प्रश्न - *गायत्री मंत्र को लाल पेन से लिखना महत्वपूर्ण कार्यों है? अन्य किन कलर से और भी लिखा जा सकता है?मन्त्र लेखन के लिए काले रंग के स्याही के पेन को अशुभ क्यों माना जाता है?*
उत्तर - प्रणाम भाई, *पहले रंग क्या है?* यह समझते हैं:-
इस जगत में किसी भी चीज में रंग नहीं है। पानी, हवा, अंतरिक्ष और पूरा जगत ही रंगहीन है। यहां तक कि जिन चीजों को आप देखते हैं, वे भी रंगहीन हैं। रंग केवल प्रकाश में होता है।
रंग वह नहीं है, जो वो दिखता है, बल्कि वह है जो वो त्यागता है। आप जो भी रंग बिखेरते हैं, वही आपका रंग हो जाएगा। आप जो अपने पास रख लेंगे, वह आपका रंग नहीं होगा। ठीक इसी तरह से जीवन में जो कुछ भी आप देते हैं, वही आपका गुण हो जाता है। अगर आप आनंद देंगे तो लोग कहेंगे कि आप एक आनंदित इंसान हैं।
*रंगों का मानव जीवन में असर*
रंगों में तीन रंग सबसे प्रमुख हैं- लाल, हरा और नीला। इस जगत में मौजूद बाकी सारे रंग इन्हीं तीन रंगों से पैदा किए जा सकते हैं।हर रंग का आपके ऊपर एक खास प्रभाव होता है। आपको पता ही होगा कि कुछ लोग रंग-चिकित्सा यानी कलर-थेरेपी भी कर रहे हैं। वे इलाज के लिए अलग-अलग रंगों के पानी की बोतलों का प्रयोग करते हैं, क्योंकि रंगों का आपके ऊपर एक खास किस्म का प्रभाव होता है।
*लाल रंग का महत्त्व*
जो रंग सबसे ज्यादा आपका ध्यान अपनी ओर खींचता है वो है लाला रंग, क्योंकि सबसे ज्यादा चमकीला लाल रंग ही है।बहुत सी चीजें जो आपके लिए महत्वपूर्ण होती हैं, वे लाल ही होती हैं। रक्त का रंग लाल होता है।
उगते सूरज का रंग भी लाल होता है। मानवीय चेतना में अधिकतम कंपन लाल रंग ही पैदा करता है। जोश और उल्लास का रंग लाल ही है। आप कैसे भी व्यक्ति हों, लेकिन अगर आप लाल कपड़े पहनकर आते हैं तो लोगों को यही लगेगा कि आप जोश से भरपूर हैं, भले ही आप हकीकत में ऐसे न हों। इस तरह लाल रंग के कपड़े आपको अचानक जोशीला बना देते है।
देवी (चैतन्य का नारी स्वरूप) इसी जोश और उल्लास का प्रतीक हैं। उनकी ऊर्जा में भरपूर कंपन और उल्लास होता है। देवी से संबंधित कुछ खास किस्म की साधना करने के लिए लाल रंग की जरूरत होती है। इसलिए गायत्री मन्त्र लेखन के वक़्त लाल रंग के पेन/स्याही से लिखने को वरीयता दी जाती है।
*नीला रंग का महत्त्व*
नीला रंग सबको समाहित करके चलने का रंग है। आप देखेंगे कि इस जगत में जो कोई भी चीज बेहद विशाल और आपकी समझ से परे है, उसका रंग आमतौर पर नीला है, चाहे वह आकाश हो या समुंदर।
जो कुछ भी आपकी समझ से बड़ा है, वह नीला होगा, क्योंकि नीला रंग सब को शामिल करने का आधार है। आपको पता ही है कि कृष्ण के शरीर का रंग नीला माना जाता है। इस नीलेपन का मतलब जरूरी नहीं है कि उनकी त्वचा का रंग नीला था। हो सकता है, वे श्याम रंग के हों, लेकिन जो लोग जागरूक थे, उन्होंने उनकी ऊर्जा के नीलेपन को देखा और उनका वर्णन नीले वर्ण वाले के तौर पर किया। कृष्ण की प्रकृति के बारे में की गई सभी व्याख्याओं में नीला रंग आम है, क्योंकि सभी को साथ लेकर चलना उनका एक ऐसा गुण था, जिससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता। वह कौन थे, वह क्या थे, इस बात को लेकर तमाम विवाद हैं, लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि उनका स्वभाव सभी को साथ लेकर चलने वाला था। इसलिए मन्त्र लेखन हेतु नीले रंग के पेन का भी उपयोग करते हैं।
*काला रंग मन्त्र लेखन में उपयोग क्यों नहीं करते?*
कोई चीज आपको काली प्रतीत होती है, इसकी वजह यह है कि यह कुछ भी परावर्तित नहीं करती, सब कुछ सोख लेती है।
अगर आप लगातार लंबे समय तक काले रंग के कपड़े पहनते हैं और तरह-तरह की स्थितियों के संपर्क में आते हैं तो आप देखेंगे कि आपकी ऊर्जा कुछ ऐसे घटने-बढऩे लगेगी कि वह आपके भीतर के सभी भावों को सोख लेगी और आपकी मानसिक हालत को बेहद अस्थिर और असंतुलित कर देगी।
इसलिए काले रंग के पेन/स्याही का प्रयोग मन्त्र लेखन हेतु नहीं करते।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
उत्तर - प्रणाम भाई, *पहले रंग क्या है?* यह समझते हैं:-
इस जगत में किसी भी चीज में रंग नहीं है। पानी, हवा, अंतरिक्ष और पूरा जगत ही रंगहीन है। यहां तक कि जिन चीजों को आप देखते हैं, वे भी रंगहीन हैं। रंग केवल प्रकाश में होता है।
रंग वह नहीं है, जो वो दिखता है, बल्कि वह है जो वो त्यागता है। आप जो भी रंग बिखेरते हैं, वही आपका रंग हो जाएगा। आप जो अपने पास रख लेंगे, वह आपका रंग नहीं होगा। ठीक इसी तरह से जीवन में जो कुछ भी आप देते हैं, वही आपका गुण हो जाता है। अगर आप आनंद देंगे तो लोग कहेंगे कि आप एक आनंदित इंसान हैं।
*रंगों का मानव जीवन में असर*
रंगों में तीन रंग सबसे प्रमुख हैं- लाल, हरा और नीला। इस जगत में मौजूद बाकी सारे रंग इन्हीं तीन रंगों से पैदा किए जा सकते हैं।हर रंग का आपके ऊपर एक खास प्रभाव होता है। आपको पता ही होगा कि कुछ लोग रंग-चिकित्सा यानी कलर-थेरेपी भी कर रहे हैं। वे इलाज के लिए अलग-अलग रंगों के पानी की बोतलों का प्रयोग करते हैं, क्योंकि रंगों का आपके ऊपर एक खास किस्म का प्रभाव होता है।
*लाल रंग का महत्त्व*
जो रंग सबसे ज्यादा आपका ध्यान अपनी ओर खींचता है वो है लाला रंग, क्योंकि सबसे ज्यादा चमकीला लाल रंग ही है।बहुत सी चीजें जो आपके लिए महत्वपूर्ण होती हैं, वे लाल ही होती हैं। रक्त का रंग लाल होता है।
उगते सूरज का रंग भी लाल होता है। मानवीय चेतना में अधिकतम कंपन लाल रंग ही पैदा करता है। जोश और उल्लास का रंग लाल ही है। आप कैसे भी व्यक्ति हों, लेकिन अगर आप लाल कपड़े पहनकर आते हैं तो लोगों को यही लगेगा कि आप जोश से भरपूर हैं, भले ही आप हकीकत में ऐसे न हों। इस तरह लाल रंग के कपड़े आपको अचानक जोशीला बना देते है।
देवी (चैतन्य का नारी स्वरूप) इसी जोश और उल्लास का प्रतीक हैं। उनकी ऊर्जा में भरपूर कंपन और उल्लास होता है। देवी से संबंधित कुछ खास किस्म की साधना करने के लिए लाल रंग की जरूरत होती है। इसलिए गायत्री मन्त्र लेखन के वक़्त लाल रंग के पेन/स्याही से लिखने को वरीयता दी जाती है।
*नीला रंग का महत्त्व*
नीला रंग सबको समाहित करके चलने का रंग है। आप देखेंगे कि इस जगत में जो कोई भी चीज बेहद विशाल और आपकी समझ से परे है, उसका रंग आमतौर पर नीला है, चाहे वह आकाश हो या समुंदर।
जो कुछ भी आपकी समझ से बड़ा है, वह नीला होगा, क्योंकि नीला रंग सब को शामिल करने का आधार है। आपको पता ही है कि कृष्ण के शरीर का रंग नीला माना जाता है। इस नीलेपन का मतलब जरूरी नहीं है कि उनकी त्वचा का रंग नीला था। हो सकता है, वे श्याम रंग के हों, लेकिन जो लोग जागरूक थे, उन्होंने उनकी ऊर्जा के नीलेपन को देखा और उनका वर्णन नीले वर्ण वाले के तौर पर किया। कृष्ण की प्रकृति के बारे में की गई सभी व्याख्याओं में नीला रंग आम है, क्योंकि सभी को साथ लेकर चलना उनका एक ऐसा गुण था, जिससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता। वह कौन थे, वह क्या थे, इस बात को लेकर तमाम विवाद हैं, लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि उनका स्वभाव सभी को साथ लेकर चलने वाला था। इसलिए मन्त्र लेखन हेतु नीले रंग के पेन का भी उपयोग करते हैं।
*काला रंग मन्त्र लेखन में उपयोग क्यों नहीं करते?*
कोई चीज आपको काली प्रतीत होती है, इसकी वजह यह है कि यह कुछ भी परावर्तित नहीं करती, सब कुछ सोख लेती है।
अगर आप लगातार लंबे समय तक काले रंग के कपड़े पहनते हैं और तरह-तरह की स्थितियों के संपर्क में आते हैं तो आप देखेंगे कि आपकी ऊर्जा कुछ ऐसे घटने-बढऩे लगेगी कि वह आपके भीतर के सभी भावों को सोख लेगी और आपकी मानसिक हालत को बेहद अस्थिर और असंतुलित कर देगी।
इसलिए काले रंग के पेन/स्याही का प्रयोग मन्त्र लेखन हेतु नहीं करते।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
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