Sunday, 18 February 2018

*प्रश्न:- आनन्द प्राप्ति के वैज्ञानिक आधार तथ्य तर्क या प्रमाण देकर बताइये? जीवन आनंद के स्रोत की प्राप्ति का मार्ग बताइये*।

*प्रश्न:- आनन्द प्राप्ति के वैज्ञानिक आधार तथ्य तर्क या प्रमाण देकर बताइये? जीवन आनंद के स्रोत की प्राप्ति का मार्ग बताइये*।

उत्तर- इस प्रश्न के उत्तर को कुछ प्रश्नोत्तरी से समझते हैं:-

👉🏽*जीवन में हम क्या चाहते हैं?*
 🙏🏻आनन्द - परमानन्द।

👉🏽 *आनन्द का स्रोत कहाँ है?भीतर या बाहर?*
🙏🏻भीतर, क्यूंकि आनन्द की अनुभूति शरीर के बाहर नहीं बल्कि हृदय के भीतर होती है। कोई ऐसा नहीं कहता कि मेरे शरीर के बाह्य इस जगह में आनंद हो रहा है😊 चमड़ी में दर्द या खुजली हो सकती है लेकिन सुख-दुःख अनुभव नहीं होता।

👉🏽 *क्या आनन्द के परिमाण को किसी स्थूल वैज्ञानिक मशीन से मापा या परीक्षण जा सकता है?*
🙏🏻नहीं माप बिल्कुल नहीं सकते, हम सिर्फ़ हृदय के शांत होने पर मष्तिष्क की wave को कुछ हद तक ही read कर सकते हैं, इसी के आधार mental state बता सकते है।

👉🏽 *एक बच्चा गिर गया, लोग उठाये दवा लगाए, बच्चा फिर भी रोता रहा। मां आयी थोड़ा प्यार किया आँचल से मुंह पोछा और सीने से लगा लिया। बच्चा चुप हो गया। तो क्या मां के आंचल और गोदी की वैल्यू का वैज्ञानिक परीक्षण सम्भव है।*
🙏🏻नहीं वैज्ञानिक परीक्षण सम्भव नहीं, लेकिन ये समझा जा सकता है कि मां के हृदय की भाव सम्वेदना और प्रेम ने इलाज़ किया और बच्चे के हृदय में आनन्द पहुंचा, बच्चा चुप हो गया।

👉🏽 *एक प्रेमी ने प्रेमिका को पुष्प दिया, उसे पाकर वह आनंदित हुई, क्या उस पुष्प के वैज्ञानिक परीक्षण से कुछ पता चलेगा कि उस पुष्प में ऐसा क्या था जो प्रेमिका को खुशी मिली।*
🙏🏻नहीं वैज्ञानिक परीक्षण से कुछ हांसिल न होगा। पुष्प साधारण है एक जरिया मात्र है, वास्तव में प्रेम भाव ही प्रधान था जो उस पुष्प के माध्यम से आदान -प्रदान किया गया।

👉🏽 *क्या बाहर की कोई वस्तु को खाकर या पीकर या पाकर आनंद प्राप्त नहीं किया जा सकता*?
🙏🏻आनंद बाहर की वस्तु से नहीं मिलता। कुछ क्षणिक खुशी मिलती है, लेकिन जो वस्तु खाकर या पीकर ख़ुशी मिल रही है वो ज्यादा मिल जाये तो वही दुःख का कारण बन जाती है। जैसे रसगुल्ला पसन्द है एक दो खाया तो आनन्द मिला , लेकिन 20 से 50 खाने पर सज़ा बन जायेगा। इसी तरह कुछ चीज़ें थोड़ी तृप्ति नहीं देती, मिलते ही उससे ज्यादा पाने की लालच बढ़ती है जो वास्तव में दुःख का कारण बनता है, जैसे शराब, पदोन्नति, गाड़ी, बंगला, वैवाहिक रिश्ते की खुशी  इत्यादि।

👉🏽 *भक्त को स्थूल में देखो तो भगवान से कुछ ख़ास नहीं मिलता, लेकिन फ़िर भी भौतिक साधन संपन्न व्यक्ति से वो ज्यादा खुश और आनन्दित दिखता है? क्या इस आनन्द का वैज्ञानिक परीक्षण सम्भव है*?
🙏🏻नहीं वैज्ञानिक परीक्षण स्थूल वस्तु का हो सकता है, लेकिन भावना और आनन्द तो अनुभूति जन्य है इसे कैसे माप या परीक्षण कर सकते है? माना जाता है कि भक्त की भक्ति से भीतर का आनन्द श्रोत खुल जाता है, जो बाहर से न दिखे लेकिन जिसको पान करके वो आनन्दमग्न रहता है।

👉🏽 *आध्यात्मिक दृष्टिकोण के साथ जीवन जीने और सांसारिक भौतिकवादी दृष्टिकोण से जीने में क्या फर्क है*?
🙏🏻 सांसारिक दृष्टिकोण स्वयं का भी भला नहीं करता, वो जिस डाली पर बैठा है उस को ही काटता रहता है। एक सेंटीमीटर की जीभ की तृप्ति हेतु पूरे शरीर को रोग का घर बनाकर नाना प्रकार की बीमारियों से ग्रसित रहता है। मन की तृप्ति में गुलामों की तरह लग रहता है, अशांत प्रेतात्मा की तरह भटकता रहता है। गाड़ी और घर मे एयरकंडीशनर होता है और दिलोदिमाग में वैचारिक प्रदूषण और गर्मी चढ़ी रहती है। बाहरी वैभव देखते बनता है लेकिन अन्तः कंगाली से ग्रसित रहते हैं । प्रकृति का दोहन तो करते हैं लेकिन प्रकृति संरक्षण की उपेक्षा करते हैं। जिससे अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए दुःख और रोग का साम्राज्य खड़ा करके जा रहे हैं, नई पीढ़ी को विरासत में दे रहे हैं श्वांस लेने को प्रदूषित वायु, प्रदूषित जल पीने को, जहरीला केमिकल मिला अन्न खाने को। धरती को कूड़े में तब्दील कर रहे हैं।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण कहता है जीव मात्र से प्रेम करो, स्वयं का भी भला करो और दूसरों का भी। प्रकृति से जितना लेते हो उतना लौटाओ। प्रकृति संरक्षण करो। आने वाली पीढ़ी को विरासत में अच्छा संसार दो रहने के लिए। क्योंकि लोककल्यानकी भावना सोचते हैं तो इनके भीतर का आनंद श्रोत खुल जाता है।प्रत्येक कर्म को ईश्वर प्रतिनिधि बनकर करते हुए आनन्दमग्न रहते है। ये उपासना-साधना-आराधना के त्रिशूल से अपने  समस्त दुःखों को नष्ट करते रहते हैं।

*निष्कर्ष* -आनंद की खोज बाहर नहीं भीतर अंतर्जगत में करनी होती है। परमानन्द को मूल्य देकर न ख़रीदा जा सकता  है न ही कोई दान दे सकता है। इसे मात्र स्वयं साधना करके  अंतर्जगत में प्रवेश करके अर्जित किया जा सकता है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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