Saturday, 10 February 2018

मेरा काव्य मेरी पहचान बने

मेरी कविता मेरी पहचान बने,
क्यूंकि काव्य अमर है,
मेरी ज़िंदगी के आदर्श मेरी पहचान बने,
क्यूंकि आदर्श भी अमर है।

मेरा काम मेरी पहचान बने,
क्योंकि कार्य भी अमर है,
मेरे लिए किसी के हृदय में,
एक अच्छी सी याद बसे,
क्यूंकि ये यादें भी अमर है।

क्योंकि...
मेरे चेहरे से जुड़ी पहचान का क्या,
वो तो चिता में जल ही जाएगा,
मेरी नौकरी रुतबा पैसा घर,
सब दूसरे के नाम हो जायेगा।

मेरे सत्कर्म अमर रहेंगे,
मेरे काव्य अमर रहेंगे
मेरे लफ्ज़ अमर रहेंगे,
इनसे मेरा वजूद,
मरने के बाद भी,
इस धरा पर,
अमर रहेगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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