उदाहरण चिकित्सा के क्षेत्र की मशीनें और ज्ञान जिनसे जीवन बचता है सृजन होता है। बारूद जो पहाड़ को तोड़कर राश्ता बनाता है,मानव श्रम बचाएगा। वैदिक यज्ञ प्राण प्रजन्य की वर्षा करता है, सृष्टि का समग्र उपचार होगा, समस्त सृष्टि का कल्याण होगा। गायत्री मन्त्र और महामृत्युंजय मन्त्र के प्रयोग से लोगों की चेतना में ऊर्जा उतपन्न किया जाएगा। सद्बुद्धि और लोककल्याणार्थ काम करने वाली चेतना विज्ञान को धर्म का सहयोगी बना देगी। धर्म के उपदेशक जनजागृति करके युगनिर्माण करेंगे।

😈👹अब निर्माण करने वाली और उपभोग करने वाली चेतना को दुर्बुद्धी युक्त विकृत चिंतन युक्त स्वार्थी हुई और ईश्वरीय सृष्टि के विध्वंस में स्वार्थ प्रेरित हो लगी तो यह विज्ञान प्राणिमात्र के लिए विनाशकारी होगा। उदाहरण चिकित्सा के क्षेत्र की मशीनें और ज्ञान मानव अंग का व्यापार कर पैसा कमाने में लगेगा। बारूद से आतंकवाद फैलाकर मानव हत्या होगी है।यज्ञ के तांत्रिक प्रयोग से मारण उच्चाटन होगा है समस्त सृष्टि का विनाशकारी उपक्रम होगा ।मन्त्र विनाशकारी शामक डाबर मारण मोहन उच्चाटन से आतंकी निर्माण में लगेंगें। अधर्म और दुर्बुद्धी विनाशकारी परिणाम हेतु उसी विज्ञान को धर्म का विरोधी बना देगा। अधर्मी धर्म के व्यापारी खड़े कर देगा।

*निष्कर्ष* - विज्ञान एक शशक्त टूल चाकू की तरह है, यह निर्भर करता है कि इसके उपयोग करने वाले लोगों पर...
😇
यदि धार्मिक होंगे तो फल काटकर खाएंगे, चिकित्सक है तो रोग उपचार हेतु ऑपेरशन में लेंगे।
😈
यदि अधार्मिक हुए तो चाकू से जीव हत्या कर मांस भक्षण करेंगे, चाकू दिखाकर लूटपाट करेंगे, अंगव्यापर के लिए चाकू उठाएंगे।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
चाकू और विज्ञान दोनों निर्दोष, पापमुक्त और उपयोगी हैं। इसके उपयोग करने वाले कि मानसिकता और भाव इसे धर्म का सहयोगी या विरोधी बनाते हैं।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन

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