*ब्रह्मवर्चस की अति फलदाई चांद्रायण साधना*
अध्यात्म क्षेत्र की उच्चस्तरीय सफलताओं का सुनिश्चित
राजमार्ग
भौतिक क्षेत्र की सफलताएं योग्यता, पुरुषार्थ एवं साधनाओं पर निर्भर है। आमतौर से परिस्थितियां पद अनुरूप ही बनती हैं ।अपवाद तो कभी-कभी ही होते हैं। बिना योग्यता बिना पुरुषार्थ एवं बिना साधनों के भी किसी को खजाना गड़ा हाथ लग जाए या छप्पर फाड़ कर नरसी के आंगन में सोने की हुंडी बरसने लगे तो इसे कोई नियम नहीं माना जायेगा, इसे चमत्कार ही कहा जाएगा। वैसे आशा लगाकर बैठे रहने वाले, सफलताओं का मूल्य चुकाने की आवश्यकता ना समझने वाले, व्यवहार जगत में सनकी माने और उपहास पद समझे जाते हैं। नियति विधान का उल्लंघन करके उचित मूल्य पर उचित वस्तुएं खरीदने की परंपरा को झुठलाने वाली पगडंडियां ढूंढने वाले पाने के स्थान पर खोते ही होते रहते हैं। लंबा मार्ग चलकर लक्ष्य तक पहुंचने की तैयारी करना ही बुद्धिमत्ता है, यथार्थवादीता इसी में है। बिना पंखों के कल्पना लोक में उड़ान उड़ने वाले बहिरंग जीवन में व्यवहार क्षेत्र में कदाचित कभी कोई सफल हुए हो |
अध्यात्म क्षेत्र की सफलता का शॉर्टकट बताने वाले धर्म व्यापरियों से सावधान रहें। अध्यात्म में चमत्कार स्वतः होते नहीं करने पड़ते हैं। अध्यात्म की सफ़लता का सुनिश्चित विधान क्रमशः....
भौतिक क्षेत्र की सफलताएं योग्यता, पुरुषार्थ एवं साधनाओं पर निर्भर है। आमतौर से परिस्थितियां पद अनुरूप ही बनती हैं ।अपवाद तो कभी-कभी ही होते हैं। बिना योग्यता बिना पुरुषार्थ एवं बिना साधनों के भी किसी को खजाना गड़ा हाथ लग जाए या छप्पर फाड़ कर नरसी के आंगन में सोने की हुंडी बरसने लगे तो इसे कोई नियम नहीं माना जायेगा, इसे चमत्कार ही कहा जाएगा। वैसे आशा लगाकर बैठे रहने वाले, सफलताओं का मूल्य चुकाने की आवश्यकता ना समझने वाले, व्यवहार जगत में सनकी माने और उपहास पद समझे जाते हैं। नियति विधान का उल्लंघन करके उचित मूल्य पर उचित वस्तुएं खरीदने की परंपरा को झुठलाने वाली पगडंडियां ढूंढने वाले पाने के स्थान पर खोते ही होते रहते हैं। लंबा मार्ग चलकर लक्ष्य तक पहुंचने की तैयारी करना ही बुद्धिमत्ता है, यथार्थवादीता इसी में है। बिना पंखों के कल्पना लोक में उड़ान उड़ने वाले बहिरंग जीवन में व्यवहार क्षेत्र में कदाचित कभी कोई सफल हुए हो |
अध्यात्म क्षेत्र की सफलता का शॉर्टकट बताने वाले धर्म व्यापरियों से सावधान रहें। अध्यात्म में चमत्कार स्वतः होते नहीं करने पड़ते हैं। अध्यात्म की सफ़लता का सुनिश्चित विधान क्रमशः....
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