Wednesday, 11 April 2018

प्रश्न - ,बिना प्रारब्ध में प्रवेश किये आध्यात्मिक चिकित्सा कैसे करें?

प्रश्न - *मेरी भी एक समस्या है दी मेरे पास बहुत सारी माताये बहने आती है और अपनी समस्या बताती है उन्है बहुत अच्छा लगता है मुझे बता कर और फिर मैं इनको समस्या का समाधान गुरुवर के माध्यम से बताती हुँ मुझे खुशी होती है । पर मेरे पापा जी को ये सब पंसद नही वो बोलते है की किसी का तकलीफ सुनने से वो घर में आ जाता है मैं बोलती हुँ पापा ये गुरुवर का घर है पर वो मुझे ही डॉटने लगते है कृप्या कर समाधान बाताये*|

उत्तर - एक पिता के रूप में उनकी चिंता स्वभाविक है। किसी की तकलीफ सुनने पर समस्या कभी घर में आती है - यह बात 50% सही और 50% ग़लत है।

*आप जो कार्य कर रही हैं, इसे आध्यात्मिक चिकित्सा कहते हैं। आध्यात्मिक चिकित्सक को एक चिकित्सक की ही तरह सावधानी बरतनी होती है।*

*संक्रमित रोग के मरीज़ के इलाज़ में यदि चिकित्सक सावधानी न बरते तो वो संक्रमण रोग उसे भी परेशान करता है। यदि आध्यात्मिक चिकित्सक सावधानी न बरतेगा तो वो प्रारब्ध में प्रवेश कर जाएगा।* इसलिए वो पहले अपनी सुरक्षा करके, दस्ताने वगैरह पहन के चेक करने के बाद भी डिटॉल इत्यादि से हाथ साफ करता है। इसी तरह आध्यात्मिक चिकित्सा की ओपीडी घर पर शुरू करने से पहले स्वयं की सुरक्षा के निम्नलिखित उपाय क्या आपने किये हैं?

1- अभी हम सब जूनियर है तो मात्र चिकित्सा सहयोगी है। अतः सीनियर मोस्ट आध्यात्मिक ब्रह्मांडीय चिकित्सक युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी और माता भगवती का आह्वाहन कर उनके मार्गदर्शन में अध्यात्मिक चिकित्सा शुरू करें।

2- समूह में 15 मिनट का मौन  नादयोग ध्यान या मन्त्र जप करवा दें।

3- दस्ताने अर्थात गायत्री कवच नित्य पढ़कर ही किसी की समस्या सुने। और अपने मस्तिष्क में बिंदी की जगह थोड़ी से शांतिकुंज वाली यज्ञ भष्म लगाएं।

4- गायत्री महाविज्ञान, यज्ञ चिकित्सा विज्ञान, दृष्टिकोण ठीक रखें, अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार, भावसम्वेदना की गंगोत्री, आध्यात्मिक कायाकल्प, गृहस्थ एक तपोवन, सफ़ल जीवन की दिशा धारा, मानसिक संतुलन, गहना कर्मणो गतिः(कर्म फल का सुनिश्चित विधान), प्रायश्चित विधान,  प्रज्ञा पुराण, समस्याएं आज की और समाधान युगऋषि के, अखण्डज्योति, गायत्री मन्त्रलेखन और हमारी भावी पीढ़ी और इसका नवनिर्माण अच्छे से पढ़ लें। तथा इनके इंडेक्स भी पढ़ लें पेज नम्बर के साथ। आध्यात्मिक चिकित्सा के वक्त यह पुस्तकें आपके पास होनी चाहिए।

5- अब उनसे समस्या पूंछे और स्वयं गुरुदेव का प्रतिनिधि बनके सुनें। शांति से जब वह अपनी समस्या कह दे, तो उसे मौन होने को बोलें, और स्वयं नेत्रबन्द कर 5 मिनट के लिए मौन हो जाये। गुरुदेव से समाधान मांगे। जो समाधनपरक विचार उठे उसे बोल दें, ततसम्बन्धी साहित्य दें। किसी के सरल तो किसी के कठिन प्रारब्ध/समस्याएं होती हैं, सरल और मध्यम हेतु समाधान दें। यदि जटिल केस हो और आपको समझ न आये तो शान्तिकुंज के वरिष्ठ परिजनों के पास उस व्यक्ति को भेज दें।

6- उसे श्रेष्ठ कार्यों हेतु समय दान-अंशदान करने को कहें। बलिवैश्व यज्ञ, यज्ञ की अनिवार्यता और दैनिक उपासना समझाएं।

7- आध्यात्मिक चिकित्सा की फीस स्वरूप अखण्डज्योति पत्रिका का पाठक और मन्त्रलेखन करवाये।

8- उसके जाने बाद, घर मे जल लेकर शांति मन्त्र पढ़कर सर्वत्र छिड़क दें। *ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः
पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः ।
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥*

9- हाथ में जल लेकर आध्यात्मिक चिकित्सा के वक्त जो खुशी या दुःख हुआ, जो विचार पनपे सबको श्री गुरु अर्पण मस्तु कहके गुरुदेव की फोटो के समक्ष तस्तरी में छोड़ दें।

10- ध्यान रखें, चिकित्सक की तरह आध्यात्मिक चिकित्सा के दौरान हुई बातें आपके मन मे दिनभर नहीं गूँजनी चाहिए और न ही आप किसी के घोर दुःख के प्रवाह में दुःखी होने चाहिए। तटस्थ भाव से गुरु निमित्त बनके मार्गदर्शन करें। इस तरह गुरुनिमित्त बन आप किसी के प्रारब्ध में प्रवेश नहीं करेंगी और किसी का प्रारब्ध आपको कष्ट नहीं दे सकेगा।

आध्यात्मिक काया कल्प और उसका सुनिश्चित विधान की एक पोस्ट जो कुछ दिन पहले मैंने भेजी थी। उन्हें भी आध्यात्मिक चिकित्सा के दौरान उपयोग में लें।

उम्मीद है आपको मेरा सुझाव पसन्द आया होगा। जो भी करें सावधानी और कुशलता से करें। योग्यता और  पात्रता इसके लिए निरन्तर विकसित करें। आपके उज्ज्वल भविष्य की हम प्रार्थना करते हैं।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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