प्रश्न - *यज्ञ में किन उंगलियों और मुद्रा का प्रयोग आहुति समर्पित करते समय किया जाता है?*
उत्तर - हवन करते समय किन-किन उंगलियों का प्रयोग किया जाय इसके संबंध में भृंगी और हंसी मुद्रा को शुभ माना गया है। ‘मृगी’ मुद्रा वह है जिसमें अंगूठा, मध्यमा और अनामिका उंगलियों से सामग्री होमी जाती है। हंसी मुद्रा वह है जिसमें सबसे छोटी उंगली कनिष्ठिका का उपयोग न करके शेष तीन उंगलियों तथा अंगूठे की सहायता से आहुति छोड़ी जाती है।
होमे मुद्रा स्मृतास्तिस्रो मृगी हंसी च सूकरी।
मुद्राँ बिना कृतो होमः सर्वो भवति निष्फलः।
शान्तके तु मृगी ज्ञेया हंसी पौष्टिक कर्मणि।
सूकरी त्वभिचारे तु कार्ण तंत्र विदुत्तमेः।
-परशुराम कारिका
तर्जनी उंगली का प्रयोग किसी भी शुभ कार्य मे नहीं करते, इसका कारण तर्जनी उंगली से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा होती है। कुम्हड़े के फूल पर यदि पांच मिनट तर्जनी उंगली का संस्पर्श करवा दें। तो वो मुरझा जाता है। कनिष्ठिका उंगली प्रयुक्त करने पर हंसी मुद्रा और मृगी मुद्रा नहीं बनती अतः इसका भी प्रयोग नहीं किया जाता है।
अनामिका उंगली सबसे शुभ होती है, इस उंगली से हृदय की भाव सम्वेदना निकलती है। इसलिए इससे पूजन किया जाता है। विवाह से पूर्व सगाई में उंगली अनामिका में ही पहनाते है। तिलक इससे ही लगाते है। मन्त्र जप में भी माला इसी के ऊपर टिका के अंगूठे और मध्यमा से जपते हैं।
🙏🏻श्वेता, दिया
उत्तर - हवन करते समय किन-किन उंगलियों का प्रयोग किया जाय इसके संबंध में भृंगी और हंसी मुद्रा को शुभ माना गया है। ‘मृगी’ मुद्रा वह है जिसमें अंगूठा, मध्यमा और अनामिका उंगलियों से सामग्री होमी जाती है। हंसी मुद्रा वह है जिसमें सबसे छोटी उंगली कनिष्ठिका का उपयोग न करके शेष तीन उंगलियों तथा अंगूठे की सहायता से आहुति छोड़ी जाती है।
होमे मुद्रा स्मृतास्तिस्रो मृगी हंसी च सूकरी।
मुद्राँ बिना कृतो होमः सर्वो भवति निष्फलः।
शान्तके तु मृगी ज्ञेया हंसी पौष्टिक कर्मणि।
सूकरी त्वभिचारे तु कार्ण तंत्र विदुत्तमेः।
-परशुराम कारिका
तर्जनी उंगली का प्रयोग किसी भी शुभ कार्य मे नहीं करते, इसका कारण तर्जनी उंगली से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा होती है। कुम्हड़े के फूल पर यदि पांच मिनट तर्जनी उंगली का संस्पर्श करवा दें। तो वो मुरझा जाता है। कनिष्ठिका उंगली प्रयुक्त करने पर हंसी मुद्रा और मृगी मुद्रा नहीं बनती अतः इसका भी प्रयोग नहीं किया जाता है।
अनामिका उंगली सबसे शुभ होती है, इस उंगली से हृदय की भाव सम्वेदना निकलती है। इसलिए इससे पूजन किया जाता है। विवाह से पूर्व सगाई में उंगली अनामिका में ही पहनाते है। तिलक इससे ही लगाते है। मन्त्र जप में भी माला इसी के ऊपर टिका के अंगूठे और मध्यमा से जपते हैं।
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