*योगः कर्मशु कौशलम - कर्म में कुशलता और योग का सम्बंन्ध*
विचार(thoughts), भावनाएं(emotions) और क्रिया(action) जिस लक्ष्य(aim) प्राप्ति के लिये योग(united) करते हैं, वह लक्ष्य मिलकर रहता है। सारी कायनात उसे देने में जुट जाती है।
विचार, भावनाएं और क्रिया में जब सामंजस्य(योग/United) होती है तो इंसान प्रत्येक पल आनन्दित रहता है। और इस योग के कारण कर्म में कुशलता आती है।
जब विचार, भावनाएं और क्रिया में सामंजस्य योग नहीं होता तो प्रत्येक पल इंसान दुःखी रहता है।
उदाहरण - बच्चे को गर्भ धारण से लेकर पालन पोषण तक मां के विचार, भावनाएं और क्रिया में योग होता है। अतः इतने कष्ट सहने के बावजूद वो आनन्दमग्न शिशु के साथ रहती है।
विचार के साथ भाव जुड़ना जरूरी है और भाव के तदनुरूप क्रिया जरूरी है।
यही हाल सच्चे भक्त का होता है, विचार, भावनाएं और क्रिया तीनों का योग उसे कठिनतम तप और घनघोर जंगल मे भी आनन्दमय अवस्था मे रखता है।
लेकिन जिस जॉब को करने में विचार, भावनाएं और क्रिया में योग नहीं वहाँ न कुशलता होती है और न ही सुख।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन
विचार(thoughts), भावनाएं(emotions) और क्रिया(action) जिस लक्ष्य(aim) प्राप्ति के लिये योग(united) करते हैं, वह लक्ष्य मिलकर रहता है। सारी कायनात उसे देने में जुट जाती है।
विचार, भावनाएं और क्रिया में जब सामंजस्य(योग/United) होती है तो इंसान प्रत्येक पल आनन्दित रहता है। और इस योग के कारण कर्म में कुशलता आती है।
जब विचार, भावनाएं और क्रिया में सामंजस्य योग नहीं होता तो प्रत्येक पल इंसान दुःखी रहता है।
उदाहरण - बच्चे को गर्भ धारण से लेकर पालन पोषण तक मां के विचार, भावनाएं और क्रिया में योग होता है। अतः इतने कष्ट सहने के बावजूद वो आनन्दमग्न शिशु के साथ रहती है।
विचार के साथ भाव जुड़ना जरूरी है और भाव के तदनुरूप क्रिया जरूरी है।
यही हाल सच्चे भक्त का होता है, विचार, भावनाएं और क्रिया तीनों का योग उसे कठिनतम तप और घनघोर जंगल मे भी आनन्दमय अवस्था मे रखता है।
लेकिन जिस जॉब को करने में विचार, भावनाएं और क्रिया में योग नहीं वहाँ न कुशलता होती है और न ही सुख।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन
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ReplyDeleteAstrologer in Manhattan