प्रश्न - *दी मैं वेबसाइट डेवेलपर हूँ मल्टीनेशनल कंपनी में, शनिवार-रविवार को मेरी छुट्टी रहती है। मैं PG में रहता हूँ। बताइये मैं कैसे और कहां बाल संस्कार शाला चलाऊँ?*
समाधान -
*बाल संस्कार शाला - सरकारी स्कूल में आसानी से चलाई जा सकती है*
स्वयं से पूँछिये कि आप किस विषय मे बेस्ट है, उदाहरण पढ़ाई के गुण है या व्यवसाय के गुण है या घर गृहस्थी के गुण है?
अब जो अच्छे से आता है उन गुणों को यदि नए बच्चे को सीखना हो तो आसानी से सीखा सकते हैं। राइट।
अब *पुस्तक - बाल संस्कार शाला इस तरह चलाएं* और *बाल संस्कारशाला मार्गदर्शिका* पढ़िए। कुछ बाल निर्माण की कहानियां पढ़ लीजिये।
स्थूल रूप में बाल संस्कार हम चलाते हैं, नर्स की तरह बच्चो को हम इकट्ठा करते हैं। लेकिन चेतना स्तर पर परिवर्तन गुरुदेव सूक्ष्म रूप में करते हैं।
स्कूल में जाने से पूर्व बालसंस्कार शाला हेतु 5 माला गायत्री की जपकर जाएं, इससे आपकी वैयक्तिक ऊर्जा और मनोबल बढ़ा हुआ होगा और आत्मविश्वास के साथ स्कूल जाएं।
सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल से जाकर मिलें। उन्हें अपना व्यक्तिगत परिचय के साथ स्वयं को डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन का सदस्य बताएं। हम अपने देश और समाज के लिए कुछ करना चाहते है, इसलिए हम स्कूल में अपना टाइम डोनेट करना चाहते हैं। युगऋषि द्वारा मार्गदर्शित और देवसंस्कृति विश्वविद्यालय से सम्बंधित चाइल्ड डेवलपमेंट के टॉपिक बच्चो को सप्ताह में एक दिन पढ़ाना चाहते हैं। जिसमें नैतिक शिक्षा के साथ साथ पर्सनालिटी रिफाइन्मेंट पढ़ाएंगे, पढ़ाई में बच्चे फोकस कैसे करें, कम समय मे ज्यादा कैसे याद करें और देर तक, योग-ध्यान-जप-प्राणायाम से मेमोरी को कैसे बढ़ाएं ये सब सिखाएंगे। इसके लिए कभी कहानी, तो कभी लेक्चर तो कभी एक्टिविटी का सहारा लेंगे। अपनी बात रख के फिर उनकी सुने। फिर बिना कोई नकारात्मक पब्लिसिटी स्टंट किये आगे की बात रखें, कोई राजनीतिक कमेंट न करें, सरकार या स्कूल प्रसाशन के दोषारोपण से बचें।
जिस दिन भी क्लास मिले उस दिन का टॉपिक पढ़कर जाएं। स्कूल में मुस्कुराते हुए प्रवेश करें। बच्चो के हल्ला करने पर प्यार से हैंडल करें।
सबसे पहले बड़े बच्चे हो तो उनसे पूंछे क्या आपको पता है कि डॉक्टर ऑपरेशन से पहले अपने इंस्ट्रूमेंट धोता है। छोटे बच्चे हों तो बोले मम्मी जूठे बर्तन में भोजन नहीं बनाती। भोजन से पहले बर्तन धोती है। इसी तरह पढ़ने से पूर्व हमें भी ब्रेन की धुलाई जिसे रिलैक्स करना कहते है। करना होता है। दौड़कर आओ कहीं से या खेलकर या कुछ और करके यूँ ही पढ़ने नहीं बैठना चाहिए। माइंड रिलैक्स प्रोसेस से गुजर कर पहले मन को पढ़ने हेतु तैयार करके पढ़ाई शुरू करनी चाहिए। तो आइए आज आपको ब्रेन रिलैक्स की प्रोसेस सिखाते हैं।
एक और बात जैसे मोबाइल हम चार्ज करते हैं, वैसे ही इस रिलैक्स प्रोसेस में ब्रेन चार्ज भी होगा। मोबाइल चार्ज करते समय बात नहीं करना चाहिए न उसे उपयोग करना चाहिए। उसी तरह ब्रेन रिलैक्स प्रोसेस के समय बात नहीं करना चाहिए और न बाहर देखना चाहिये। तो आइए आंख बंद करके शांत बैठे। कमर सीधी रखे जिससे कॉस्मिक एनर्जी के लिए सिग्नल सही मिले। दोनों हाथ गोदी में, लेफ्ट नीचे और राइट हेंड ऊपर दोनों हाथ के अंगूठे आपस मे एक दूसरे को स्पर्श करें।
1- डीप ब्रीदिंग(गहरी श्वांस) तीन बार, श्वांस लेते हुए लिफ्ट की तरह श्वांस लें, छोड़ते समय सीढ़ी से उतरने की तरह धीरे धीरे छोड़े।
2- तीन बार दीर्घ श्वर में ॐ जपें।
3- तीन बार गायत्री मंत्र जपें
4- ॐ शांति: ओम शांति ॐ शांतिः
5- हाथ रगड़े और दोनों हाथ को आंख के ऊपर हल्के से रखें, धीरे धीरे आंख हथेली के अंदर खोलें। फिर हाथ को पूरे चेहरे में क्रीम जैसे लगाते है वैसे लगाएं।
अब इस एक्सरसाइज के बाद क्लास लें। कहानी जो भी चुनें उसे एक नए अंदाज में वर्तमान से जोड़े। उदाहरण कछुआ और खरगोस की कहानी:-
1- बच्चो से कहें ये कहानी तो आपने सुनी होगी ये आपके जीवन से कैसे सम्बन्धित है उसे बताओ। सब बच्चो के उत्तर सुनो।
2- फिर बताओ खरगोश अर्थात ऐसे बच्चे जो जल्दी याद कर लेते हैं पढ़ने में होशियार हैं। कछुआ अर्थात ऐसे बच्चे जिन्हें देर से याद होता है, देर से समझ आता है।
3- खरगोश बच्चे exam की रेस में सोचते हैं अभी तो बहुत दिन है थोड़ा मस्ती कर लेता हूँ, लेकिन कछुए बच्चे अनवरत पढ़ते रहते हैं।
4- एग्जाम के दिन जीतता कौन है? जो अनवरत पढ़ता है। कछुआ जीतता है।
5- लेकिन यदि खरगोश बच्चा अनवरत हो जाये तो उसकी जीत का जश्न कितना बड़ा होगा सोचो।
इस तरह गुरुदेव का स्वयं में आह्वान करें और अच्छी अच्छी आदतें खेल खेल में और कहानियों के माध्यम से सिखाये।
सरकारी स्कूल के बच्चे अधिकतर मजदूर वर्ग के होते हैं, तो अब्राहम लिंकन, नरेंद्र मोदी जी, अब्दुल कलाम इत्यादि की जीवनी इन्हें बहुत प्रोत्साहित करेगी।
बाल साहित्य की कुछ पुस्तको का सेट एक क्लास में दे, और सबसे कहें ये आपके क्लास की लाइब्रेरी है सब मिल बांटकर पढ़े। उनके आत्मविश्वास बढ़ाने वाले विचार जरूर बोलें।
इस तरह बड़ी आसानी से जॉब करते हुए भी शनिवार को सरकारी स्कूल में आप बाल संस्कार शाला चला सकते हैं। किसी शनिवार ज्ञान दीक्षा यज्ञ भी कर सकते हैं।
आपके बाल संस्कार शाला चलाने के शुभ संकल्प को महाकाल शीघ्र पूर्ण करे। यही प्रार्थना है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
समाधान -
*बाल संस्कार शाला - सरकारी स्कूल में आसानी से चलाई जा सकती है*
स्वयं से पूँछिये कि आप किस विषय मे बेस्ट है, उदाहरण पढ़ाई के गुण है या व्यवसाय के गुण है या घर गृहस्थी के गुण है?
अब जो अच्छे से आता है उन गुणों को यदि नए बच्चे को सीखना हो तो आसानी से सीखा सकते हैं। राइट।
अब *पुस्तक - बाल संस्कार शाला इस तरह चलाएं* और *बाल संस्कारशाला मार्गदर्शिका* पढ़िए। कुछ बाल निर्माण की कहानियां पढ़ लीजिये।
स्थूल रूप में बाल संस्कार हम चलाते हैं, नर्स की तरह बच्चो को हम इकट्ठा करते हैं। लेकिन चेतना स्तर पर परिवर्तन गुरुदेव सूक्ष्म रूप में करते हैं।
स्कूल में जाने से पूर्व बालसंस्कार शाला हेतु 5 माला गायत्री की जपकर जाएं, इससे आपकी वैयक्तिक ऊर्जा और मनोबल बढ़ा हुआ होगा और आत्मविश्वास के साथ स्कूल जाएं।
सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल से जाकर मिलें। उन्हें अपना व्यक्तिगत परिचय के साथ स्वयं को डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन का सदस्य बताएं। हम अपने देश और समाज के लिए कुछ करना चाहते है, इसलिए हम स्कूल में अपना टाइम डोनेट करना चाहते हैं। युगऋषि द्वारा मार्गदर्शित और देवसंस्कृति विश्वविद्यालय से सम्बंधित चाइल्ड डेवलपमेंट के टॉपिक बच्चो को सप्ताह में एक दिन पढ़ाना चाहते हैं। जिसमें नैतिक शिक्षा के साथ साथ पर्सनालिटी रिफाइन्मेंट पढ़ाएंगे, पढ़ाई में बच्चे फोकस कैसे करें, कम समय मे ज्यादा कैसे याद करें और देर तक, योग-ध्यान-जप-प्राणायाम से मेमोरी को कैसे बढ़ाएं ये सब सिखाएंगे। इसके लिए कभी कहानी, तो कभी लेक्चर तो कभी एक्टिविटी का सहारा लेंगे। अपनी बात रख के फिर उनकी सुने। फिर बिना कोई नकारात्मक पब्लिसिटी स्टंट किये आगे की बात रखें, कोई राजनीतिक कमेंट न करें, सरकार या स्कूल प्रसाशन के दोषारोपण से बचें।
जिस दिन भी क्लास मिले उस दिन का टॉपिक पढ़कर जाएं। स्कूल में मुस्कुराते हुए प्रवेश करें। बच्चो के हल्ला करने पर प्यार से हैंडल करें।
सबसे पहले बड़े बच्चे हो तो उनसे पूंछे क्या आपको पता है कि डॉक्टर ऑपरेशन से पहले अपने इंस्ट्रूमेंट धोता है। छोटे बच्चे हों तो बोले मम्मी जूठे बर्तन में भोजन नहीं बनाती। भोजन से पहले बर्तन धोती है। इसी तरह पढ़ने से पूर्व हमें भी ब्रेन की धुलाई जिसे रिलैक्स करना कहते है। करना होता है। दौड़कर आओ कहीं से या खेलकर या कुछ और करके यूँ ही पढ़ने नहीं बैठना चाहिए। माइंड रिलैक्स प्रोसेस से गुजर कर पहले मन को पढ़ने हेतु तैयार करके पढ़ाई शुरू करनी चाहिए। तो आइए आज आपको ब्रेन रिलैक्स की प्रोसेस सिखाते हैं।
एक और बात जैसे मोबाइल हम चार्ज करते हैं, वैसे ही इस रिलैक्स प्रोसेस में ब्रेन चार्ज भी होगा। मोबाइल चार्ज करते समय बात नहीं करना चाहिए न उसे उपयोग करना चाहिए। उसी तरह ब्रेन रिलैक्स प्रोसेस के समय बात नहीं करना चाहिए और न बाहर देखना चाहिये। तो आइए आंख बंद करके शांत बैठे। कमर सीधी रखे जिससे कॉस्मिक एनर्जी के लिए सिग्नल सही मिले। दोनों हाथ गोदी में, लेफ्ट नीचे और राइट हेंड ऊपर दोनों हाथ के अंगूठे आपस मे एक दूसरे को स्पर्श करें।
1- डीप ब्रीदिंग(गहरी श्वांस) तीन बार, श्वांस लेते हुए लिफ्ट की तरह श्वांस लें, छोड़ते समय सीढ़ी से उतरने की तरह धीरे धीरे छोड़े।
2- तीन बार दीर्घ श्वर में ॐ जपें।
3- तीन बार गायत्री मंत्र जपें
4- ॐ शांति: ओम शांति ॐ शांतिः
5- हाथ रगड़े और दोनों हाथ को आंख के ऊपर हल्के से रखें, धीरे धीरे आंख हथेली के अंदर खोलें। फिर हाथ को पूरे चेहरे में क्रीम जैसे लगाते है वैसे लगाएं।
अब इस एक्सरसाइज के बाद क्लास लें। कहानी जो भी चुनें उसे एक नए अंदाज में वर्तमान से जोड़े। उदाहरण कछुआ और खरगोस की कहानी:-
1- बच्चो से कहें ये कहानी तो आपने सुनी होगी ये आपके जीवन से कैसे सम्बन्धित है उसे बताओ। सब बच्चो के उत्तर सुनो।
2- फिर बताओ खरगोश अर्थात ऐसे बच्चे जो जल्दी याद कर लेते हैं पढ़ने में होशियार हैं। कछुआ अर्थात ऐसे बच्चे जिन्हें देर से याद होता है, देर से समझ आता है।
3- खरगोश बच्चे exam की रेस में सोचते हैं अभी तो बहुत दिन है थोड़ा मस्ती कर लेता हूँ, लेकिन कछुए बच्चे अनवरत पढ़ते रहते हैं।
4- एग्जाम के दिन जीतता कौन है? जो अनवरत पढ़ता है। कछुआ जीतता है।
5- लेकिन यदि खरगोश बच्चा अनवरत हो जाये तो उसकी जीत का जश्न कितना बड़ा होगा सोचो।
इस तरह गुरुदेव का स्वयं में आह्वान करें और अच्छी अच्छी आदतें खेल खेल में और कहानियों के माध्यम से सिखाये।
सरकारी स्कूल के बच्चे अधिकतर मजदूर वर्ग के होते हैं, तो अब्राहम लिंकन, नरेंद्र मोदी जी, अब्दुल कलाम इत्यादि की जीवनी इन्हें बहुत प्रोत्साहित करेगी।
बाल साहित्य की कुछ पुस्तको का सेट एक क्लास में दे, और सबसे कहें ये आपके क्लास की लाइब्रेरी है सब मिल बांटकर पढ़े। उनके आत्मविश्वास बढ़ाने वाले विचार जरूर बोलें।
इस तरह बड़ी आसानी से जॉब करते हुए भी शनिवार को सरकारी स्कूल में आप बाल संस्कार शाला चला सकते हैं। किसी शनिवार ज्ञान दीक्षा यज्ञ भी कर सकते हैं।
आपके बाल संस्कार शाला चलाने के शुभ संकल्प को महाकाल शीघ्र पूर्ण करे। यही प्रार्थना है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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