*बरसात का स्वागत कीजिये और बदलते मौसम में होने वाले "वायरल फ़ीवर" से निपटने की पूर्व तैयारी रखें।* -
बदलता मौसम सर्दी खाँसी और वायरल फ़ीवर की सौगात साथ लाता है। पूर्व तैयारी न हुई तो परेशानी निश्चित है।
एलोपैथी में दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाएँ मर्ज़ के साथ मरीज़ को भी नुकसान पहुंचाती हैं। लेटेस्ट सर्वे के अनुसार अत्यधिक एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है।
👉🏼 *उपाय* -
1- सुबह खाली पेट 3 ग्लास गुनगुना पानी पिएं, ताड़ासन और योग करके नित्यकर्म करें, घर में प्रज्ञापेय में हल्का सा दालचीनी पावडर, तुलसी पत्र, कालीमिर्च औऱ अदरक डालकर चाय की तरह बनाकर सपरिवार पियें।
2- बच्चों को नहाने के बाद 5 तुलसीपत्र खिला दें, खाना बनाने में थोड़ी काली मिर्च पावडर का प्रयोग करें। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी
3- यदि आसपास वायरल फ़ैलने की सूचना आ गयी तो 10 वर्ष से कम बच्चो को आधी - आधी टेबलेट गिलोय की सुबह शाम दे दें या गिलोय के ताजे हरे पत्तो की चटनी खिलाएं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
👉🏼 *यग्योपैथी*
4- घर मे किसी को वायरल न हो इसलिए साप्ताहिक *डेंगू, वायरल, ज्वर नाशक* हवन सामग्री से हवन करें:-
एक भाग कॉमन हवन सामग्री शान्तिकुंज फार्मेसी की लें और एक भाग निम्नलिखित ज्वर की लें:-
(निम्नलिखित सभी वनौषधियाँ समान मात्रा में लें)
1- चिरायता, 2- कालमेघ, 3- आर्टिमिसिया एनुआ, 4- कपूर तुलसी, 5- शरपुंखा, 6- सप्तपर्णी, 7- मुलहठी, 8- गिलोय, 9- सारिवा, 10- विजया, 11- कुटकी, 12- करंज गिरी, 13- पटोल पत्र, 14- निबौली या नीम छाल
उपरोक्त ज्वर हवन सामग्री को कॉमन हवन सामग्री में मिलाकर यज्ञ करने पर लाभ होता है।
साथ ही ज्वर से पीड़ित मरीज़ को ज्वर की हवन सामग्री को सूती बारीक कपड़े से छानकर बनाये पावडर की एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम को गुनगुने पानी के साथ दें। इससे शीघ्र लाभ मिलेगा।
यदि अपने गांव या शहर को वायरल के प्रभाव से मुक्त करवाना चाहते है तो थोड़ी थोड़ी दूर में लगभग सभी जगहों, मंदिरों और आसपास के क्षेत्रों को इस हवन सामग्री से यज्ञ करने को प्रेरित करें। गाँव शहर गली मोहल्लों में पनप रहे रोगाणुओं को नष्ट करें। हवन में समिधा रूप में गाय के गोबर के कंडे या आम की सूखी लकड़ी प्रयोग में लेवें।
हवन में औषधियों के कारण प्रभाव को जागृत करने हेतु सूर्य गायत्री मंत्र से 24 आहुतियां उपरोक्त ज्वर और कॉमन हवन सामग्री की देशी घी में मिलाकर दें।
*सूर्य गायत्री मंत्र* - ॐ भाष्कराये विद्महे, दिवाकराय धीमहि। तन्नो सूर्य: प्रचोदयात स्वाहा, इदं सूर्याय इदं न मम।
🙏🏻रोगमुक्त स्वस्थ भारत बने यही अखिलविश्व गायत्री परिवार की यग्योपैथी टीम प्रयास कर रही है।
आप सभी का रोगमुक्त भारत और स्वस्थ भारत बनाने में सहयोग का आह्वाहन करते हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
यग्योपैथी टीम, अखिलविश्व गायत्री परिवार
Reference Book - यज्ञ चिकित्सा, पेज नम्बर 46 से 48
(प्रज्ञा पेय, पीपल की पांच पत्तीयाँ, बेल की पांच पत्तियाँ, और गिलोय, तुलसी पत्र पांच, थोड़ा सा गुड़, ये काढ़ा ईस सीजन मे सभी बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है👏👏🌹🙏🙏)
बदलता मौसम सर्दी खाँसी और वायरल फ़ीवर की सौगात साथ लाता है। पूर्व तैयारी न हुई तो परेशानी निश्चित है।
एलोपैथी में दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाएँ मर्ज़ के साथ मरीज़ को भी नुकसान पहुंचाती हैं। लेटेस्ट सर्वे के अनुसार अत्यधिक एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है।
👉🏼 *उपाय* -
1- सुबह खाली पेट 3 ग्लास गुनगुना पानी पिएं, ताड़ासन और योग करके नित्यकर्म करें, घर में प्रज्ञापेय में हल्का सा दालचीनी पावडर, तुलसी पत्र, कालीमिर्च औऱ अदरक डालकर चाय की तरह बनाकर सपरिवार पियें।
2- बच्चों को नहाने के बाद 5 तुलसीपत्र खिला दें, खाना बनाने में थोड़ी काली मिर्च पावडर का प्रयोग करें। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी
3- यदि आसपास वायरल फ़ैलने की सूचना आ गयी तो 10 वर्ष से कम बच्चो को आधी - आधी टेबलेट गिलोय की सुबह शाम दे दें या गिलोय के ताजे हरे पत्तो की चटनी खिलाएं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
👉🏼 *यग्योपैथी*
4- घर मे किसी को वायरल न हो इसलिए साप्ताहिक *डेंगू, वायरल, ज्वर नाशक* हवन सामग्री से हवन करें:-
एक भाग कॉमन हवन सामग्री शान्तिकुंज फार्मेसी की लें और एक भाग निम्नलिखित ज्वर की लें:-
(निम्नलिखित सभी वनौषधियाँ समान मात्रा में लें)
1- चिरायता, 2- कालमेघ, 3- आर्टिमिसिया एनुआ, 4- कपूर तुलसी, 5- शरपुंखा, 6- सप्तपर्णी, 7- मुलहठी, 8- गिलोय, 9- सारिवा, 10- विजया, 11- कुटकी, 12- करंज गिरी, 13- पटोल पत्र, 14- निबौली या नीम छाल
उपरोक्त ज्वर हवन सामग्री को कॉमन हवन सामग्री में मिलाकर यज्ञ करने पर लाभ होता है।
साथ ही ज्वर से पीड़ित मरीज़ को ज्वर की हवन सामग्री को सूती बारीक कपड़े से छानकर बनाये पावडर की एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम को गुनगुने पानी के साथ दें। इससे शीघ्र लाभ मिलेगा।
यदि अपने गांव या शहर को वायरल के प्रभाव से मुक्त करवाना चाहते है तो थोड़ी थोड़ी दूर में लगभग सभी जगहों, मंदिरों और आसपास के क्षेत्रों को इस हवन सामग्री से यज्ञ करने को प्रेरित करें। गाँव शहर गली मोहल्लों में पनप रहे रोगाणुओं को नष्ट करें। हवन में समिधा रूप में गाय के गोबर के कंडे या आम की सूखी लकड़ी प्रयोग में लेवें।
हवन में औषधियों के कारण प्रभाव को जागृत करने हेतु सूर्य गायत्री मंत्र से 24 आहुतियां उपरोक्त ज्वर और कॉमन हवन सामग्री की देशी घी में मिलाकर दें।
*सूर्य गायत्री मंत्र* - ॐ भाष्कराये विद्महे, दिवाकराय धीमहि। तन्नो सूर्य: प्रचोदयात स्वाहा, इदं सूर्याय इदं न मम।
🙏🏻रोगमुक्त स्वस्थ भारत बने यही अखिलविश्व गायत्री परिवार की यग्योपैथी टीम प्रयास कर रही है।
आप सभी का रोगमुक्त भारत और स्वस्थ भारत बनाने में सहयोग का आह्वाहन करते हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
यग्योपैथी टीम, अखिलविश्व गायत्री परिवार
Reference Book - यज्ञ चिकित्सा, पेज नम्बर 46 से 48
(प्रज्ञा पेय, पीपल की पांच पत्तीयाँ, बेल की पांच पत्तियाँ, और गिलोय, तुलसी पत्र पांच, थोड़ा सा गुड़, ये काढ़ा ईस सीजन मे सभी बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है👏👏🌹🙏🙏)
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