जिज्ञासा - *एक पण्डित जी ने पितृ दोष बताया है, मेरी पत्नी अक्सर बीमार रहती हैं, घर मे लड़ाई-झगड़े बहुत होते हैं, मन अशांत रहता है, कोई उपाय बताएं*
*समाधान* - पितृ दोष तब होता है जब घर में धर्म-कर्म नहीं होते। क्यूंकि यदि सन्तान धर्म-कर्म/श्रेष्ठ कर्म नहीं करेगी तो उसके पूर्वज नर्क में रहेंगे और पितृ लोक में स्थान न पा सकेंगे। बचपन मे हम गलती करते थे तो माता पिता प्रत्यक्ष दण्ड देते थे पिटाई और गुस्से के रूप में, वैसे ही पितरों द्वारा दिया सूक्ष्म दण्ड अपनी सन्तानों को सन्मार्ग में लाने के लिए विवश करने की प्रक्रिया पितृ दोष कहलाता है।
उपाय -
1- सबसे पहले नज़दीकी शक्तिपीठ चेतना केंद्र जाकर बलिवैश्व तांबे का पात्र खरीदकर लाइये तथा साथ ही बलिवैश्व यज्ञ की विधि सीख कर आइए। घर के प्रथम भोजन को थोड़ा सा चावल या रोटी को गैस चूल्हे पर चढ़कर गर्म करें, फ़िर रौटी या चावल में देशी गुड़, देशी गाय का घी और थोड़ी हवन सामग्री मिला के पांच आहुतियां बलिवैश्व यज्ञ की दे देवें। फ़िर जब यज्ञ की राख ठंडी हो जाये उसकी एक चुटकी भष्म एक छोटे पात्र के जल में तुलसी और गंगाजल के साथ मिला के पूरे घर मे छिड़क दें। पितृ दोष 40 दिन में शांत हो जाएगा लेकिन यह क्रम उसके बाद भी चलायें।
2- साथ मे रोज़ पितृ दोष शांति प्रार्थना हेतु कम से कम 3 माला गायत्री मंत्र की और एक माला महामृत्युंजय मंत्र की करें।
3- हो सके तो पितृ पक्ष में या किसी भी अमावस्या को शान्तिकुंज हरिद्वार में जाकर तर्पण करें।
4- साथ मे पितरों की स्मृति में एक फलदार पौधा या नीम-पीपल-बरगद में से कोई भी नज़दीकी किसी मंदिर या पार्क में आरोपित करें और उसको नित्य जल, खाद देकर पालपोष के बड़ा कर दें। तीज त्योहार में पौधे की जड़ में मिश्री के कुछ दाने डाल दें।
5- किसी गरीब बच्चे की स्कूल फीस भर दें, किसी गरीब पेशेंट की दवाई का खर्च उठाएं।
6- पितरों के नाम पर गायत्री मंत्र लेखन स्वयं करें और लोगों को फ्री गायत्री मन्त्रलेखन पुस्तिका बंटवाये।
7- युगसाहित्य बच्चों के सँस्कार वाला नज़दीकी शक्तिपीठ से ख़रीद कर मुफ़्त स्कूलों के बंटवाये - जैसे सफ़ल जीवन की दिशा धारा, शक्ति संचय के पथ पर, अधिकतम अंक कैसे पाएं इत्यादि।
8- महीने में किसी भी दिन गायत्री यज्ञ सामूहिक करें।
9- रोज़ अखण्डज्योति पत्रिका पत्नी को पढ़कर सुनाए, दोनो मिलकर स्वाध्याय करें।
10- सूर्य भगवान को जल चढ़ाकर थोड़ा सा जल बचा लें। उस जल को दोनो हाथ की अंजुली बनाकर एक बार गायत्री मंत्र बोलकर फिर निम्नलिखित बोलते हुए सूर्य को पुनः अर्पित करें:-
पितृ शांत हों, शांत हों, शांत हों
पितृ मुक्त हों, मुक्त हों, मुक्त हों
पितृ तृप्त हों, तृप्त हों, तृप्त हों
ज्यों ज्यों घर में धार्मिकता और धर्म-कर्म(श्रेष्ठ कर्म) बढ़ेंगे। पितृ दोष घटता चला जायेगा। घर मे सुख शांति आएगी। मन सुकून और उत्साह से भरा रहेगा। बलिवैश्व द्वारा संस्कारित अन्न स्वास्थ्य देगा। 40 दिन के भीतर घर की परिस्थिति सुखमय बननी शुरू हो जाएगी।
पितृ दोष किसी पण्डित से मात्र धन देकर पूजा करवाने पर कुछ दिन के लिए टाला तो शायद जा सकता है लेकिन पितृ दोष हमेशा के लिए मिटाने हेतु स्वयं को धर्म-कर्म/श्रेष्ठ कर्मो में लगाना होगा। पूरे परिवार में सु-संस्कारी वातावरण विनिर्मित करना होगा। इससे धर्मराज आपके पितरों को नरक से मुक्ति देंगे और वी पितृ लोक में निवास करेंगें और भविष्य में नया शरीर प्राप्त करेंगे। इससे पितृ प्रशन्न होंगे और आपका घर खुशियों से भर जाएगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*समाधान* - पितृ दोष तब होता है जब घर में धर्म-कर्म नहीं होते। क्यूंकि यदि सन्तान धर्म-कर्म/श्रेष्ठ कर्म नहीं करेगी तो उसके पूर्वज नर्क में रहेंगे और पितृ लोक में स्थान न पा सकेंगे। बचपन मे हम गलती करते थे तो माता पिता प्रत्यक्ष दण्ड देते थे पिटाई और गुस्से के रूप में, वैसे ही पितरों द्वारा दिया सूक्ष्म दण्ड अपनी सन्तानों को सन्मार्ग में लाने के लिए विवश करने की प्रक्रिया पितृ दोष कहलाता है।
उपाय -
1- सबसे पहले नज़दीकी शक्तिपीठ चेतना केंद्र जाकर बलिवैश्व तांबे का पात्र खरीदकर लाइये तथा साथ ही बलिवैश्व यज्ञ की विधि सीख कर आइए। घर के प्रथम भोजन को थोड़ा सा चावल या रोटी को गैस चूल्हे पर चढ़कर गर्म करें, फ़िर रौटी या चावल में देशी गुड़, देशी गाय का घी और थोड़ी हवन सामग्री मिला के पांच आहुतियां बलिवैश्व यज्ञ की दे देवें। फ़िर जब यज्ञ की राख ठंडी हो जाये उसकी एक चुटकी भष्म एक छोटे पात्र के जल में तुलसी और गंगाजल के साथ मिला के पूरे घर मे छिड़क दें। पितृ दोष 40 दिन में शांत हो जाएगा लेकिन यह क्रम उसके बाद भी चलायें।
2- साथ मे रोज़ पितृ दोष शांति प्रार्थना हेतु कम से कम 3 माला गायत्री मंत्र की और एक माला महामृत्युंजय मंत्र की करें।
3- हो सके तो पितृ पक्ष में या किसी भी अमावस्या को शान्तिकुंज हरिद्वार में जाकर तर्पण करें।
4- साथ मे पितरों की स्मृति में एक फलदार पौधा या नीम-पीपल-बरगद में से कोई भी नज़दीकी किसी मंदिर या पार्क में आरोपित करें और उसको नित्य जल, खाद देकर पालपोष के बड़ा कर दें। तीज त्योहार में पौधे की जड़ में मिश्री के कुछ दाने डाल दें।
5- किसी गरीब बच्चे की स्कूल फीस भर दें, किसी गरीब पेशेंट की दवाई का खर्च उठाएं।
6- पितरों के नाम पर गायत्री मंत्र लेखन स्वयं करें और लोगों को फ्री गायत्री मन्त्रलेखन पुस्तिका बंटवाये।
7- युगसाहित्य बच्चों के सँस्कार वाला नज़दीकी शक्तिपीठ से ख़रीद कर मुफ़्त स्कूलों के बंटवाये - जैसे सफ़ल जीवन की दिशा धारा, शक्ति संचय के पथ पर, अधिकतम अंक कैसे पाएं इत्यादि।
8- महीने में किसी भी दिन गायत्री यज्ञ सामूहिक करें।
9- रोज़ अखण्डज्योति पत्रिका पत्नी को पढ़कर सुनाए, दोनो मिलकर स्वाध्याय करें।
10- सूर्य भगवान को जल चढ़ाकर थोड़ा सा जल बचा लें। उस जल को दोनो हाथ की अंजुली बनाकर एक बार गायत्री मंत्र बोलकर फिर निम्नलिखित बोलते हुए सूर्य को पुनः अर्पित करें:-
पितृ शांत हों, शांत हों, शांत हों
पितृ मुक्त हों, मुक्त हों, मुक्त हों
पितृ तृप्त हों, तृप्त हों, तृप्त हों
ज्यों ज्यों घर में धार्मिकता और धर्म-कर्म(श्रेष्ठ कर्म) बढ़ेंगे। पितृ दोष घटता चला जायेगा। घर मे सुख शांति आएगी। मन सुकून और उत्साह से भरा रहेगा। बलिवैश्व द्वारा संस्कारित अन्न स्वास्थ्य देगा। 40 दिन के भीतर घर की परिस्थिति सुखमय बननी शुरू हो जाएगी।
पितृ दोष किसी पण्डित से मात्र धन देकर पूजा करवाने पर कुछ दिन के लिए टाला तो शायद जा सकता है लेकिन पितृ दोष हमेशा के लिए मिटाने हेतु स्वयं को धर्म-कर्म/श्रेष्ठ कर्मो में लगाना होगा। पूरे परिवार में सु-संस्कारी वातावरण विनिर्मित करना होगा। इससे धर्मराज आपके पितरों को नरक से मुक्ति देंगे और वी पितृ लोक में निवास करेंगें और भविष्य में नया शरीर प्राप्त करेंगे। इससे पितृ प्रशन्न होंगे और आपका घर खुशियों से भर जाएगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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