माता को अपने गर्भ का वजन नहीं पता चलता, पिता को बच्चे का खर्च बोझ नहीं लगता। प्रेमिका और प्रेमी को एक दूसरे के लिए किया त्याग भी कम लगता है। उसी तरह गुरुभक्त गायत्री परिजनों को गुरुकार्य में लू, गर्मी, धूप, बरसात, ढंड और अनेकों कठिनाइयों का सामना करते हुए गुरुकार्य कभी भी बोझ नहीं लगता। आनन्द ही आनंद मिलता है जब कुछ गुरुकार्य बन पड़ता है।
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