समस्या - *दी मेरी एक गहन समस्या है, जो दिन ब दिन बड़ी होती चली जा रही है। जिसके कारण मैं डिप्रेशन में रहता हूँ। अकेला घर मे कमाने वाला हूँ, प्राइवेट नौकरी है, सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ। शादी को डेढ़ साल हो चुके है। पत्नी जॉब ढूढ़ रही है पोस्ट ग्रेजुएट है। मेरे पिता सरकारी ऑफिसर थे, चार वर्ष पहले रिटायर हुए हैं। मां और पिता खाने पीने के अत्यंत शौकीन हैं, सुबह से शाम तक भोजन में क्या बनेगा इसी पर चर्चा होती है। दो वक्त स्वादिष्ट भोजन, दो वक्त नाश्ता और दो वक्त चाय और वो भी समय पर चाहिए ही, टीवी में भी अपनी अपनी पसन्द के प्रोग्राम हेतु भी लड़ पड़ते है। पत्नी खाना बनाने की शौकीन नहीं है और कैरियर बनाने में उलझी है। सास बहू की बिल्कुल नहीं बनती। ऑफिस से शाम को घर आने का मन नहीं करता। घर से बाहर ऑफिस की टेंशन, घर के अंदर मम्मी बहु की बुराई और गलतियां गिनाती है, और रूम के अंदर पत्नी मां की गलतियां गिनाती रहती हैं। सैलरी इतनी नहीं कि नौकर रख सकूँ, या प्रत्येक सप्ताह बाहर मॉल वगैरह घूमा सकूं, क्या करूँ? कृपया मार्गदर्शन दीजिये।*
समाधान - *गहन समस्या है, लेकिन निराकरण आसान है।* 😇😇😇 *एक कुशल आध्यात्मिक चिकित्सक बनो और सबके दिमाग से दुश्चिंतन का ऑपेरशन करो*।😇😇😇 सबसे पहले दो सप्ताह तक अपने शरीर को ऊर्जावान बनाओ, नित्य गायत्री जप कम से कक 324 टाइम(तीन माला) जपो, तीन बार नाड़ी शोधन प्राणायाम करो, 15 मिनट नादयोग लगा के ध्यान करो। प्रत्येक गुरुवार व्रत रखो और प्रत्येक शुक्रवार चावल की मीठी खीर से बलिवैश्व यज्ञ करो। मां गायत्री के समक्ष घी का दीपक जलाओ। सूर्य भगवान को पूजा के बाद जल चढ़ाओ और बचे जल को स्वयं के माथे में लगाओ। घर के दूध में वो बचा हुआ जल की कुछ बूंदे डाल दो। गायत्री मंत्रलेखन रोज एक पेज करो। रात को सोने से पूर्व अखण्डज्योति पढ़कर सोना।
सॉफ्टवेयर फील्ड बुद्धिबल पर टिकी जॉब है, अतः उपरोक्त विधि से तुम्हारा दिमाग सन्तुलित होगा और बुद्धि शार्प, तो ऑफिस की टेंशन में भी आनन्दित रहने का राजमार्ग तुम्हारे पास आ जायेगा।
अब आओ घर की प्रॉब्लम से निपटने के लिए गांधी जी वाला सत्याग्रह बुद्धि प्रयोग से करते है। दो सप्ताह में उपरोक्त उपासना-साधना-स्वाध्याय से मन-मष्तिष्क-शरीर ऊर्जावान बन जायेगा, और अनशन करने के लिए तैयार हो जाएगा। घर में किसी को बिना बताए सोमवार या शुक्रवार में से कोई दिन छुट्टी ले लो जिस दिन वर्कलोड ज्यादा न हो। लैपटॉप बैग से लैपटॉप और जरूरी सामान पहले ही निकाल के कहीं रख दो। अपने कपड़े की अलमारी में कुछ दिन पहले कुछ बिस्किट के पैकेट छुपा के रख लो। अब जब घर मे झगड़ा शुरू हो सोफे में जोर से लैपटॉप बैग फेंकों, और ऊँचे स्वर में बोलो मेरी गलती यह है कि मैं अपने माता-पिता को प्यार सम्मान देता हूँ साथ ही पत्नी को भी प्यार सम्मान देता हूँ। इसलिए रहूंगा तो दोनों के साथ, या नहीं रहूंगा तो किसी के साथ भी नहीं। रोज रोज की कीच कीच से तंग आ गया हूँ। अब मैं अन्न का त्याग कर रहा हूँ जब तक आपके बीच सुलह नहीं हो जाती मैं खाना ही नहीं खाऊंगा, और न ही ऑफिस जाऊंगा, न ही किसी से बात करूंगा। गुस्से में मुंह फुलाओ और जाकर सो जाओ, मन ही मन गायत्री मंत्र जपो घर मे सबकी सद्बुद्धि के लिए, चेहरे में हंसी बिल्कुल नहीं आनी चाहिए। थोड़ा दुःखी बेचारा चेहरा बना लो, दाढ़ी दो दिन न बनाना और न ही बाल बनाना वैसे ही बेचारे लगोगे। तबियत खराब लगे तो बिस्किट कमरा बन्द करके खा लेना और पानी पी लेना। बिस्किट के पैकेट का छिलका या कागज डस्ट बिन में भी मत फेंकना। दो दिन सब तुम्हें मनाने में लगेंगें, मानना तब जब नियम कानून घर के निम्नलिखित बना लो। ख़ाली दिमाग शैतान का घर होता है, अतः सबको काम बांटो। जब सब झगड़ा न करने का संकल्प लें तो भोजन करो शान से।
1- सुबह का नाश्ता और रात का भोजन पत्नी को बनाने को कहो, और दोपहर का भोजन और शाम का नाश्ता मां बनाएगी। इससे पत्नी को पूरा वक्त मिल जाएगा पढ़ने और जॉब ढूंढने के लिए दिन में बाहर जाने का। पिताजी को बोलो मां की किचन में मदद करें, इच्छित किचन का सामान लाएं, सब्जियाँ काटे और मदद करें। जो बिल आये सामान का वो तुम बिल लेकर उतना पैसा उन्हें दे देना। सुबह अंकुरित सबके नाश्ते में जरूर हो, स्वास्थ्य को वरीयता दो।
2- सास, बहु और ससुर कम से कम एक पेज मन्त्रलेखन दिन में करें और तुम्हे रात को एक दूसरे की बुराई बताने से पहले दिखाएं। थोड़ा अटपटा तरीका है लेकिन काम का है। तुम गुस्से में हो तो जो बोलोगे वो होगा।
3- कभी भी गलती से किसी के लिए स्वयं शॉपिंग मत करना, मां और पत्नी दोनों को पैसा देना। जिसका जो मन खरीद ले।
4- किसी के सामने किसी को ज्यादा किसी को कम प्यार मत करना।
5- यदि चाहते हो कि पत्नी मां की सेवा करे, तो ख़ुद शनिवार-रविवार माता-पिता के पैर दबाओ। सेवा करो। लेकिन पत्नी से मत बोलना सेवा करने को, वो खुद ब खुद करेगी जब तुम करोगे। रोज सुबह ऑफिस जाने से पहले माता-पिता के पैर छूकर जाओ, संस्कार निर्मल भाव बनाएंगे। जानती हूँ आधुनिक जमाने मे ये अटपटा है लेकिन पुराना रामबाण फार्मूला है।
6- अपनी असली कमाई किसी के साथ भी घर मे शेयर मत करो, जितना कमाते हो उसका हमेशा 60% घर लोगों को पता होना चाहिए, बाकी बचत में डालो। ईमानदारी से 1% अपनी कमाई का समाजहित लोककल्याणार्थ खर्च करो।
इस अखण्डज्योति आर्टिकल को पढो जो ज़रूरत-आराम और अय्याशी के जीवन के अंतर को समझायेगा और सही राह सुझाएगा
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1950/January/v2.4
7- नज़दीकी शक्तिपीठ में सुबह पूरे परिवार को ले जाकर निःशुल्क यज्ञ में सम्मिलित हो, वहां निःशुल्क भोजन प्रसाद के बाद निःशुल्क साहित्य का एक घण्टे स्वाध्याय करो। फ़िर घर आ जाओ। वहां इतनी अच्छे जीवन जीने की कला के सूत्र समझाए जाते है कि तो स्वयं आपके, माता-पिता औऱ पत्नी के स्वभाब में परिवर्तन ला देते हैं।
8- सुबह सबको मॉर्निंग वॉक में भेजिए, ध्यान-प्राणायाम-स्वाध्याय से जोड़िए, घर मे सब स्वस्थ रहेंगे तो अस्पताल का खर्च बचेगा। पहले प्यार से समझाइये, जब कोई न समझे तो एक पांच सौ का नोट लेकर उनके समक्ष जाइये बोलिये यदि स्वस्थ रहने में किसी की इच्छा नहीं तो पैसे बर्बाद करने है तो ये ही सही, एक पांच सौ का नोट दिल मे पत्थर रख के उनके समक्ष फाड़ दीजिये। बोलिये यदि सुबह मोर्निंग वॉक नहीं हुई तो रोज नोट फटेगा। पूरा घर लाइन पर आ जायेगा। घर सुंदर सुखी और धरती का स्वर्ग बन जायेगा। माता-पिता एवं पत्नी सोचेंगे कि तुम टेंशन में पागल हो गए हो, डर के मारे सुबह वाक और स्वाध्याय शुरू करेंगे लेकिन 21 दिन रोज करने के बाद वो इसके अभ्यस्त हो जाएंगे। लड़ना भूल जाएंगे। खुश रहना शुरू कर देंगे।
9- बच्चे को संसार में लाने से पहले यह सुनिश्चित करो कि श्रेष्ठ आत्मा तुम्हारे घर मे जन्म ले, इस हेतु घर मे शक्तिपीठ से मन्त्रबॉक्स खरीद के पूजन घर मे बहुत धीमी आवाज में बजा दो, दिन भर बजना चाहिए। दूसरा पति -पत्नी गायत्री साधना करो, गर्भ संस्कार की पुस्तकें पत्नी के गर्भधारण से पहले तुम दोनों पढ़ लो - 📖 आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी भाग 1 एवं 2, 📖 प्रतिभा परिष्कार भाग 1 एवं 2, 📖 हमारी भावी पीढ़ी और उसका नवनिर्माण
जब बच्चा गर्भ में आ जाये, तो पत्नी का शक्तिपीठ में या घर पर गर्भ संस्कार करवाना। रोज रात को गर्भ को अखण्डज्योति के आर्टिकल पढ़ के सुनाना। गर्भ से ही बच्चे के अंदर संस्कार विकसित कर देना। पत्नी से अनुरोध करके कम से कम 9 महीने कोई भी हिंसक फ़िल्म या सीरियल मत देखना। स्वयं के लिए और मातृभूमि के लिए एक श्रेष्ठ नागरिक को जन्म देना।
आधुनिक समाज व्यक्तित्व को खोखला और मानसिक दुर्बलताओं को जन्म दे रहा है। टीवी सीरियल का सत्संग घर मे गृह कलह का बीजारोपण कर रहा है। तनाव का उपाय न आधुनिक विज्ञान के पास है और न ही चिकित्सक के पास। अध्यात्म एक मात्र उपाय है। इस अध्यात्म की चाबी से मन मे सुकून, सुनहरे भविष्य का सन्मार्ग और धरती पर स्वर्ग पाया जा सकता है।
🙏🏻 तुम्हारी थोड़ी सी एक्टिंग, तुम्हारा आध्यात्मिक प्रयास माता-पिता की वृद्धावस्था आनन्दमय बना देगा, पत्नी के सुखमय भविष्य की नींव रखेगा। और सुखी परिवार बनेगा।🙏🏻
*अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर सबके उज्ज्वल भविष्य, सद्बुद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना करती हूँ।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
समाधान - *गहन समस्या है, लेकिन निराकरण आसान है।* 😇😇😇 *एक कुशल आध्यात्मिक चिकित्सक बनो और सबके दिमाग से दुश्चिंतन का ऑपेरशन करो*।😇😇😇 सबसे पहले दो सप्ताह तक अपने शरीर को ऊर्जावान बनाओ, नित्य गायत्री जप कम से कक 324 टाइम(तीन माला) जपो, तीन बार नाड़ी शोधन प्राणायाम करो, 15 मिनट नादयोग लगा के ध्यान करो। प्रत्येक गुरुवार व्रत रखो और प्रत्येक शुक्रवार चावल की मीठी खीर से बलिवैश्व यज्ञ करो। मां गायत्री के समक्ष घी का दीपक जलाओ। सूर्य भगवान को पूजा के बाद जल चढ़ाओ और बचे जल को स्वयं के माथे में लगाओ। घर के दूध में वो बचा हुआ जल की कुछ बूंदे डाल दो। गायत्री मंत्रलेखन रोज एक पेज करो। रात को सोने से पूर्व अखण्डज्योति पढ़कर सोना।
सॉफ्टवेयर फील्ड बुद्धिबल पर टिकी जॉब है, अतः उपरोक्त विधि से तुम्हारा दिमाग सन्तुलित होगा और बुद्धि शार्प, तो ऑफिस की टेंशन में भी आनन्दित रहने का राजमार्ग तुम्हारे पास आ जायेगा।
अब आओ घर की प्रॉब्लम से निपटने के लिए गांधी जी वाला सत्याग्रह बुद्धि प्रयोग से करते है। दो सप्ताह में उपरोक्त उपासना-साधना-स्वाध्याय से मन-मष्तिष्क-शरीर ऊर्जावान बन जायेगा, और अनशन करने के लिए तैयार हो जाएगा। घर में किसी को बिना बताए सोमवार या शुक्रवार में से कोई दिन छुट्टी ले लो जिस दिन वर्कलोड ज्यादा न हो। लैपटॉप बैग से लैपटॉप और जरूरी सामान पहले ही निकाल के कहीं रख दो। अपने कपड़े की अलमारी में कुछ दिन पहले कुछ बिस्किट के पैकेट छुपा के रख लो। अब जब घर मे झगड़ा शुरू हो सोफे में जोर से लैपटॉप बैग फेंकों, और ऊँचे स्वर में बोलो मेरी गलती यह है कि मैं अपने माता-पिता को प्यार सम्मान देता हूँ साथ ही पत्नी को भी प्यार सम्मान देता हूँ। इसलिए रहूंगा तो दोनों के साथ, या नहीं रहूंगा तो किसी के साथ भी नहीं। रोज रोज की कीच कीच से तंग आ गया हूँ। अब मैं अन्न का त्याग कर रहा हूँ जब तक आपके बीच सुलह नहीं हो जाती मैं खाना ही नहीं खाऊंगा, और न ही ऑफिस जाऊंगा, न ही किसी से बात करूंगा। गुस्से में मुंह फुलाओ और जाकर सो जाओ, मन ही मन गायत्री मंत्र जपो घर मे सबकी सद्बुद्धि के लिए, चेहरे में हंसी बिल्कुल नहीं आनी चाहिए। थोड़ा दुःखी बेचारा चेहरा बना लो, दाढ़ी दो दिन न बनाना और न ही बाल बनाना वैसे ही बेचारे लगोगे। तबियत खराब लगे तो बिस्किट कमरा बन्द करके खा लेना और पानी पी लेना। बिस्किट के पैकेट का छिलका या कागज डस्ट बिन में भी मत फेंकना। दो दिन सब तुम्हें मनाने में लगेंगें, मानना तब जब नियम कानून घर के निम्नलिखित बना लो। ख़ाली दिमाग शैतान का घर होता है, अतः सबको काम बांटो। जब सब झगड़ा न करने का संकल्प लें तो भोजन करो शान से।
1- सुबह का नाश्ता और रात का भोजन पत्नी को बनाने को कहो, और दोपहर का भोजन और शाम का नाश्ता मां बनाएगी। इससे पत्नी को पूरा वक्त मिल जाएगा पढ़ने और जॉब ढूंढने के लिए दिन में बाहर जाने का। पिताजी को बोलो मां की किचन में मदद करें, इच्छित किचन का सामान लाएं, सब्जियाँ काटे और मदद करें। जो बिल आये सामान का वो तुम बिल लेकर उतना पैसा उन्हें दे देना। सुबह अंकुरित सबके नाश्ते में जरूर हो, स्वास्थ्य को वरीयता दो।
2- सास, बहु और ससुर कम से कम एक पेज मन्त्रलेखन दिन में करें और तुम्हे रात को एक दूसरे की बुराई बताने से पहले दिखाएं। थोड़ा अटपटा तरीका है लेकिन काम का है। तुम गुस्से में हो तो जो बोलोगे वो होगा।
3- कभी भी गलती से किसी के लिए स्वयं शॉपिंग मत करना, मां और पत्नी दोनों को पैसा देना। जिसका जो मन खरीद ले।
4- किसी के सामने किसी को ज्यादा किसी को कम प्यार मत करना।
5- यदि चाहते हो कि पत्नी मां की सेवा करे, तो ख़ुद शनिवार-रविवार माता-पिता के पैर दबाओ। सेवा करो। लेकिन पत्नी से मत बोलना सेवा करने को, वो खुद ब खुद करेगी जब तुम करोगे। रोज सुबह ऑफिस जाने से पहले माता-पिता के पैर छूकर जाओ, संस्कार निर्मल भाव बनाएंगे। जानती हूँ आधुनिक जमाने मे ये अटपटा है लेकिन पुराना रामबाण फार्मूला है।
6- अपनी असली कमाई किसी के साथ भी घर मे शेयर मत करो, जितना कमाते हो उसका हमेशा 60% घर लोगों को पता होना चाहिए, बाकी बचत में डालो। ईमानदारी से 1% अपनी कमाई का समाजहित लोककल्याणार्थ खर्च करो।
इस अखण्डज्योति आर्टिकल को पढो जो ज़रूरत-आराम और अय्याशी के जीवन के अंतर को समझायेगा और सही राह सुझाएगा
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1950/January/v2.4
7- नज़दीकी शक्तिपीठ में सुबह पूरे परिवार को ले जाकर निःशुल्क यज्ञ में सम्मिलित हो, वहां निःशुल्क भोजन प्रसाद के बाद निःशुल्क साहित्य का एक घण्टे स्वाध्याय करो। फ़िर घर आ जाओ। वहां इतनी अच्छे जीवन जीने की कला के सूत्र समझाए जाते है कि तो स्वयं आपके, माता-पिता औऱ पत्नी के स्वभाब में परिवर्तन ला देते हैं।
8- सुबह सबको मॉर्निंग वॉक में भेजिए, ध्यान-प्राणायाम-स्वाध्याय से जोड़िए, घर मे सब स्वस्थ रहेंगे तो अस्पताल का खर्च बचेगा। पहले प्यार से समझाइये, जब कोई न समझे तो एक पांच सौ का नोट लेकर उनके समक्ष जाइये बोलिये यदि स्वस्थ रहने में किसी की इच्छा नहीं तो पैसे बर्बाद करने है तो ये ही सही, एक पांच सौ का नोट दिल मे पत्थर रख के उनके समक्ष फाड़ दीजिये। बोलिये यदि सुबह मोर्निंग वॉक नहीं हुई तो रोज नोट फटेगा। पूरा घर लाइन पर आ जायेगा। घर सुंदर सुखी और धरती का स्वर्ग बन जायेगा। माता-पिता एवं पत्नी सोचेंगे कि तुम टेंशन में पागल हो गए हो, डर के मारे सुबह वाक और स्वाध्याय शुरू करेंगे लेकिन 21 दिन रोज करने के बाद वो इसके अभ्यस्त हो जाएंगे। लड़ना भूल जाएंगे। खुश रहना शुरू कर देंगे।
9- बच्चे को संसार में लाने से पहले यह सुनिश्चित करो कि श्रेष्ठ आत्मा तुम्हारे घर मे जन्म ले, इस हेतु घर मे शक्तिपीठ से मन्त्रबॉक्स खरीद के पूजन घर मे बहुत धीमी आवाज में बजा दो, दिन भर बजना चाहिए। दूसरा पति -पत्नी गायत्री साधना करो, गर्भ संस्कार की पुस्तकें पत्नी के गर्भधारण से पहले तुम दोनों पढ़ लो - 📖 आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी भाग 1 एवं 2, 📖 प्रतिभा परिष्कार भाग 1 एवं 2, 📖 हमारी भावी पीढ़ी और उसका नवनिर्माण
जब बच्चा गर्भ में आ जाये, तो पत्नी का शक्तिपीठ में या घर पर गर्भ संस्कार करवाना। रोज रात को गर्भ को अखण्डज्योति के आर्टिकल पढ़ के सुनाना। गर्भ से ही बच्चे के अंदर संस्कार विकसित कर देना। पत्नी से अनुरोध करके कम से कम 9 महीने कोई भी हिंसक फ़िल्म या सीरियल मत देखना। स्वयं के लिए और मातृभूमि के लिए एक श्रेष्ठ नागरिक को जन्म देना।
आधुनिक समाज व्यक्तित्व को खोखला और मानसिक दुर्बलताओं को जन्म दे रहा है। टीवी सीरियल का सत्संग घर मे गृह कलह का बीजारोपण कर रहा है। तनाव का उपाय न आधुनिक विज्ञान के पास है और न ही चिकित्सक के पास। अध्यात्म एक मात्र उपाय है। इस अध्यात्म की चाबी से मन मे सुकून, सुनहरे भविष्य का सन्मार्ग और धरती पर स्वर्ग पाया जा सकता है।
🙏🏻 तुम्हारी थोड़ी सी एक्टिंग, तुम्हारा आध्यात्मिक प्रयास माता-पिता की वृद्धावस्था आनन्दमय बना देगा, पत्नी के सुखमय भविष्य की नींव रखेगा। और सुखी परिवार बनेगा।🙏🏻
*अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर सबके उज्ज्वल भविष्य, सद्बुद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना करती हूँ।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
No comments:
Post a Comment