जिज्ञासा - *नारी सशक्तीकरण की आवश्यकता क्यों? इसके लिए वर्कशॉप की आवश्यकता क्यों? क्या वर्कशॉप से नारी सशक्तिकरण हो जाएगा?*
स्वयं को किसी के प्रयोग की वस्तु न समझना, स्वयं को ग़ुलाम/परतन्त्र न समझना, स्वयं को लड़को की तरह ही एक जीवित इंसान समझके, अपनी प्रतिभा क्षमता के बेहतरीन प्रयोग से आत्मबल के साथ अपने जीवन को उत्साहित हो जीना ही नारी सशक्तिकरण(Women Empowerment) हैं।
स्वयं के होने का अहसास करना, स्वयं की जिम्मेदारी देश, समाज, और परिवार के साथ साथ स्वयं के प्रति भी जिम्मेदारी समझना ही नारी शशक्तिकरण हैं। कुछ लोग आर्थिक आत्मनिर्भरता मात्र को नारी सशक्तीकरण समझने की भूल करते हैं। आर्थिक आत्मनिर्भरता नारी सशक्तीकरण का एक अंग है पूर्ण नारी शशक्तिकरण नहीं।
वास्तव में आत्मनिर्भरता आत्मबल प्राप्त करने से आती है, यह आत्मबल प्राप्त करने के लिए नारी को स्वयं को साधना पड़ेगा। यह सब कैसे सम्भव होगा इसके मार्गदर्शन हेतु नारी सशक्तिकरण की वर्कशॉप अखिल विश्व गायत्री परिवार और डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन विभिन्न स्थलों पर समय समय पर आयोजित करता रहता है।
किसी भी राष्ट्र की महत्त्वपूर्ण इकाई परिवार होता है, और किसी भी परिवार की महत्त्वपूर्ण इकाई स्त्री होती है। यदि राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य बनाना है तो उसकी शुरुआत स्त्री से ही होगी। जैसी स्त्री वैसी परिवार की सृष्टि। जैसी परिवार की सृष्टि वैसी ही देश की सृष्टि।
प्रसिद्ध समाज सुधारक ने कहा था कि मुझे 1000 अच्छी चरित्रवान सुसंस्कारित माताएं दे दो उस जगह के समाज को बदल दूंगा।
माता भगवती देवी शर्मा और युगऋषि श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने भारतीय हिन्दू नारी के आत्मसम्मान हेतु बहुत संघर्ष किया और उन्हें धर्म क्षेत्र और परिवार में पुरुषों के बराबर अधिकार दिलवाया। जो आज से पहले किसी भी ऋषि या समाजसुधारक ने स्त्रियों के उद्धार के लिए नहीं किया। उन्हें राष्ट्र जगाने वाला पुरोहित बनाया।
आइये अपने नजदीकी गायत्री शक्तिपीठ, चेतना केंद्र, मथुरा तपोभूमि या शांतिकुंज हरिद्वार में सम्पर्क कर नारी शशक्तिकरण के वर्कशॉप हेतु अधिक जानकारी प्राप्त करें, और इसका हिस्सा बन नारियो के उद्धार हेतु प्रबुद्ध बहने और प्रबुद्ध भाई आगे आएं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
स्वयं को किसी के प्रयोग की वस्तु न समझना, स्वयं को ग़ुलाम/परतन्त्र न समझना, स्वयं को लड़को की तरह ही एक जीवित इंसान समझके, अपनी प्रतिभा क्षमता के बेहतरीन प्रयोग से आत्मबल के साथ अपने जीवन को उत्साहित हो जीना ही नारी सशक्तिकरण(Women Empowerment) हैं।
स्वयं के होने का अहसास करना, स्वयं की जिम्मेदारी देश, समाज, और परिवार के साथ साथ स्वयं के प्रति भी जिम्मेदारी समझना ही नारी शशक्तिकरण हैं। कुछ लोग आर्थिक आत्मनिर्भरता मात्र को नारी सशक्तीकरण समझने की भूल करते हैं। आर्थिक आत्मनिर्भरता नारी सशक्तीकरण का एक अंग है पूर्ण नारी शशक्तिकरण नहीं।
वास्तव में आत्मनिर्भरता आत्मबल प्राप्त करने से आती है, यह आत्मबल प्राप्त करने के लिए नारी को स्वयं को साधना पड़ेगा। यह सब कैसे सम्भव होगा इसके मार्गदर्शन हेतु नारी सशक्तिकरण की वर्कशॉप अखिल विश्व गायत्री परिवार और डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन विभिन्न स्थलों पर समय समय पर आयोजित करता रहता है।
किसी भी राष्ट्र की महत्त्वपूर्ण इकाई परिवार होता है, और किसी भी परिवार की महत्त्वपूर्ण इकाई स्त्री होती है। यदि राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य बनाना है तो उसकी शुरुआत स्त्री से ही होगी। जैसी स्त्री वैसी परिवार की सृष्टि। जैसी परिवार की सृष्टि वैसी ही देश की सृष्टि।
प्रसिद्ध समाज सुधारक ने कहा था कि मुझे 1000 अच्छी चरित्रवान सुसंस्कारित माताएं दे दो उस जगह के समाज को बदल दूंगा।
माता भगवती देवी शर्मा और युगऋषि श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने भारतीय हिन्दू नारी के आत्मसम्मान हेतु बहुत संघर्ष किया और उन्हें धर्म क्षेत्र और परिवार में पुरुषों के बराबर अधिकार दिलवाया। जो आज से पहले किसी भी ऋषि या समाजसुधारक ने स्त्रियों के उद्धार के लिए नहीं किया। उन्हें राष्ट्र जगाने वाला पुरोहित बनाया।
आइये अपने नजदीकी गायत्री शक्तिपीठ, चेतना केंद्र, मथुरा तपोभूमि या शांतिकुंज हरिद्वार में सम्पर्क कर नारी शशक्तिकरण के वर्कशॉप हेतु अधिक जानकारी प्राप्त करें, और इसका हिस्सा बन नारियो के उद्धार हेतु प्रबुद्ध बहने और प्रबुद्ध भाई आगे आएं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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