*क्या यज्ञ एक विज्ञान है या मात्र धार्मिक कर्मकांड?*
तुलसी या अन्य हर्ब औषधि है लेकिन उसके औषधीय गुण को टेबलेट या अर्क रूप में विभिन्न बिमारियों में प्रयोग लाने के लिए एक वैज्ञानिक विधि व्यवस्था से गुजरना पड़ता है।
युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते है कि इसी तरह यज्ञ एक समग्र उपचार विज्ञान है, लेकिन इसके विभिन्न उपचारों हेतु विभिन्न प्रकार की औषधीय सम्मिश्रण, मन्त्र सम्मिश्रण के साथ अग्नि के संयोजन से उपचार क्रिया सम्पन्न की जाती है। किस प्रकार की समस्या के लिए किस प्रकार की औषधीय मिश्रण और किस प्रकार की समिधा और मन्त्र उपयोग में लाना चाहिए यह सब विस्तृत जानकारी उन्होंने अपनी पुस्तक - *यज्ञ के ज्ञान विज्ञान* और *यज्ञ एक समग्र उपचार* में विस्तृत रूप से लिखा है।
यज्ञ सम्पूर्ण सृष्टि के इलाज़ की विधि व्यवस्था है- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, जीव, वनस्पति, पशु और मनुष्य सबके एकाकी और सामूहिक दोनो प्रकार के इलाज़ का उपक्रम यज्ञ में मौजूद है। कोई भी आधुनिक दवा, इंजेक्शन इत्यादि एक व्यक्ति का व्यक्तिगत स्तर पर इलाज करती है। लेकिन यज्ञ सामूहिक इलाज की भी विधि व्यवस्था है।
डॉक्टर ममता सक्सेना जी(पीएचडी - यग्योपैथी, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार) ने यह बात अपने विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों में सिद्ध करके दिखाया है।
उन्होंने निम्नलिखित वैज्ञानिक प्रयोग कर निष्कर्ष निकाला:-
1- यज्ञ करने से वायु में मौजूद कीटाणु नष्ट होते है और सात दिन तक यज्ञ के प्रभाव में बढ़ते-पनपते नहीं हैं। यज्ञ से PM2.5 और PM10 तीव्रता से घटते हैं।
2- जबकि ऐसे ही बिना यज्ञ के धुंआ करने पर प्रदूषण होता है और हवा में कीटाणु-रोगाणु ज्यादा पनपते-बढ़ते हैं। PM2.5 और PM10 बढ़ता है। इसे किसी भी एयर इंडेक्स मीटर से चेक किया जा सकता है।
3- यज्ञ की ऊर्जा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से उतपन्न रेडिएशन को नष्ट करती है। इसे रेडिएशन मीटर से चेक किया जा सकता है।
4- यज्ञ से कॉस्मिक ऊर्जा बढ़ती है। इसे औरा मीटर से चेक किया जा सकता है।
5- यज्ञ के प्रभाव से हवा शुद्ध होती है और मनुष्य के लिए लाभदायक निगेटिव आयन सघन होते हैं। इसे आयन मीटर से चेक किया जा सकता है।
6- यज्ञ के औषधीय धूम्र में श्वांस लेने से फेफड़े स्वस्थ होते है क्योंकि हम स्वांस छोटी लेते है तो पुरानी प्रदूषित वायु फेफड़े से रक्त में मिलकर नुकसान पहुंचाती है। लेकिन यज्ञ का औषधीय धूम्र फेफड़े को स्वस्थ करता है। श्वसन नलिका साफ करता है। औषधीय धूम्र फेफड़े से हृदय तक पहुंचता है। औषधियां रक्त में मिलकर पूरे शरीर की नाड़ियों को स्वच्छ और रोगमुक्त करती है, रोमछिद्र से यज्ञ धूम्र प्रवेश कर त्वचा रोगों को नष्ट करता है। इम्युनिटी बढ़ाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यज्ञ धूम्र मष्तिष्क के न्यूरॉन्स को उत्तेजित कर नियंत्रित मात्रा में डोपामिन रिलीज़ करता है, जिससे माइंड स्टेट हैप्पी हो जाती है। इसे किसी भी EEG मशीन या हैप्पी इंडेक्स मीटर से चेक किया जा सकता है।
7- यज्ञ चिकित्सा से पूर्व हेल्थ चेकअप और विविध टेस्ट और यज्ञ चिकित्सा के बाद हेल्थचेकअप और विविध टेस्ट करवा के यज्ञ चिकित्सा परिणाम को देखा जा सकता है।
यज्ञ के लाभ अनेक हैं, गागर में सागर भरूँ कैसे? एक सी पोस्ट में यज्ञ महिमा लिखूं कैसे?
आज धन्यवाद वैज्ञानिक उपकरणों का जिनके माध्यम से ऋषियो की धरोहर और यज्ञ एक समग्र उपचार को बेहतर तरीके से जन सामान्य को समझाने में आसानी हो रही है।
तुलसी या अन्य हर्ब औषधि है लेकिन उसके औषधीय गुण को टेबलेट या अर्क रूप में विभिन्न बिमारियों में प्रयोग लाने के लिए एक वैज्ञानिक विधि व्यवस्था से गुजरना पड़ता है।
युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते है कि इसी तरह यज्ञ एक समग्र उपचार विज्ञान है, लेकिन इसके विभिन्न उपचारों हेतु विभिन्न प्रकार की औषधीय सम्मिश्रण, मन्त्र सम्मिश्रण के साथ अग्नि के संयोजन से उपचार क्रिया सम्पन्न की जाती है। किस प्रकार की समस्या के लिए किस प्रकार की औषधीय मिश्रण और किस प्रकार की समिधा और मन्त्र उपयोग में लाना चाहिए यह सब विस्तृत जानकारी उन्होंने अपनी पुस्तक - *यज्ञ के ज्ञान विज्ञान* और *यज्ञ एक समग्र उपचार* में विस्तृत रूप से लिखा है।
यज्ञ सम्पूर्ण सृष्टि के इलाज़ की विधि व्यवस्था है- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, जीव, वनस्पति, पशु और मनुष्य सबके एकाकी और सामूहिक दोनो प्रकार के इलाज़ का उपक्रम यज्ञ में मौजूद है। कोई भी आधुनिक दवा, इंजेक्शन इत्यादि एक व्यक्ति का व्यक्तिगत स्तर पर इलाज करती है। लेकिन यज्ञ सामूहिक इलाज की भी विधि व्यवस्था है।
डॉक्टर ममता सक्सेना जी(पीएचडी - यग्योपैथी, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार) ने यह बात अपने विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों में सिद्ध करके दिखाया है।
उन्होंने निम्नलिखित वैज्ञानिक प्रयोग कर निष्कर्ष निकाला:-
1- यज्ञ करने से वायु में मौजूद कीटाणु नष्ट होते है और सात दिन तक यज्ञ के प्रभाव में बढ़ते-पनपते नहीं हैं। यज्ञ से PM2.5 और PM10 तीव्रता से घटते हैं।
2- जबकि ऐसे ही बिना यज्ञ के धुंआ करने पर प्रदूषण होता है और हवा में कीटाणु-रोगाणु ज्यादा पनपते-बढ़ते हैं। PM2.5 और PM10 बढ़ता है। इसे किसी भी एयर इंडेक्स मीटर से चेक किया जा सकता है।
3- यज्ञ की ऊर्जा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से उतपन्न रेडिएशन को नष्ट करती है। इसे रेडिएशन मीटर से चेक किया जा सकता है।
4- यज्ञ से कॉस्मिक ऊर्जा बढ़ती है। इसे औरा मीटर से चेक किया जा सकता है।
5- यज्ञ के प्रभाव से हवा शुद्ध होती है और मनुष्य के लिए लाभदायक निगेटिव आयन सघन होते हैं। इसे आयन मीटर से चेक किया जा सकता है।
6- यज्ञ के औषधीय धूम्र में श्वांस लेने से फेफड़े स्वस्थ होते है क्योंकि हम स्वांस छोटी लेते है तो पुरानी प्रदूषित वायु फेफड़े से रक्त में मिलकर नुकसान पहुंचाती है। लेकिन यज्ञ का औषधीय धूम्र फेफड़े को स्वस्थ करता है। श्वसन नलिका साफ करता है। औषधीय धूम्र फेफड़े से हृदय तक पहुंचता है। औषधियां रक्त में मिलकर पूरे शरीर की नाड़ियों को स्वच्छ और रोगमुक्त करती है, रोमछिद्र से यज्ञ धूम्र प्रवेश कर त्वचा रोगों को नष्ट करता है। इम्युनिटी बढ़ाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यज्ञ धूम्र मष्तिष्क के न्यूरॉन्स को उत्तेजित कर नियंत्रित मात्रा में डोपामिन रिलीज़ करता है, जिससे माइंड स्टेट हैप्पी हो जाती है। इसे किसी भी EEG मशीन या हैप्पी इंडेक्स मीटर से चेक किया जा सकता है।
7- यज्ञ चिकित्सा से पूर्व हेल्थ चेकअप और विविध टेस्ट और यज्ञ चिकित्सा के बाद हेल्थचेकअप और विविध टेस्ट करवा के यज्ञ चिकित्सा परिणाम को देखा जा सकता है।
यज्ञ के लाभ अनेक हैं, गागर में सागर भरूँ कैसे? एक सी पोस्ट में यज्ञ महिमा लिखूं कैसे?
आज धन्यवाद वैज्ञानिक उपकरणों का जिनके माध्यम से ऋषियो की धरोहर और यज्ञ एक समग्र उपचार को बेहतर तरीके से जन सामान्य को समझाने में आसानी हो रही है।
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