Thursday, 12 April 2018

कुछ भी असम्भव न होगा, जब नियन्ता स्वयं साथ होगा

जो ध्वनि हम सुन न सके,
क्या वो ध्वनि इस धरा पर नहीं है?
जो दृश्य हम देख न सके,
क्या वो दृश्य इस धरा पर नहीं है?

जो ज्ञान हम पा न सके,
क्या वो ज्ञान इस धरा पर नहीं है?
जिसे हम अनुभव न कर सके,
क्या वो तत्व इस धरा पर नहीं है?

अपनी छोटी बुद्धि से,
क्या क्या माप सकोगे?
क्या क्या जान सकोगे?
शरीर की सीमा से परे,
क्या कभी जा सकोगे?

अध्यात्म वो यान है,
जो असीमित अपरिमित है,
इसके अभ्यास से,
शरीर की सीमा से पार जा सकोगे,

वो सुन सकोगे,
 जो अभी सुन नहीं सकते,
वो देख सकोगे,
जो अभी देख नहीं सकते,
वो महसूस कर सकोगे,
जो अभी महसूस कर नहीं सकते,
उस सूक्ष्म दुनियां में प्रवेश पा सकोगे,
जहां अभी प्रवेश नहीं है।

उस विराट से जुड़कर,
विराट बन सकोगे,
छोटे कदमों से भी,
ब्रह्माण्ड नाप सकोगे।

कुछ भी असम्भव न होगा,
जब नियन्ता का साथ होगा,
भक्त भगवान एक होगा,
साधक सविता में समर्पित होगा,
अग्नि में प्रवेश कर,
कोयला भी अग्निवत चमक उठेगा,
उसको अनुभूत कर,
फिर कुछ भी शेष न रहेगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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