Monday, 30 April 2018

प्रश्न - *बेटे या बेटी में से कौन माता-पिता की सबसे ज्यादा सेवा करता है?*

प्रश्न - *बेटे या बेटी में से कौन माता-पिता की सबसे ज्यादा सेवा करता है?*

उत्तर - अच्छे संस्कार, सम्वेदना और सद्बुद्धि हो तो ही लड़का भी हृदय से पास होता है और लड़की भी हृदय के पास होती है, दोनों से सेवा मिलती है, अच्छे संस्कार, आध्यात्मिकता और सेवाभाव नही हुआ तो न लडक़ी सेवा करती है न ही लड़का सेवा करता है।

लड़की किसी की बहू भी बनती है, माता-पिता के लिए जो प्रेम होता है वो सास-ससुर के लिए नहीं होता।  लड़का भी दामाद बनता है, उसके हृदय में भी सास-ससुर के लिए अपना पन नहीं होता। जब बच्चों को बचपन से आत्मीयता विस्तार से जोड़ा नहीं, आध्यात्मिकता सिखाई नहीं, अच्छे संस्कार दिये नहीं तो जब बच्चो के व्यवहार-संस्कार में बोया पेड़ बबूल का तो मीठे आम के फल आएंगे कहाँ से?

जब पिता किसी अपनी संस्कार विहीन लड़की के घर रहने लगता है तो लड़की भी बेटों की तरह ही रूखा व्यवहार करने लगती हैं।

दूर से प्यार सब दिखाते है। जिसके पास भी बूढ़े माता-पिता के अंतिम दिनों की अति कष्टसाध्य सेवा लगती है, वो झल्लाता ही है, यदि उसमें सेवा भाव और आध्यात्मिकता का अभाव हुआ तो....

हमारे देश मे लड़कों से केवल यह उम्मीद होती है कि बस वो किसी तरह पैदा हो जायें। उसके बाद उन्हें राजा-महाराजा की तरह पाला पोसा जाता है,  उनसे कभी मां के घर के कामो में मदद की उम्मीद या सेवा की उम्मीद तक नहीं की जाती, लड़कों को किसी से सामंजस्य(adjustment) बिठाना सिखाया ही नहीं जाता। बल्कि घर वाले लड़को के हिसाब से चलते हैं।

वहीं लड़कियों को पराये घर जाने की धमकियों के बीच पाला जाता है। सभी परिस्थितियों के लिए उन्हें मन से तैयार किया जाता है कि पता नहीं कैसा ससुराल मिलेगा वहां सामंजस्य बिठाना पड़ेगा। लड़की को घर वालों के हिसाब से चलना पड़ता है।

लड़का उद्दंड और उच्चख्रिल मानसिकता और दूसरी तरफ़ लड़की के अंदर घुटन वाली मानसिकता दोनों ही परिस्थिति घातक है।

लड़का हो या लड़की दोनों को अच्छे संस्कार की जरूरत है, दोनों को समान आगे बढ़ने का अवसर दीजिये और सेवा-आध्यात्मिकता के गुण उनमें गढ़िए। वृद्ध कोई भी हो माता-पिता हो या सास-ससुर दोनों को ही युवा बच्चो की सेवा की आवश्यकता है। एक दिन युवा भी वृद्ध होंगे। युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं - यदि गृहस्थ तपोवन बना और अच्छे संस्कार गढ़ने की और सेवा परम्परा परिवारों में बनी रही तो वृद्धाश्रम की जरूरत नहीं पड़ेगी और घर में ही सेवा मिलेगी, प्यार-सेवा-सहकार से बना परिवार धरती का स्वर्ग है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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